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Seraikela News: शिक्षा के लिए संकल्पित सेवानिवृत शिक्षिका संध्या रानी, रिटायरमेंट के बाद भी कर रहीं आवासीय स्कूल का संचालन

राष्ट्रपति पुरस्कार सम्मानित शिक्षिका संध्या रानी आज किसी मोहताज नहीं है. सरायकेला की संध्या प्रधान, जिन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में संकल्पित और अपनी प्रबल इच्छाशक्ति से इलाके में बदलाव लेकर आईं. रिटायर होने के बाद भी आज भी वो गरीब बच्चों को शिक्षा प्रदान कर रही हैं.

President Award retired teacher Sandhya Pradhan provides education to poor children in Seraikela
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Published : Apr 2, 2023, 9:56 AM IST

Updated : Apr 2, 2023, 10:32 AM IST

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सरायकेला: सरायकेला खरसावां जिला की एकमात्र राष्ट्रपति पुरस्कार सम्मानित शिक्षिका संध्या प्रधान 31 मार्च को सेवा समाप्ति पर सेवानिवृत्त हो गई हैं. लेकिन संध्या प्रधान मानती हैं कि भले ही कागजी दस्तावेजों में उन्हें रिटायरमेंट मिली है लेकिन मन से आज भी वो स्कूल की शिक्षिका हैं जो सांस चलने तक बच्चों को शिक्षा से जोड़ने का काम करती रहेंगी.

इसे भी पढ़ें- न्यू कॉलोनी उत्क्रमित उच्च विद्यालय की प्राचार्य को मिलेगा राष्ट्रपति पुरस्कार, उड़िया मध्य विद्यालय में किए थे बेहतर कार्य

इस संकल्प की भूमिका पश्चिम सिंहभूम जिला के मनोहरपुर में प्रबल हुई थी. जब संध्या प्रधान बतौर शिक्षक वहां पढ़ा रही थीं. उन्होंने बच्चों को बरसात में भींगकर स्कूल आते देखा, वो अपने बैग में यूनिफॉर्म रखते और घर से दूसरे कपड़े पहनकर स्कूल आते थे ताकि भीगने पर स्कूल में उसे बदल सके. बच्चों के शिक्षा के प्रति ललक देखकर संध्या प्रधान ने मन में ठानी की शिक्षा सुगमता से सभी बच्चों को प्राप्त होगी. इसी जज्बे ने शिक्षा के क्षेत्र में इतना आगे बढ़ाया की वर्ष 2019 में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों विज्ञान भवन में राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त हुआ. यह कहानी है सरायकेला जिला के आदित्यपुर उत्क्रमित उच्च विद्यालय की सेवानिवृत्त शिक्षिका संध्या प्रधान की.

सरायकेला खरसावां जिला में जब भी शिक्षा की बात होगी तो शिक्षिका संध्या प्रधान का जिक्र होना लाजमी है. पश्चिम सिंहभूम जिला से पारिवारिक जिम्मेदारियों के चलते सरायकेला जिले में ट्रांसफर कराने के बाद इन्होंने शिक्षा की जो अलख जगाई, उससे कई छात्रों का जीवन संवर चुका है. शिक्षिका संध्या ने सेवानिवृत्त होने के बाद भी अपने विद्यालय में जाकर शिक्षण व्यवस्था देखने की ठानी है. इसके अलावा इनके घर के पास स्लम एरिया इंदिरा बस्ती में भी इन्होंने सप्ताह में 3 दिन बच्चों के लिए स्कूल चलाने का भी निर्णय लिया है.

नक्सल प्रभावित सोनुवा में संचालित कर रहीं आवासीय विद्यालय: पश्चिम सिंहभूम जिला के नक्सल प्रभावित सोनुवा में संध्या प्रधान अपने पति के सहयोग से जरूरतमंद छात्रों के लिए आवासीय विद्यालय का संचालन कर रही हैं. सरकारी स्कूल में पदस्थापित होने के चलते ये आवासीय विद्यालय को समय नहीं दे पा रही थी. लेकिन अब इन्होंने आवासीय विद्यालय में भी पठन-पाठन को गति देने का मन बना लिया है.

कोल्हान की पहली शिक्षिका जिन्होंने भेजा गया था देहरादून आईएएस ट्रेनिंग सेंटर: शिक्षिका संध्या प्रधान कोल्हान की एकमात्र ऐसी शिक्षिका हैं, जिन्हें भारत सरकार के स्कूली शिक्षा कार्यक्रम के लिए चुनकर देहरादून स्थित आईएएस ट्रेनिंग सेंटर लाल बहादुर शास्त्री अकैडमी भेजा गया था. ट्रेनिंग सेशन के दौरान सरकार के शिक्षा कार्यक्रम की ट्रेनिंग प्राप्त कर इन्होंने वापस लौट कर जिले में बखूबी कार्यक्रम का सफल संचालन कराया जिसका लाभ छात्रों को मिला.

मेहनत और लगन से कई अवार्ड प्राप्त किया: शिक्षिका संध्या प्रधान बताती हैं कि मेहनत और लगन के साथ लक्ष्य की ओर ध्यान केंद्रित कर जब आप बढ़ते हैं तो परिस्थितियां खुद-ब-खुद आपके पक्ष में आ जाती हैं. आदित्यपुर निगम क्षेत्र अंतर्गत दो कमरे में संचालित राजकीय ओड़िया मध विद्यालय को बहुमंजिला भवन में तब्दील करने से लेकर ट्रांसफर के बाद उत्क्रमित उच्च विद्यालय को मॉडल स्कूल बनाने के सफर में संध्या प्रधान को पुरस्कार प्राप्त हुए. जिनमें वर्ष 2017 में प्रधानमंत्री स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार से नवाजा गया. जिसमें 3 लाख धनराशि इनाम के रूप में दी गई. जिसका प्रयोग कर इन्होंने उत्क्रमित उच्च विद्यालय के जर्जर भवन निर्माण से लेकर चारदीवारी बनवाने का काम कराया. सरायकेला जिले में एकमात्र ओड़िया मध्य विद्यालय एक ऐसा स्कूल था जिसे प्रधानमंत्री स्वच्छ स्कूल पुरस्कार प्राप्त हुआ. ये सिलसिला आगे बढ़ा और स्कूल को फाइव स्टार रेटिंग का भी दर्जा प्राप्त हुआ.

इसे भी पढ़ें- उड़िया भाषा के प्रचार-प्रसार में इनका है विशेष योगदान, अब राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए हुई चयनित

छात्रों के साथ स्कूल शिक्षकों को भी देंगी ट्रेनिंग: सरायकेला-खरसावां जिले के किसी शिक्षक को दोबारा राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया जाए यह चाह संध्या प्रधान रखती हैं. इन्होंने बताया कि सेवानिवृत्त होने पर जिला शिक्षा अधीक्षक कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में इन्होंने शिक्षकों से कहा है कि उन्हें स्कूल संचालन संबंधित किसी भी प्रकार से परेशानी होने पर वे बेझिझक संपर्क करें. उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास ऐसा होना चाहिए कि जिले से दोबारा किसी शिक्षक को राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त हो.

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सरायकेला: सरायकेला खरसावां जिला की एकमात्र राष्ट्रपति पुरस्कार सम्मानित शिक्षिका संध्या प्रधान 31 मार्च को सेवा समाप्ति पर सेवानिवृत्त हो गई हैं. लेकिन संध्या प्रधान मानती हैं कि भले ही कागजी दस्तावेजों में उन्हें रिटायरमेंट मिली है लेकिन मन से आज भी वो स्कूल की शिक्षिका हैं जो सांस चलने तक बच्चों को शिक्षा से जोड़ने का काम करती रहेंगी.

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इस संकल्प की भूमिका पश्चिम सिंहभूम जिला के मनोहरपुर में प्रबल हुई थी. जब संध्या प्रधान बतौर शिक्षक वहां पढ़ा रही थीं. उन्होंने बच्चों को बरसात में भींगकर स्कूल आते देखा, वो अपने बैग में यूनिफॉर्म रखते और घर से दूसरे कपड़े पहनकर स्कूल आते थे ताकि भीगने पर स्कूल में उसे बदल सके. बच्चों के शिक्षा के प्रति ललक देखकर संध्या प्रधान ने मन में ठानी की शिक्षा सुगमता से सभी बच्चों को प्राप्त होगी. इसी जज्बे ने शिक्षा के क्षेत्र में इतना आगे बढ़ाया की वर्ष 2019 में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों विज्ञान भवन में राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त हुआ. यह कहानी है सरायकेला जिला के आदित्यपुर उत्क्रमित उच्च विद्यालय की सेवानिवृत्त शिक्षिका संध्या प्रधान की.

सरायकेला खरसावां जिला में जब भी शिक्षा की बात होगी तो शिक्षिका संध्या प्रधान का जिक्र होना लाजमी है. पश्चिम सिंहभूम जिला से पारिवारिक जिम्मेदारियों के चलते सरायकेला जिले में ट्रांसफर कराने के बाद इन्होंने शिक्षा की जो अलख जगाई, उससे कई छात्रों का जीवन संवर चुका है. शिक्षिका संध्या ने सेवानिवृत्त होने के बाद भी अपने विद्यालय में जाकर शिक्षण व्यवस्था देखने की ठानी है. इसके अलावा इनके घर के पास स्लम एरिया इंदिरा बस्ती में भी इन्होंने सप्ताह में 3 दिन बच्चों के लिए स्कूल चलाने का भी निर्णय लिया है.

नक्सल प्रभावित सोनुवा में संचालित कर रहीं आवासीय विद्यालय: पश्चिम सिंहभूम जिला के नक्सल प्रभावित सोनुवा में संध्या प्रधान अपने पति के सहयोग से जरूरतमंद छात्रों के लिए आवासीय विद्यालय का संचालन कर रही हैं. सरकारी स्कूल में पदस्थापित होने के चलते ये आवासीय विद्यालय को समय नहीं दे पा रही थी. लेकिन अब इन्होंने आवासीय विद्यालय में भी पठन-पाठन को गति देने का मन बना लिया है.

कोल्हान की पहली शिक्षिका जिन्होंने भेजा गया था देहरादून आईएएस ट्रेनिंग सेंटर: शिक्षिका संध्या प्रधान कोल्हान की एकमात्र ऐसी शिक्षिका हैं, जिन्हें भारत सरकार के स्कूली शिक्षा कार्यक्रम के लिए चुनकर देहरादून स्थित आईएएस ट्रेनिंग सेंटर लाल बहादुर शास्त्री अकैडमी भेजा गया था. ट्रेनिंग सेशन के दौरान सरकार के शिक्षा कार्यक्रम की ट्रेनिंग प्राप्त कर इन्होंने वापस लौट कर जिले में बखूबी कार्यक्रम का सफल संचालन कराया जिसका लाभ छात्रों को मिला.

मेहनत और लगन से कई अवार्ड प्राप्त किया: शिक्षिका संध्या प्रधान बताती हैं कि मेहनत और लगन के साथ लक्ष्य की ओर ध्यान केंद्रित कर जब आप बढ़ते हैं तो परिस्थितियां खुद-ब-खुद आपके पक्ष में आ जाती हैं. आदित्यपुर निगम क्षेत्र अंतर्गत दो कमरे में संचालित राजकीय ओड़िया मध विद्यालय को बहुमंजिला भवन में तब्दील करने से लेकर ट्रांसफर के बाद उत्क्रमित उच्च विद्यालय को मॉडल स्कूल बनाने के सफर में संध्या प्रधान को पुरस्कार प्राप्त हुए. जिनमें वर्ष 2017 में प्रधानमंत्री स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार से नवाजा गया. जिसमें 3 लाख धनराशि इनाम के रूप में दी गई. जिसका प्रयोग कर इन्होंने उत्क्रमित उच्च विद्यालय के जर्जर भवन निर्माण से लेकर चारदीवारी बनवाने का काम कराया. सरायकेला जिले में एकमात्र ओड़िया मध्य विद्यालय एक ऐसा स्कूल था जिसे प्रधानमंत्री स्वच्छ स्कूल पुरस्कार प्राप्त हुआ. ये सिलसिला आगे बढ़ा और स्कूल को फाइव स्टार रेटिंग का भी दर्जा प्राप्त हुआ.

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छात्रों के साथ स्कूल शिक्षकों को भी देंगी ट्रेनिंग: सरायकेला-खरसावां जिले के किसी शिक्षक को दोबारा राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया जाए यह चाह संध्या प्रधान रखती हैं. इन्होंने बताया कि सेवानिवृत्त होने पर जिला शिक्षा अधीक्षक कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में इन्होंने शिक्षकों से कहा है कि उन्हें स्कूल संचालन संबंधित किसी भी प्रकार से परेशानी होने पर वे बेझिझक संपर्क करें. उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास ऐसा होना चाहिए कि जिले से दोबारा किसी शिक्षक को राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त हो.

Last Updated : Apr 2, 2023, 10:32 AM IST
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