सरायकेला: लॉकडाउन में कोल्हान क्षेत्र का वायु प्रदूषण लगभग समाप्त हो चुका है. जहरीली धुआं उगलने वाली गाड़ियां और फैक्ट्रियां लगातार बंद है, जिससे शहर की हवा स्वच्छ हो गई है. इस दौरान कोल्हान के तीनों जिलों में सड़कों पर लोगों का आना जाना कम है. ऐसे में ना ही सड़क पर शोर हो रहा है और ना ही आसमान में धूल के कण दिखाई दे रहे हैं, जबकि नदियों के प्रदूषण स्तर भी लगातार कम हो रहे हैं.
प्रदूषण का घटता स्तर
कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर जारी लॉकडाउन में भले ही लोगों को कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन इससे शहर में वायु, ध्वनि और जल प्रदूषण भी कम हुआ है. कोल्हान के औद्योगिक नगरी के रूप में प्रसिद्ध सरायकेला और इससे सटे जमशेदपुर में लॉकडाउन के दौरान प्रदूषण विभाग ने सर्वे किया था, जिसमें यह बात सामने आई है कि जिस शहर में कभी प्रदूषण का स्तर डेंजर लेवल को पार कर रहा था, वह अब सामान्य से भी कम है.
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वातावरण में बिखरा धूल कण
कोल्हान क्षेत्र के तीनों जिले सरायकेला, जमशेदपुर और चाईबासा की सड़कों पर गाड़ियों की लंबी कतारें, धुआं उगलती फैक्ट्रियां और वातावरण में बिखरा धूल कण आम बात थी. हालांकि, यह शहर के विकास की पहचान भी बन गए थे. इन शहरों में बड़े पैमाने पर होने वाली गतिविधियों ने शहर के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों को भी प्रदूषित कर रखा था, लेकिन लॉकडाउन के दौरान बीते 29 दिनों में जो सुधार हुआ है, वह सच में चौंकाने वाला है.
वायुमंडल में खतरनाक प्रदूषित कणों की मात्रा कम
लॉकडाउन के दौरान फैक्ट्रियों के बंद रहने और सड़कों पर वाहनों के नहीं चलने के कारण वायुमंडल में खतरनाक प्रदूषित कणों की मात्रा लगातार कम हो रही है. प्रदूषण स्तर को मापने वाले यूनिट पीएच-10 में भी लगातार गिरावट आ रही है. जो फिलहाल पर्यावरण सुधार की ओर अच्छे संकेत को दिखाता है. इसके अलावा वायु गुणवत्ता इंडेक्स भी सामान्य बना हुआ है. अगर आंकड़ों की बात करें तो पीएच-10 की मात्रा में इन दिनों 45% की कमी पाई गई है.
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नदियों का पीएच बैलेंस बरकरार
लगातार लॉकडाउन के कारण बीते 29 दिनों के बाद अब आलम यह है कि नदियों में प्रदूषण की मात्रा भी लगातार कम हो रही है. इससे नदियों का पीएच बैलेंस भी अब बरकरार है. पीएच यानी 'पावर ऑफ हाइड्रोजन' यानी जल में हाइड्रोजन की शक्ति कितनी है. इससे नदियों के जल स्तर को मापा जा सकता है. आंकड़ों के मुताबिक नदियों का स्तर फिलहाल 9 से 10 पीएच के बीच है, जबकि पानी में आगर पीएच की मात्रा 7 रहती है तो पानी न्यूट्रल है और वह शुद्ध माना जाता है, जबकि पानी में यदि पीएच की मात्रा 13 या 14 है तो वह पानी क्षारीय है और वह पीने योग्य तो बिल्कुल भी नहीं है.
ऐसे में साफ है कि फिलहाल नदियों का पानी भी शुद्ध हो रहा है. हालांकि, लॉकडाउन खत्म होने के बाद शायद पर्यावरण की वर्तमान स्थिति आगे बरकरार नहीं रहेगी, लेकिन विकास की अंधी दौड़ में पर्यावरण का जो हाल हो रहा है, वह पर्यावरण नष्ट अभियान के रूप में न हो, इस बात का भी ख्याल रखना अति आवश्यक है.