रांची: कभी महज 8 फैकल्टी और 83 स्टूडेंट्स के बदौलत शुरू हुआ बीआईटी मेसरा आज देश के नामचीन शैक्षणिक संस्थानों में से एक है. 1955 में जिस संस्थान की नींव स्वर्गीय बी.एम. बिरला ने रखा था वह आज अपने गौरवशाली यात्रा का प्लेटिनम जुबली मना रहा है.
महज तीन विभाग से शुरू हुई थी बीआईटी मेसरा
स्थापना काल में बीआईटी की शुरुआत महज तीन विभाग मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल और साइंस विभाग के साथ किया गया था. जहां आगे चलकर इंजीनियरिंग और अनुसंधान पर ध्यान केन्द्रित कर नये-नये विभाग खोले गए. बीआईटी ने कदम बढ़ाते हुए 1964 में स्पेस इंजीनियरिंग और रॉकेट्री विभाग खोलने वाला देश का पहला संस्थान बन गया. 1972 में बीआईटी देश का पहला स्वायत्तशासी कॉलेज बना.
1979 में बीआईटी में मैनेजमेंट डिपार्टमेंट का गठन हुआ और 1980 से एमबीए की पढ़ाई शुरू हुई. 1984 में एक बार फिर यह संस्थान सुर्खियों में रहा. जहां 71वीं इंडियन साइंस कांग्रेस का आयोजन हुआ, जिसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी शामिल हुई थी. 1986 में बीआईटी मेसरा को डीम्ड यूनिवर्सिटी की मान्यता यूजीसी एक्ट के तहत दी गई. छात्रों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए बीआईटी ने अपने कार्यालय परिसर का विस्तार समय के साथ किया. 1995 में जयपुर, 2000 में बहरीन, 2006 में पटना, 2007 में देवघर में बीआईटी एक्सटेंशन सेंटर खोले गए.
दादाजी ने सपना देखा, वह पूरा हो रहा है- सीके बिरला
बीआईटी मेसरा के चेयरमैन सी के बिरला कहते हैं कि जिस सपना को दादाजी ने देखा था, वह पूरा हो रहा है. इस तरह का कैंपस पूरे देश भर में नहीं होगा. जिस समय खोला गया यहां मात्र 8 फैकल्टी और 83 स्टूडेंट्स थे. लेकिन आज के समय में करीब 10000 स्टूडेंट्स और 600 फैकल्टी हैं. इसकी संख्या अभी और बढ़ेंगी. अगले चार-पांच वर्षों में यहां और भी नये-नये विभाग के साथ फैकल्टी बढ़ेंगे.
उन्होंने कहा कि नई बिल्डिंग बनेगी और इसकी काफी उन्नति होगी. मैं चाहता हूं कि यह न केवल देशभर में टॉप इंस्टीट्यूट हो जाए बल्कि साउथ एशिया में यह टॉप पर रहे. मेरा मकसद है कि पढ़ाई करने का मौका सबको मिले, सभी को इंजीनियर बनने का अवसर मिले. मैं आसपास के लोगों को भी यह कहता हूं कि जब हम इसे पूरा कर पाएंगे तब मुझे सबसे ज्यादा खुशी मिलेगी. रैंकिंग को लेकर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए सी के बिरला ने कहा कि आने वाले समय में यह संस्थान और भी बेहतर करेगा.
वहीं, बीआईटी मेसरा के कुलपति इंद्रनील मन्ना ने कहा कि हमारी जिम्मेदारी बढ़ी है. आगे हमें बहुत कुछ करना है. रैंकिंग को लेकर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए कुलपति ने कहा कि हम स्व वित्तपोषित संस्थान हैं. जबकि देश में 60-70 ऐसे संस्थान हैं, जो गवर्नमेंट फाइनेंनसिग इंस्टीट्यूशन है. लेकिन हम नए-नए रिसर्च फैसेलिटीज के साथ आगे बढ़ रहे हैं. मुझे उम्मीद है कि आने वाले समय में इसमें सुधार हो जाएगा. कैंपस में आने वाले समय में स्टूडेंट्स हॉस्टल रिसर्च बिल्डिंग सहित कई चीजे बनने हैं. इस कार्य में संस्था के द्वारा राज्य सरकार को मदद के लिए आग्रह किया गया है. उम्मीद है कि इसमें सरकार भी आगे बढ़कर काम करेगी.