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जल्द बंद होंगी BS-4 की गाड़ियां, 'औद्योगिक क्षेत्र में मंदी की मार से अगस्त महीने से सुधार'

मंदी की मार झेल रहे हो औद्योगिक क्षेत्र की अगस्त माह से सुधरेगी स्थिति. टाटा मोटर से 8 हजार गाड़ियों का मिला है ऑर्डर, वहीं फरवरी में बंद होंगे बीएस-4 गाड़ियां.

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जेआईएडीए
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Published : Jan 24, 2020, 11:46 AM IST

सरायकेला: भीषण मंदी की मार झेल रहे सरायकेला जिले के औद्योगिक क्षेत्र के कंपनियों को अभी अगस्त तक मंदी से उबरने में सफर तय करना है. आशा जताई जा रही है कि इस साल अगस्त माह से बाजार की स्थिति में सुधार होगी. जिसके बाद तकरीबन साल भर से बेपटरी हुए औद्योगिक क्षेत्र के गति को एक बार फिर रफ्तार मिलेगी.

देखें पूरी खबर

सुधार की स्थिति
टाटा मोटर्स पर आश्रित औद्योगिक क्षेत्र बीते दिसंबर माह से ऑटोमोबाइल सेक्टर में कुछ सुधार की स्थिति में आया है. दिसंबर महीने से औद्योगिक क्षेत्र को प्रति महीने 7 से 8 गाड़ियों के आर्डर मिलने लगे हैं. हालांकि जानकार इसे बेहतर मार्केट के तौर पर नहीं बल्कि स्थाई सुधार मानते हैं.

ये भी पढ़ें- आजीवन कारावास की सजा काट रहे 30 बंदी रिहा, कहा- अब नई जिंदगी की शुरुआत करेंगे

फरवरी महीने से बंद होंगी बीएस-4 इंजन गाड़ियां
ऑटोमोबाइल सेक्टर विशेषज्ञ मानते हैं कि 2 से 3 माह में मंदी की स्थिति और सेटलमेंट करने में वक्त लगेगा, जबकि अगस्त माह से नियमित आर्डर मिलने लगेंगे. वहीं, फरवरी माह से बीएस-4 इंजन वाली गाड़ियों का उत्पादन पूरी तरह से बंद हो जाएगा. जिसके बाद बीएस 6 गाड़ियों का उत्पादन शुरू होगा. नतीजतन ऑटोमोबाइल सेक्टर में एक बार फिर उछाल के संकेत मिल रहे हैं.

स्क्रेप पॉलिसी पर भी बाजार करेगा निर्भर
पुरानी गाड़ियों को हटाने के लिए सरकार की नई स्क्रेपिंग पॉलिसी भी लागू होना है. जानकार मानते हैं कि सरकार इसे जब तक क्लियर नहीं करेगी तब तक पुरानी गाड़ियां सड़कों से नहीं हटेगी. लिहाजा बीएस 6 के लागू होने के बाद भी मंदी प्रभावित रह सकता है. अगर सरकार बीएस 6 लाने के साथ नई स्क्रेपिंग पॉलिसी भी लागू करती है तो इससे बाजार में फिर उछाल आ जाएगा.

ये भी पढ़ें- बुंडू सूर्य मंदिर में 25 और 26 जनवरी को मेले का आयोजन, 25 साल पुराना है इतिहास

तीन कारणों से ऑटोमोबाइल सेक्टर पर पड़ा है मंदी का असर
सरायकेला औद्योगिक क्षेत्र में मंदी के तीन प्रमुख कारण अब तक सामने आए हैं. इनमें मुख्य रूप से स्क्रेपिंग पॉलिसी, इलेक्ट्रिक वाहनों की लॉन्चिंग और बीएस-4 के बजाय बीएस 6 लॉन्च करना मुख्य कारण में शुमार है. स्थानीय उद्यमी मानते हैं कि वर्तमान में जितने गाड़ियों का आर्डर है उतनी गाड़ी ही बनाने के लिए ऑर्डर लिए जा रहे हैं, स्टॉक के लिए इन व्यवस्थाओं में सुधार आने के बाद ही ऑटोमोबाइल कंपनियों की भी स्थिति में फिर से सुधार देखने को मिलेगी.

दिन प्रतिदन और भयावह होती जा रही स्थिति
जबकि, ऑटोमोबाइल सेक्टर से जुड़े कुछ उद्यमी मानते हैं कि मंदी से स्थिति दिन पर दिन और भयावह होती जा रही है. नतीजतन सरकार को इस ओर अविलंब ध्यान देना चाहिए और नए नीतियों का भी गठन किया जाना चाहिए.

ये भी पढ़ें- अधिकारियों ने लिखी खुले में शौचमुक्त भारत की नई कहानी, लाभुक की बढ़ाई परेशानी

बेहतर बाजार का इंतजार करना होगा
पिछले 8 महीनों से मंदी की मार झेल रहे औद्योगिक क्षेत्र को अभी अगस्त महीने तक बेहतर बाजार का इंतजार करना होगा. इस बीच सरकार की ओर से ऑटोमोबाइल सेक्टर से जुड़े नए पॉलिसी को लागू किए जाने से कयास लगाए जा रहे हैं कि मंदी की स्थिति से ऑटोमोबाइल क्षेत्र जल्द उबर पाए.

सरायकेला: भीषण मंदी की मार झेल रहे सरायकेला जिले के औद्योगिक क्षेत्र के कंपनियों को अभी अगस्त तक मंदी से उबरने में सफर तय करना है. आशा जताई जा रही है कि इस साल अगस्त माह से बाजार की स्थिति में सुधार होगी. जिसके बाद तकरीबन साल भर से बेपटरी हुए औद्योगिक क्षेत्र के गति को एक बार फिर रफ्तार मिलेगी.

देखें पूरी खबर

सुधार की स्थिति
टाटा मोटर्स पर आश्रित औद्योगिक क्षेत्र बीते दिसंबर माह से ऑटोमोबाइल सेक्टर में कुछ सुधार की स्थिति में आया है. दिसंबर महीने से औद्योगिक क्षेत्र को प्रति महीने 7 से 8 गाड़ियों के आर्डर मिलने लगे हैं. हालांकि जानकार इसे बेहतर मार्केट के तौर पर नहीं बल्कि स्थाई सुधार मानते हैं.

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फरवरी महीने से बंद होंगी बीएस-4 इंजन गाड़ियां
ऑटोमोबाइल सेक्टर विशेषज्ञ मानते हैं कि 2 से 3 माह में मंदी की स्थिति और सेटलमेंट करने में वक्त लगेगा, जबकि अगस्त माह से नियमित आर्डर मिलने लगेंगे. वहीं, फरवरी माह से बीएस-4 इंजन वाली गाड़ियों का उत्पादन पूरी तरह से बंद हो जाएगा. जिसके बाद बीएस 6 गाड़ियों का उत्पादन शुरू होगा. नतीजतन ऑटोमोबाइल सेक्टर में एक बार फिर उछाल के संकेत मिल रहे हैं.

स्क्रेप पॉलिसी पर भी बाजार करेगा निर्भर
पुरानी गाड़ियों को हटाने के लिए सरकार की नई स्क्रेपिंग पॉलिसी भी लागू होना है. जानकार मानते हैं कि सरकार इसे जब तक क्लियर नहीं करेगी तब तक पुरानी गाड़ियां सड़कों से नहीं हटेगी. लिहाजा बीएस 6 के लागू होने के बाद भी मंदी प्रभावित रह सकता है. अगर सरकार बीएस 6 लाने के साथ नई स्क्रेपिंग पॉलिसी भी लागू करती है तो इससे बाजार में फिर उछाल आ जाएगा.

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तीन कारणों से ऑटोमोबाइल सेक्टर पर पड़ा है मंदी का असर
सरायकेला औद्योगिक क्षेत्र में मंदी के तीन प्रमुख कारण अब तक सामने आए हैं. इनमें मुख्य रूप से स्क्रेपिंग पॉलिसी, इलेक्ट्रिक वाहनों की लॉन्चिंग और बीएस-4 के बजाय बीएस 6 लॉन्च करना मुख्य कारण में शुमार है. स्थानीय उद्यमी मानते हैं कि वर्तमान में जितने गाड़ियों का आर्डर है उतनी गाड़ी ही बनाने के लिए ऑर्डर लिए जा रहे हैं, स्टॉक के लिए इन व्यवस्थाओं में सुधार आने के बाद ही ऑटोमोबाइल कंपनियों की भी स्थिति में फिर से सुधार देखने को मिलेगी.

दिन प्रतिदन और भयावह होती जा रही स्थिति
जबकि, ऑटोमोबाइल सेक्टर से जुड़े कुछ उद्यमी मानते हैं कि मंदी से स्थिति दिन पर दिन और भयावह होती जा रही है. नतीजतन सरकार को इस ओर अविलंब ध्यान देना चाहिए और नए नीतियों का भी गठन किया जाना चाहिए.

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बेहतर बाजार का इंतजार करना होगा
पिछले 8 महीनों से मंदी की मार झेल रहे औद्योगिक क्षेत्र को अभी अगस्त महीने तक बेहतर बाजार का इंतजार करना होगा. इस बीच सरकार की ओर से ऑटोमोबाइल सेक्टर से जुड़े नए पॉलिसी को लागू किए जाने से कयास लगाए जा रहे हैं कि मंदी की स्थिति से ऑटोमोबाइल क्षेत्र जल्द उबर पाए.

Intro:भीषण मंदी की मार झेल रहे सरायकेला जिले के औद्योगिक क्षेत्र के कंपनियों को अभी अगस्त तक मंदी से उबरने में सफर तय करना है, आशा जताई जा रही है कि इस साल अगस्त माह से बाजार की स्थिति में सुधार होगी ,जिसके बाद तकरीबन साल भर से बे पटरी हुए औद्योगिक क्षेत्र के गति को एक बार फिर रफ्तार मिलेगी।


Body:टाटा मोटर्स पर आश्रित औद्योगिक क्षेत्र बीते दिसंबर माह से ऑटोमोबाइल सेक्टर में कुछ सुधार की स्थिति में आया है। दिसंबर महीने से औद्योगिक क्षेत्र को प्रति महीने 7 से 8 गाड़ियों के आर्डर मिलने प्राप्त हुए हैं ,हालांकि जानकार इसे बेहतर मार्केट के तौर पर नहीं बल्कि स्थाई सुधार मानते हैं।

फरवरी माह से बंद होंगे बीएस-4 गाड़ियां

ऑटोमोबाइल सेक्टर विशेषज्ञ मानते हैं कि 2 से 3 माह में मंदी की स्थिति और सेटलमेंट करने में वक्त लगेगा, जबकि अगस्त माह से नियमित आर्डर प्राप्त होने लगेगा ।वहीं फरवरी माह से बीएस-4 इंजन गाड़ियों का उत्पादन पूरी तरह से बंद हो जाएगा। जिसके बाद बीएस 6 गाड़ियों का उत्पादन शुरू होगा, नतीजतन ऑटोमोबाइल सेक्टर में एक बार फिर उछाल के संकेत मिल रहे हैं।

स्क्रैप पॉलिसी पर भी बाजार करेगा निर्भर।

पुरानी गाड़ियों को हटाने के लिए सरकार की नई स्क्रेपिंग पॉलिसी भी लागू होना है ,जानकार मानते हैं कि सरकार इसे जब तक क्लियर नहीं करेगी तब तक पुरानी गाड़ियां सड़कों से नहीं हटेगी ।लिहाजा बीएस 6 के लागू होने के बाद भी मंदी प्रभावित रह सकता है, अगर सरकार बीएस 6 लाने के साथ नई स्क्रेपिंग पॉलिसी भी लागू करती है तो इससे बाजार में फिर उछाल आ जाएगा।

तीन कारणों से ऑटोमोबाइल सेक्टर पर पड़ा है मंदी का असर।

सरायकेला औद्योगिक क्षेत्र में मंदी के तीन प्रमुख कारण अब तक सामने आए हैं ,इनमें मुख्य रूप से स्क्रेपिंग पॉलिसी, इलेक्ट्रिक वाहनों की लॉन्चिंग और बीएस-4 के बजाय बीएस 6 लॉन्च करना मुख्य कारण में शुमार है। स्थानीय उद्यमी मानते हैं कि वर्तमान में जितने गाड़ियों का आर्डर है उतनी गाड़ी ही बनाने के लिए ऑर्डर लिए जा रहे हैं, स्टॉक के लिए इन व्यवस्थाओं में सुधार आने के बाद ही ऑटोमोबाइल कंपनियों की भी स्थिति में फिर से सुधार देखने को मिलेगी।

जबकि ऑटोमोबाइल सेक्टर से जुड़े कुछ उद्यमी मानते हैं कि मंदी से स्थिति दिन पर दिन और भयावह होती जा रही है नतीजतन सरकार को इस ओर अविलंब ध्यान देना चाहिए। और नए नीतियों का भी गठन किया जाना चाहिए।


Conclusion:विगत 8 महीनों से मंदी की मार झेल रहे औद्योगिक क्षेत्र को अभी अगस्त महीने तक बेहतर बाजार का इंतजार करना होगा। इस बीच सरकार द्वारा ऑटोमोबाइल सेक्टर से जुड़े नए पॉलिसी को लागू किए जाने से कयास लगाए जा रहे हैं कि मंदी की स्थिति से ऑटोमोबाइल क्षेत्र जल्द उबर पाए।

बाइट- गंगा प्रसाद शर्मा , ऑटोमोबाइल उद्यमी।

बाइट- इंदर अग्रवाल , अध्यक्ष, स्माल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन
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