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ESI अस्पताल के 8 लाख आश्रितों के लिए बुरी खबर, एक फरवरी से बंद होगा सेकेंडरी टाईअप की सुविधा

कर्मचारी राज्य बीमा निगम, नई दिल्ली के आदेश पर कोल्हान का एकमात्र ईएसआई अस्पताल बंद हो जाएगा. सरायकेला स्थित ईएसआईसी अस्पताल के बंद होने से कर्मचारी राज्य बीमा निगम के करीब 8 लाख लोगों के इलाज पर संकट आ सकती है.

Kolhan ESI hospital to be closed in february
निर्माणाधिण ईएसआई अस्पताल भवन
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Published : Jan 30, 2020, 6:46 PM IST

सरायकेला: कोल्हान का एकमात्र कर्मचारी राज्य बीमा निगम अस्पताल ईएसआईसी बंद हो जाएगा. इस अस्पताल के 8 लाख आश्रितों को अब सेकेंडरी टाईअप के तहत प्रदान की जाने वाली सुविधा नहीं मिल पाएगी. कर्मचारी राज्य बीमा निगम, नई दिल्ली के आदेश पर ईएसआईसी अस्पताल को बंद किया जा रहा है.

देखें पूरी खबर

कर्मचारी राज्य बीमा निगम के अस्पताल बंद होने से कोल्हान के लाखों परिवारों को इलाज को अब इलाज के लिए संकट आने वाला है. वर्तमान में कर्मचारी राज्य बीमा निगम अस्पताल में 2 लाख कर्मचारी हैं. बीमा वाले कर्मचारियों की आश्रितों की बात करें तो यह आंकड़ा लगभग 8 लाख तक का है. वर्तमान में ईएसआईसी अस्पताल में सिर्फ 50 बेड में सेकेंडरी टाईअप के तहत चल रहा है, लेकिन अब मुख्यालय की ओर से जारी आदेश के बाद इसको बंद करने की कवायद शुरु कर दी गई है.

क्या है सेकेंडरी टाईअप

ईएसआई अस्पताल रोजाना इलाज के लिए आने वाले मरीजों को बेहतर चिकित्सकीय सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से निजी अस्पतालों के साथ टाईअप की है. इसके बीमा वाले व्यक्ति और आश्रितों को ईएसआई सुविधा के तहत इलाज होता है. जिससे अस्पताल पर अत्याधिक बोझ नहीं रहता है. इसके एवज में ईएसआई अस्पताल निजी अस्पतालों को बिल का भुगतान करती है. वहीं, गंभीर बीमारी जिसमें हार्ट, किडनी और ब्रेन के इलाज को लेकर सुपर स्पेशलिटी टाईअप अभी जारी है, लेकिन मुख्यालय के आदेश पर सिर्फ सेकेंडरी टाईअप एक फरवरी से बंद हो जाएगा.

इसे भी पढ़ें- 30 जनवरी का इतिहास : जब मौत के कुहासे ने शाम में ही पूरे देश को स्याह कर दिया

हर महीने 500 मरीजों का होता है टाईअप अस्पताल में इलाज

सरकार की ओर से प्रदत सेकेंडरी टाईअप सुविधा के तहत ईएसआईसी अस्पताल अब तक करीब 500 इलाजरत मरीजों को टाईअप सुविधा के तहत निजी अस्पतालों में रेफर करती है. जहां मरीज अपना बेहतर इलाज करा पाते हैं. इस सुविधा के बंद होने से अतिरिक्त बोझ झेल रहे अस्पताल पर अब हर महीने 500 नए मरीजों का भी बोझ बढ़ेगा, जिससे निश्चित तौर पर अस्पताल की ओर से दिए जा रहे चिकित्सा व्यवस्था प्रभावित होगी.

निर्माणाधीन है 100 बेड वाला नया अस्पताल भवन

ईएसआई अस्पताल में अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस नए 100 बेड वाले अस्पताल भवन का निर्माण प्रगति पर है, लेकिन अब तक इसे शुरू नहीं किया जा सका है. जिसके कारण सिर्फ 50 बेड पर ही पूरे कोल्हान से आने वाले मरीजों का इलाज हो रहा है. ऐसे में सेकेंडरी टाईअप सुविधा बंद किए जाने के बाद स्थिति और भयावह हो सकती है.

इसे भी पढ़ें- डॉक्टर दंपती पर लूटपाट के दौरान जानलेवा हमला, बीच रास्ते रोक अपराधियों ने घटना को दिया अंजाम

हर साल सरकार को मिलता है 80 करोड़ का राजस्व

कर्मचारियों से इलाज के एवज में प्रतिमाह उनके वेतन से ईएसआईसी सुविधा के लिए शुल्क काटे जाते हैं. ऐसे में पूरे कोल्हान से कर्मचारियों के अंश से ही अस्पताल को सालाना 80 करोड़ का राजस्व प्राप्त होता है. लेकिन इसके बावजूद भी अस्पताल में संसाधनों की घोर कमी है. वहीं, डॉक्टरों की कमी से मरीजों के इलाज में बाधा पहुंचती है. साथ ही विशेषज्ञ की कमी होने से भी समुचित इलाज नहीं हो पाता है.

सरायकेला: कोल्हान का एकमात्र कर्मचारी राज्य बीमा निगम अस्पताल ईएसआईसी बंद हो जाएगा. इस अस्पताल के 8 लाख आश्रितों को अब सेकेंडरी टाईअप के तहत प्रदान की जाने वाली सुविधा नहीं मिल पाएगी. कर्मचारी राज्य बीमा निगम, नई दिल्ली के आदेश पर ईएसआईसी अस्पताल को बंद किया जा रहा है.

देखें पूरी खबर

कर्मचारी राज्य बीमा निगम के अस्पताल बंद होने से कोल्हान के लाखों परिवारों को इलाज को अब इलाज के लिए संकट आने वाला है. वर्तमान में कर्मचारी राज्य बीमा निगम अस्पताल में 2 लाख कर्मचारी हैं. बीमा वाले कर्मचारियों की आश्रितों की बात करें तो यह आंकड़ा लगभग 8 लाख तक का है. वर्तमान में ईएसआईसी अस्पताल में सिर्फ 50 बेड में सेकेंडरी टाईअप के तहत चल रहा है, लेकिन अब मुख्यालय की ओर से जारी आदेश के बाद इसको बंद करने की कवायद शुरु कर दी गई है.

क्या है सेकेंडरी टाईअप

ईएसआई अस्पताल रोजाना इलाज के लिए आने वाले मरीजों को बेहतर चिकित्सकीय सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से निजी अस्पतालों के साथ टाईअप की है. इसके बीमा वाले व्यक्ति और आश्रितों को ईएसआई सुविधा के तहत इलाज होता है. जिससे अस्पताल पर अत्याधिक बोझ नहीं रहता है. इसके एवज में ईएसआई अस्पताल निजी अस्पतालों को बिल का भुगतान करती है. वहीं, गंभीर बीमारी जिसमें हार्ट, किडनी और ब्रेन के इलाज को लेकर सुपर स्पेशलिटी टाईअप अभी जारी है, लेकिन मुख्यालय के आदेश पर सिर्फ सेकेंडरी टाईअप एक फरवरी से बंद हो जाएगा.

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हर महीने 500 मरीजों का होता है टाईअप अस्पताल में इलाज

सरकार की ओर से प्रदत सेकेंडरी टाईअप सुविधा के तहत ईएसआईसी अस्पताल अब तक करीब 500 इलाजरत मरीजों को टाईअप सुविधा के तहत निजी अस्पतालों में रेफर करती है. जहां मरीज अपना बेहतर इलाज करा पाते हैं. इस सुविधा के बंद होने से अतिरिक्त बोझ झेल रहे अस्पताल पर अब हर महीने 500 नए मरीजों का भी बोझ बढ़ेगा, जिससे निश्चित तौर पर अस्पताल की ओर से दिए जा रहे चिकित्सा व्यवस्था प्रभावित होगी.

निर्माणाधीन है 100 बेड वाला नया अस्पताल भवन

ईएसआई अस्पताल में अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस नए 100 बेड वाले अस्पताल भवन का निर्माण प्रगति पर है, लेकिन अब तक इसे शुरू नहीं किया जा सका है. जिसके कारण सिर्फ 50 बेड पर ही पूरे कोल्हान से आने वाले मरीजों का इलाज हो रहा है. ऐसे में सेकेंडरी टाईअप सुविधा बंद किए जाने के बाद स्थिति और भयावह हो सकती है.

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हर साल सरकार को मिलता है 80 करोड़ का राजस्व

कर्मचारियों से इलाज के एवज में प्रतिमाह उनके वेतन से ईएसआईसी सुविधा के लिए शुल्क काटे जाते हैं. ऐसे में पूरे कोल्हान से कर्मचारियों के अंश से ही अस्पताल को सालाना 80 करोड़ का राजस्व प्राप्त होता है. लेकिन इसके बावजूद भी अस्पताल में संसाधनों की घोर कमी है. वहीं, डॉक्टरों की कमी से मरीजों के इलाज में बाधा पहुंचती है. साथ ही विशेषज्ञ की कमी होने से भी समुचित इलाज नहीं हो पाता है.

Intro:कोल्हान के एकमात्र कर्मचारी राज्य बीमा निगम अस्पताल ईएसआईसी के आठ लाख आश्रितों को अब सेकेंडरी टाईअप के तहत प्रदान की जाने वाली सुविधा कर्मचारी राज्य बीमा निगम मुख्यालय , नई दिल्ली के आदेश पर बंद किया जा रहा है। नतीजतन अब मरीजों को निजी अस्पताल के साथ टाईअप होकर प्रदान किए जाने वाले चिकित्सकीय सुविधा नहीं मिल पाएगी, जबकि अब अस्पताल पर भी मरीजों का अत्याधिक बोझ बढ़ेगा।


Body:वर्तमान में कर्मचारी राज्य बीमा निगम अस्पताल में दो लाख बीमित व्यक्ति है और उनके आश्रितों की बात करें तो यह आंकड़ा लगभग आठ लाख तक है, वर्तमान में सिर्फ 50 बेड में चल रहे इस अस्पताल को सेकेंडरी टाइअप के तहत गंभीर बीमारियों को छोड़ अन्य सभी बीमारियों का इलाज टाइअप के तहत निजी अस्पतालों में सुचारू रूप से चल रहा था। लेकिन अब मुख्यालय द्वारा जारी आदेश के बाद इसे बंद किया जा रहा है ,साथ ही मुख्यालय आदेश में इस बात को भी उल्लेखित किया गया है कि अब मरीजों को सारी सुविधाएं अस्पताल में मुहैया करानी है। जबकि अस्पताल में पहले से ही संसाधनों और मेन पावर समेत बेड की घोर किल्लत है।

क्या है सेकेंडरी टाई अप।

ईएसआई अस्पताल रोजाना इलाज के लिए आने वाले मरीजों को बेहतर चिकित्सकीय सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से निजी अस्पतालों के साथ टाई अप कर, बीमित व्यक्ति और आश्रितों को ईएसआई सुविधा के तहत इलाज करवाती है, जिससे अस्पताल पर अत्याधिक बोझ नहीं रहता ,जबकि मरीज भी निजी अस्पतालों में बेहतर इलाज कराते हैं। इसके एवज में ईएसआई अस्पताल निजी अस्पतालों को बिल का भुगतान करती है, वहीं गंभीर बीमारी रोग जिसमें हार्ट, किडनी और ब्रेन के इलाज को लेकर सुपर स्पेशलिटी टाई अप अभी जारी है, लेकिन मुख्यालय के आदेश पर सिर्फ सेकेंडरी टाई आप 1 फरवरी से बंद किया जा रहा है।

प्रतिमाह 500 मरीजों का होता है टाई अप अस्पताल में रेफर इलाज।

सरकार द्वारा प्रदत सेकेंडरी टाईअप सुविधा के तहत ईएसआईसी अस्पताल अब तक तकरीबन 500 इलाज रत मरीजों को टाई अप सुविधा के तहत निजी अस्पतालों में रेफर करती है ।जहां मरीज अपना बेहतर इलाज करा पाते हैं, वहीं इस सुविधा के बंद होने से अतिरिक्त बोझ झेल रहे अस्पताल पर अब प्रति माह 500 नए मरीजों का भी बोझ बढ़ेगा, जिससे निश्चित तौर पर अस्पताल द्वारा दिए जा रहे चिकित्सा व्यवस्था प्रभावित होगी।

निर्माणाधीन है 100 बेड वाला नया अस्पताल भवन।

ईएसआई अस्पताल में अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस नए 100 बेड वाले अस्पताल भवन का निर्माण प्रगति पर है लेकिन अब तक इसे शुरू नहीं किया जा सका है नतीजतन सिर्फ 50 बेड पर ही पूरे कोल्हान से आने वाले मरीजों का इलाज होता है ऐसे में सेकेंडरी टाई अप सुविधा बंद किए जाने के बाद स्थिति और भयावह हो जाएगी।


Conclusion:80 करोड़ प्रति साल मिलता है सरकार को राजस्व।

कर्मचारियों के अंश से प्रतिमाह वेतन के साथ ईएसआईसी सुविधा के रूप में शुल्क काटे जाते हैं ऐसे में पूरे कोल्हान से कर्मचारियों के अंश से ही अस्पताल को सालाना 80 करोड़ का राजस्व प्राप्त होता है ,बावजूद इसके अब भी अस्पताल में संसाधनों की घोर कमी है, तो वहीं डॉक्टरों की किल्लत मरीजों के इलाज में बाधा डालती है। साथ ही विशेषज्ञ की कमी होने से भी समुचित इलाज नहीं हो पाता।

इधर 1 फरवरी से दिल्ली मुख्यालय के आदेश पर सेकेंडरी टाइप सुविधा बंद किए जाने के बाद अस्पताल प्रबंधन के माथे पर चिंता की लकीरें बढ़ गई है खुद अस्पताल अधीक्षक भी मानते हैं कि बार-बार सरकार के समक्ष गुहार लगाने के बावजूद भी सरकार अस्पताल पर ध्यान नहीं दे रही तो वहीं चिकित्सक भी मानते हैं कि संसाधनों की कमी के कारण बेहतर चिकित्सा सुविधा मरीजों को उपलब्ध नहीं हो पाता जिसका खामियाजा ईएसआई के लाभुकों को ही उठाना पड़ता है।

बाइट- डॉक्टर नीरोज कुजूर , अस्पताल अधीक्षक , ईएसआई


बाइट- डॉ पी के सिंह, चिकित्सक, ईएसआई अस्पताल
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