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कोरोना से अकेलापन का शिकार हो रहे लोग, मानसिक तनाव में आम आदमी

वैश्विक महामारी कोरोना ने आम जनों के भागती दौड़ती जिंदगी पर ब्रेक लगा दिया है. ऐसे में कोरोना से संक्रमित मरीजों में डर, चिंता, मानसिक बदलाव की स्थिति देखी जा रही है.

people are upset with loneliness due to corona in jamshedpur
कोरोना बीमारी में अकेलापन
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Published : Oct 20, 2020, 7:20 PM IST

जमशेदपुरः कोरोना महामारी के कारण देश में लाखों लोगों की जान चली गई. लाखों लोग घरों में बंद हैं. लाखों लोगों की रोजगार चली गई. इन सबों पर कोरोना वायरस का कहर टूट पड़ा है. इन सबके बीच कोरोना रोगियों में मौत की आहट होने के कारण अवसाद की स्थिति देखी जा रही है.


कोरोना बीमारी में अकेलापन

कोरोना से संक्रमित मरीजों में कोरोना बीमारी के कारण डर का माहौल बना दिया है. जिसके कारण आम जनमानस कोरोना मरीजों से दूरी बनाते जा रहे हैं. वहीं कोरोना के भय के कारण आम जनमानस अपनी जान की परवाह करने में दूसरों के साथ अमानवीय तरीके से पेश आ रहे हैं. जिसके कारण कोरोना से संक्रमित मरीज अकेलेपन का शिकार हो रहे हैं. कोरोना महामारी के दौरान एक दूसरे से सामाजिक दूरी का पालन लोगों के बीच आपसी भेदभाव बनता जा रहा है. जिसके दरम्यान खुले आसमान के नीचे एक पल गुजरने वाली जिंदगी एक सीमित दायरे में सिमट कर रह गई है. ऐसे में लोग कोरोना संक्रमित मरीजों से दूर भाग रहे हैं. वहीं बढ़ती उम्र के बुजुर्गों से भी आम जन मानस दूरियां बनाते जा रहे हैं.


कोरोना से संक्रमित मरीजों से बुरा व्यवहार

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है. जिसे समाज में अन्य लोगों के साथ जीने की आदत सिखाई जाती है. कोरोना महामारी के कारण होम क्वारंटाइन में रहने वाले शख्स ने बताया पिंजरे में एकदम से कैद कर दिया गया, जिसमें ना तो किसी से बातचीत ना ही कोई पूछने वाला, ऐसी जिंदगी हो गई थी. कोरोना के कहर के कारण मानवीय दृष्टिकोण में बदलाव की स्थिति देखने को मिली. कोरोना की वजह से समाज में आम जनमानस के बीच संवेदनहीनता बहुत देखने को मिली. कोरोना के कारण मनुष्य एक दूसरे से शारीरिक व मानसिक रूप से दूर हो गए. कोरोना से संबंधित मरीज को हीन दृष्टि से देखा जाने लगा उनके प्रति समाज में एक अलग रवैया देखने को मिला.कोरोना में संक्रमितों के प्रति समाज में भेदभाव का नजरिया पनपने लगा.

इसे भी पढ़ें- SPECIAL: बदहाली की मार झेल रहा धालभूमगढ़ एयरपोर्ट, पढ़ें रिपोर्ट


क्या कहते हैं मनोचिकित्सक

जमशेदपुर के सदर अस्पताल में कार्यरत मनोचिकित्सक बताते हैं. कोरोना के कारण लोगों में सामाजिक दूरी, शारिरिक दूरी का पालन करने के लिए कहा गया इस दौरान बच्चों के स्कूल बंद हो गए, बुजुर्ग व्यक्तियों पर कोरोना के खतरे के कारण बाहर नहीं निकलने की सलाह दी गई.कुछ को होम क्वॉरेंटाइन में रखा गया इस दौरान लोगों में घबराहट हुई हाइपरएक्टिव की संख्या ज्यादा बढ़ी है.लोग कोरोना के खतरे के कारण एक व्यक्ति से दूरी बनाते नज़र आए हैं.कोरोना से संक्रमित मरीज व क्वॉरेंटाइन में रह रहे लोगों से किसी ना किसी सहारे जुड़ने की जरूरत है. मोबाईल फोन पर वीडियो कॉल, ग्रुप चैट जिससे उन्हें साकारात्मक ऊर्जा प्रदान हो.

जमशेदपुरः कोरोना महामारी के कारण देश में लाखों लोगों की जान चली गई. लाखों लोग घरों में बंद हैं. लाखों लोगों की रोजगार चली गई. इन सबों पर कोरोना वायरस का कहर टूट पड़ा है. इन सबके बीच कोरोना रोगियों में मौत की आहट होने के कारण अवसाद की स्थिति देखी जा रही है.


कोरोना बीमारी में अकेलापन

कोरोना से संक्रमित मरीजों में कोरोना बीमारी के कारण डर का माहौल बना दिया है. जिसके कारण आम जनमानस कोरोना मरीजों से दूरी बनाते जा रहे हैं. वहीं कोरोना के भय के कारण आम जनमानस अपनी जान की परवाह करने में दूसरों के साथ अमानवीय तरीके से पेश आ रहे हैं. जिसके कारण कोरोना से संक्रमित मरीज अकेलेपन का शिकार हो रहे हैं. कोरोना महामारी के दौरान एक दूसरे से सामाजिक दूरी का पालन लोगों के बीच आपसी भेदभाव बनता जा रहा है. जिसके दरम्यान खुले आसमान के नीचे एक पल गुजरने वाली जिंदगी एक सीमित दायरे में सिमट कर रह गई है. ऐसे में लोग कोरोना संक्रमित मरीजों से दूर भाग रहे हैं. वहीं बढ़ती उम्र के बुजुर्गों से भी आम जन मानस दूरियां बनाते जा रहे हैं.


कोरोना से संक्रमित मरीजों से बुरा व्यवहार

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है. जिसे समाज में अन्य लोगों के साथ जीने की आदत सिखाई जाती है. कोरोना महामारी के कारण होम क्वारंटाइन में रहने वाले शख्स ने बताया पिंजरे में एकदम से कैद कर दिया गया, जिसमें ना तो किसी से बातचीत ना ही कोई पूछने वाला, ऐसी जिंदगी हो गई थी. कोरोना के कहर के कारण मानवीय दृष्टिकोण में बदलाव की स्थिति देखने को मिली. कोरोना की वजह से समाज में आम जनमानस के बीच संवेदनहीनता बहुत देखने को मिली. कोरोना के कारण मनुष्य एक दूसरे से शारीरिक व मानसिक रूप से दूर हो गए. कोरोना से संबंधित मरीज को हीन दृष्टि से देखा जाने लगा उनके प्रति समाज में एक अलग रवैया देखने को मिला.कोरोना में संक्रमितों के प्रति समाज में भेदभाव का नजरिया पनपने लगा.

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क्या कहते हैं मनोचिकित्सक

जमशेदपुर के सदर अस्पताल में कार्यरत मनोचिकित्सक बताते हैं. कोरोना के कारण लोगों में सामाजिक दूरी, शारिरिक दूरी का पालन करने के लिए कहा गया इस दौरान बच्चों के स्कूल बंद हो गए, बुजुर्ग व्यक्तियों पर कोरोना के खतरे के कारण बाहर नहीं निकलने की सलाह दी गई.कुछ को होम क्वॉरेंटाइन में रखा गया इस दौरान लोगों में घबराहट हुई हाइपरएक्टिव की संख्या ज्यादा बढ़ी है.लोग कोरोना के खतरे के कारण एक व्यक्ति से दूरी बनाते नज़र आए हैं.कोरोना से संक्रमित मरीज व क्वॉरेंटाइन में रह रहे लोगों से किसी ना किसी सहारे जुड़ने की जरूरत है. मोबाईल फोन पर वीडियो कॉल, ग्रुप चैट जिससे उन्हें साकारात्मक ऊर्जा प्रदान हो.

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