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Padmashree Chhutni Mahto: सरायकेला में जोरदार स्वागत के साथ हुआ नागरिक अभिनंदन - congratulated Padmashree Chhutni Mahto in Seraikela

सरायकेला में पद्मश्री छूटनी महतो का नागरिक अभिनंदन हुआ. राष्ट्रपति के हाथों पद्मश्री सम्मान लेकर लौटी छूटनी महतो का घर पहुंचने पर लोगों ने जोरदार स्वागत किया.

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पद्मश्री छूटनी महतो
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Published : Nov 11, 2021, 9:38 PM IST

Updated : Nov 11, 2021, 9:47 PM IST

सरायकेला: पद्मश्री छूटनी महतो (Padmashree Chhutni Mahto) गुरुवार को देर शाम अपने गांव पहुंचीं, जहां विभिन्न सामाजिक संगठन, राजनीतिक दल और आम लोगों ने उनका नागरिक अभिनंदन किया. तकरीबन तीन दशक से डायन प्रताड़ना को लेकर सजगता के साथ कार्य करने वाली छुटनी महतो सरायकेला जिला के गम्हरिया स्थित बीरबास पंचायत की रहने वाली है और इस साल वो पद्मश्री सम्मान से नवाजी गयी हैं. इसको लेकर उनके गांव में जश्न का माहौल है.

इसे भी पढ़ें- Padmashree Chutni Devi: पद्मश्री से सम्मानित होकर रांची लौटी छुटनी देवी, झारखंड में डायन प्रथा के खिलाफ कर रहीं काम

विगत 9 नवंबर को राष्ट्रपति की ओर से छूटनी महतो (Chhutni Mahto) को डायन प्रताड़ित महिलाओं के विरुद्ध उन्मूलन अभियान चलाया जाने के लिए पद्मश्री का सम्मान दिया गया. इससे पूर्व इस वर्ष 25 जनवरी को छूटनी महतो को पद्मश्री दिए जाने के लिए चुना गया था और उनके नाम की घोषणा की गई थी. जिसके बाद से लगातार छूटनी के लिए सम्मान समारोह आयोजित किया जा रहा है. गुरुवार देर शाम अपने गांव पहुंचने पर पद्मश्री छुटनी महतो काफी खुश नजर आयीं और उन्होंने सम्मान समारोह आयोजित करने वाले तमाम लोगों का शुक्रिया अदा किया.

देखें पूरी खबर
मरते दम तक जारी रहेगा डायन प्रताड़ना के खिलाफ संघर्ष- पद्मश्री छुटनी महतोछूटनी महतो ने पद्मश्री सम्मान पाने के बाद गांव पहुंचने पर पत्रकारों को बताया कि डायन प्रताड़ित महिलाओं को लेकर उनकी जंग अंतिम सांस तक चलेगी. भोलाडीह स्थित परिवार परामर्श केंद्र शाखा कार्यालय की प्रमुख पद्मश्री छुटनी देवी अपने केंद्र में आने वाली सभी महिलाओं को ना सिर्फ बचाती हैं, बल्कि प्रताड़ित करने वाले लोगों को सजा भी दिलवाती हैं.

इसे भी पढ़ें- छुटनी महतो आखिर कैसे बनीं पद्मश्री छुटनी महतो? जानिए पूरी कहानी

डायन-बिसाही के खिलाफ लोगों को लगातार जागरूक करने के लिए पद्मश्री छुटनी देवी ने कई अभियान चलाए हैं. बतौर समाजसेवी छुटनी देवी की ख्याति अब इतनी बढ़ गई है कि सरायकेला समेत आसपास क्षेत्र के अलावा पड़ोसी राज्य ओडिशा और पश्चिम बंगाल से भी प्रताड़ित महिलाएं परामर्श केंद्र पहुंचती हैं.

सरायकेला: पद्मश्री छूटनी महतो (Padmashree Chhutni Mahto) गुरुवार को देर शाम अपने गांव पहुंचीं, जहां विभिन्न सामाजिक संगठन, राजनीतिक दल और आम लोगों ने उनका नागरिक अभिनंदन किया. तकरीबन तीन दशक से डायन प्रताड़ना को लेकर सजगता के साथ कार्य करने वाली छुटनी महतो सरायकेला जिला के गम्हरिया स्थित बीरबास पंचायत की रहने वाली है और इस साल वो पद्मश्री सम्मान से नवाजी गयी हैं. इसको लेकर उनके गांव में जश्न का माहौल है.

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विगत 9 नवंबर को राष्ट्रपति की ओर से छूटनी महतो (Chhutni Mahto) को डायन प्रताड़ित महिलाओं के विरुद्ध उन्मूलन अभियान चलाया जाने के लिए पद्मश्री का सम्मान दिया गया. इससे पूर्व इस वर्ष 25 जनवरी को छूटनी महतो को पद्मश्री दिए जाने के लिए चुना गया था और उनके नाम की घोषणा की गई थी. जिसके बाद से लगातार छूटनी के लिए सम्मान समारोह आयोजित किया जा रहा है. गुरुवार देर शाम अपने गांव पहुंचने पर पद्मश्री छुटनी महतो काफी खुश नजर आयीं और उन्होंने सम्मान समारोह आयोजित करने वाले तमाम लोगों का शुक्रिया अदा किया.

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मरते दम तक जारी रहेगा डायन प्रताड़ना के खिलाफ संघर्ष- पद्मश्री छुटनी महतोछूटनी महतो ने पद्मश्री सम्मान पाने के बाद गांव पहुंचने पर पत्रकारों को बताया कि डायन प्रताड़ित महिलाओं को लेकर उनकी जंग अंतिम सांस तक चलेगी. भोलाडीह स्थित परिवार परामर्श केंद्र शाखा कार्यालय की प्रमुख पद्मश्री छुटनी देवी अपने केंद्र में आने वाली सभी महिलाओं को ना सिर्फ बचाती हैं, बल्कि प्रताड़ित करने वाले लोगों को सजा भी दिलवाती हैं.

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डायन-बिसाही के खिलाफ लोगों को लगातार जागरूक करने के लिए पद्मश्री छुटनी देवी ने कई अभियान चलाए हैं. बतौर समाजसेवी छुटनी देवी की ख्याति अब इतनी बढ़ गई है कि सरायकेला समेत आसपास क्षेत्र के अलावा पड़ोसी राज्य ओडिशा और पश्चिम बंगाल से भी प्रताड़ित महिलाएं परामर्श केंद्र पहुंचती हैं.

Last Updated : Nov 11, 2021, 9:47 PM IST
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