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सरायकेला में जल संचय पर परिचर्चा का आयोजन, जल संकट पर चेताया - 22 March World Water Day

विश्व जल दिवस के उपलक्ष्य में सरायकेला में जल संचय को लेकर परिचर्चा आयोजित की गई. परिचर्चा में शामिल लोगों और पर्यावरणविद अमरेश कुमार ने जल संरक्षण को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी.

Discussion held on water storage in Seraikela
सरायकेला में जल संचय को लेकर परिचर्चा आयोजित
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Published : Mar 22, 2021, 6:19 PM IST

सरायकेला: लगभग 10 वर्षों बाद मानव जीवन पानी के बिना घोर संकट में आ सकता है. साल 2030 तक शायद भूजल ना रहे. ऐसे में अगर आज से ही जल का संचय नहीं किया गया तो स्थिति भयंकर होगी. ये बातें पर्यावरणविद अमरेश कुमार ने 22 मार्च विश्व जल दिवस के मौके पर आयोजित परिचर्चा के दौरान कही.

जानकारी देते पर्यावरणविद

ये भी पढ़ें-गिरिडीह: जल संचय के लिए श्रमदान कर हो रहा तालाब का गहरीकरण, किसानों को होगा फायदा

विश्व जल दिवस के अवसर पर आदित्यपुर में पर्यावरणविद अमरेश कुमार की ओर से जल संचय को लेकर एक परिचर्चा आयोजित की गई, जिसमें जल संरक्षण के मुद्दे पर वक्तव्य देते हुए उन्होंने बताया कि नीति आयोग की ओर से प्रकाशित कंपोजिट वाटर मैनेजमेंट इंडेक्स रिपोर्ट में देश के 21 ऐसे शहरों को शामिल किया गया है, जहां साल 2030 तक भू-जल उपलब्ध नहीं होगा. दुर्भाग्यवश इस सूची में जमशेदपुर शहर का भी नाम शामिल है. अमरेश कुमार ने बताया कि इस रिपोर्ट में झारखंड राज्य को 100 में से मात्र 35 अंक के साथ सबसे निचला पायदान प्राप्त हुआ है, जो चिंता का विषय है.

वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लागू करना जरुरी

परिचर्चा में शामिल अन्य लोगों ने भी जल संरक्षण को लेकर अपने विचार रखें. आदित्यपुर नगर निगम क्षेत्र में व्याप्त पेयजल संकट को लेकर कई मुद्दों पर चर्चा की गई, जिसमें मुख्य रूप से सीतारामपुर डैम का साफ ना होना और गंजिया बराज के ना बनने से भविष्य में यहां पानी की किल्लत पर चिंता जाहिर की गई.

वहीं, पर्यावरणविद अमरेश कुमार ने बताया कि शहरी क्षेत्र में सख्ती से रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को लागू करना होगा. इसके अलावा जल संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करना भी अहम है. शहरी क्षेत्र में छोटे तालाब या डोभा निर्माण कर भूजल का स्तर बनाया जा सकता है.

सरायकेला: लगभग 10 वर्षों बाद मानव जीवन पानी के बिना घोर संकट में आ सकता है. साल 2030 तक शायद भूजल ना रहे. ऐसे में अगर आज से ही जल का संचय नहीं किया गया तो स्थिति भयंकर होगी. ये बातें पर्यावरणविद अमरेश कुमार ने 22 मार्च विश्व जल दिवस के मौके पर आयोजित परिचर्चा के दौरान कही.

जानकारी देते पर्यावरणविद

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विश्व जल दिवस के अवसर पर आदित्यपुर में पर्यावरणविद अमरेश कुमार की ओर से जल संचय को लेकर एक परिचर्चा आयोजित की गई, जिसमें जल संरक्षण के मुद्दे पर वक्तव्य देते हुए उन्होंने बताया कि नीति आयोग की ओर से प्रकाशित कंपोजिट वाटर मैनेजमेंट इंडेक्स रिपोर्ट में देश के 21 ऐसे शहरों को शामिल किया गया है, जहां साल 2030 तक भू-जल उपलब्ध नहीं होगा. दुर्भाग्यवश इस सूची में जमशेदपुर शहर का भी नाम शामिल है. अमरेश कुमार ने बताया कि इस रिपोर्ट में झारखंड राज्य को 100 में से मात्र 35 अंक के साथ सबसे निचला पायदान प्राप्त हुआ है, जो चिंता का विषय है.

वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लागू करना जरुरी

परिचर्चा में शामिल अन्य लोगों ने भी जल संरक्षण को लेकर अपने विचार रखें. आदित्यपुर नगर निगम क्षेत्र में व्याप्त पेयजल संकट को लेकर कई मुद्दों पर चर्चा की गई, जिसमें मुख्य रूप से सीतारामपुर डैम का साफ ना होना और गंजिया बराज के ना बनने से भविष्य में यहां पानी की किल्लत पर चिंता जाहिर की गई.

वहीं, पर्यावरणविद अमरेश कुमार ने बताया कि शहरी क्षेत्र में सख्ती से रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को लागू करना होगा. इसके अलावा जल संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करना भी अहम है. शहरी क्षेत्र में छोटे तालाब या डोभा निर्माण कर भूजल का स्तर बनाया जा सकता है.

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