सरायकेला: कोल्हान का एकमात्र कर्मचारी राज्य बीमा निगम अस्पताल ईएसआईसी बंद हो जाएगा. इस अस्पताल के 8 लाख आश्रितों को अब सेकेंडरी टाईअप के तहत प्रदान की जाने वाली सुविधा नहीं मिल पाएगी. कर्मचारी राज्य बीमा निगम, नई दिल्ली के आदेश पर ईएसआईसी अस्पताल को बंद किया जा रहा है.
कर्मचारी राज्य बीमा निगम के अस्पताल बंद होने से कोल्हान के लाखों परिवारों को इलाज को अब इलाज के लिए संकट आने वाला है. वर्तमान में कर्मचारी राज्य बीमा निगम अस्पताल में 2 लाख कर्मचारी हैं. बीमा वाले कर्मचारियों की आश्रितों की बात करें तो यह आंकड़ा लगभग 8 लाख तक का है. वर्तमान में ईएसआईसी अस्पताल में सिर्फ 50 बेड में सेकेंडरी टाईअप के तहत चल रहा है, लेकिन अब मुख्यालय की ओर से जारी आदेश के बाद इसको बंद करने की कवायद शुरु कर दी गई है.
क्या है सेकेंडरी टाईअप
ईएसआई अस्पताल रोजाना इलाज के लिए आने वाले मरीजों को बेहतर चिकित्सकीय सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से निजी अस्पतालों के साथ टाईअप की है. इसके बीमा वाले व्यक्ति और आश्रितों को ईएसआई सुविधा के तहत इलाज होता है. जिससे अस्पताल पर अत्याधिक बोझ नहीं रहता है. इसके एवज में ईएसआई अस्पताल निजी अस्पतालों को बिल का भुगतान करती है. वहीं, गंभीर बीमारी जिसमें हार्ट, किडनी और ब्रेन के इलाज को लेकर सुपर स्पेशलिटी टाईअप अभी जारी है, लेकिन मुख्यालय के आदेश पर सिर्फ सेकेंडरी टाईअप एक फरवरी से बंद हो जाएगा.
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हर महीने 500 मरीजों का होता है टाईअप अस्पताल में इलाज
सरकार की ओर से प्रदत सेकेंडरी टाईअप सुविधा के तहत ईएसआईसी अस्पताल अब तक करीब 500 इलाजरत मरीजों को टाईअप सुविधा के तहत निजी अस्पतालों में रेफर करती है. जहां मरीज अपना बेहतर इलाज करा पाते हैं. इस सुविधा के बंद होने से अतिरिक्त बोझ झेल रहे अस्पताल पर अब हर महीने 500 नए मरीजों का भी बोझ बढ़ेगा, जिससे निश्चित तौर पर अस्पताल की ओर से दिए जा रहे चिकित्सा व्यवस्था प्रभावित होगी.
निर्माणाधीन है 100 बेड वाला नया अस्पताल भवन
ईएसआई अस्पताल में अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस नए 100 बेड वाले अस्पताल भवन का निर्माण प्रगति पर है, लेकिन अब तक इसे शुरू नहीं किया जा सका है. जिसके कारण सिर्फ 50 बेड पर ही पूरे कोल्हान से आने वाले मरीजों का इलाज हो रहा है. ऐसे में सेकेंडरी टाईअप सुविधा बंद किए जाने के बाद स्थिति और भयावह हो सकती है.
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हर साल सरकार को मिलता है 80 करोड़ का राजस्व
कर्मचारियों से इलाज के एवज में प्रतिमाह उनके वेतन से ईएसआईसी सुविधा के लिए शुल्क काटे जाते हैं. ऐसे में पूरे कोल्हान से कर्मचारियों के अंश से ही अस्पताल को सालाना 80 करोड़ का राजस्व प्राप्त होता है. लेकिन इसके बावजूद भी अस्पताल में संसाधनों की घोर कमी है. वहीं, डॉक्टरों की कमी से मरीजों के इलाज में बाधा पहुंचती है. साथ ही विशेषज्ञ की कमी होने से भी समुचित इलाज नहीं हो पाता है.