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छात्रों से गुलजार रहने वाला हॉस्टल और पीजी वीरान, निजी हॉस्टल-पीजी संचालकों की भी स्थिति दयनीय

नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में अब 6 महीने बीतने के बाद फाइनल ईयर के छात्र अपने सामानों को बटोर अपने घर ले जाने को विवश हैं. संक्रमण के खतरे को देखते हुए कॉलेज प्रबंधन द्वारा लगातार कई एहतियात कदम उठाए जा रहे हैं. विगत कई दिनों से छात्र बारी-बारी से आकर अब हॉस्टल में रखे अपने वेडिंग समेत अन्य सामानों को धीरे-धीरे खाली कर रहे हैं.

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Published : Sep 30, 2020, 5:49 AM IST

Updated : Sep 30, 2020, 5:08 PM IST

bad condition of Private hostel pg owner in seraikela
bad condition of Private hostel pg owner in seraikela

सरायकेला: जिले के नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एनआईटी के सभी हॉस्टलों को खाली करा दिया गया. ऐसे में संक्रमण रोकने के उद्देश्य से छात्रों को तत्काल घर भेज दिया गया था. 6 महीने का समय बीत चुका है. लेकिन अब तक स्कूल-कॉलेज शैक्षणिक संस्थान खोले जाने की कोई स्पष्ट नीति नहीं बन पाई है, जिसके कारण लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है और वे प्रशासन से मदद की गुहार लगा रहे हैं.

देखें स्पेशल खबर
6 महीने बाद भी स्थिति दयनीय

नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में अब 6 महीने बीतने के बाद फाइनल ईयर के छात्र अपने सामानों को बटोर अपने घर ले जाने को विवश हैं. संक्रमण के खतरे को देखते हुए कॉलेज प्रबंधन द्वारा लगातार कई एहतियात कदम उठाए जा रहे हैं. विगत कई दिनों से छात्र बारी-बारी से आकर अब हॉस्टल में रखे अपने वेडिंग समेत अन्य सामानों को धीरे-धीरे खाली कर रहे हैं. छात्र बताते हैं कि हॉस्टल अचानक बंद होने से मार्च महीने में इन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. लेकिन सरकार और कॉलेज प्रबंधन की ओर से यह कदम छात्रों के हित में ही उठाया गया था.

सबसे बड़ा बाधक इंटरनेट कनेक्टिविटी

हॉस्टल बंद रहने के कारण छात्रों को पढ़ाई में कई तकलीफों का सामना करना पड़ता है. नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एमएससी फाइनल ईयर के छात्र विकास महतो बताते हैं कि घर में रहकर ऑनलाइन शिक्षा प्राप्त करना और क्लास रूम में बैठकर शिक्षा प्राप्त करना इन दोनों में जमीन आसमान का फर्क है. ऑनलाइन क्लास रूम कल्चर अभी पूरी तरह भारत में डेवलप नहीं हो सका है, इसमें कई खामियां मौजूद हैं. इसमें सबसे बड़ा बाधक इंटरनेट कनेक्टिविटी रहता है तो वही ऑनलाइन पढ़ाई में इंटरेक्शन नहीं हो पाता ऐसे में छात्रों के मन में विषय को लेकर जाहिर शंका का समाधान नहीं हो पाता है.

कॉलेज की पढ़ाई कारगार

फाइनल ईयर एमएससी के छात्र विजय कुमार साव बताते हैं कि, कॉलेज और हॉस्टल की पढ़ाई काफी कारगर और मददगार है. छात्र पढ़ाई के दौरान हॉस्टल में रहते हुए एक दूसरे छात्र के लगातार संपर्क में रहते हैं और सभी विषयों पर खुलकर चर्चाएं होती है. ऐसे में शिक्षा का और ज्ञान का आदान-प्रदान होता है, जो इस संक्रमण काल में नहीं हो पा रहा है.

कॉलेज प्रबंधन ने हॉस्टल में किए सुरक्षा के इंतजाम

नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के चीफ वार्डन अशोक कुमार ने बताया कि आज एनआईटी कॉलेज में कुल 13 हॉस्टल हैं, जिनमें हजारों की संख्या में बीटेक, एमटेक, एमएससी ,एमसीए और पीएचडी के छात्र अध्ययन के दौरान रहते हैं. लेकिन लॉकडाउन होने के बाद सभी हॉस्टलों को खाली करा दिया गया था. चीफ वार्डन अशोक कुमार ने बताया कि 6 महीने तक हॉस्टल बंद रहे हैं, ऐसे में संस्थान ने सभी हॉस्टल में मेंटेनेंस और रिनोवेशन कार्य करवाए हैं.

चीफ वार्डन ने दावा किया कि सरकार की ओर से जब भी कॉलेज और हॉस्टल खोले जाने संबंधित आदेश दिए जाएंगे. उस दिन से एनआईटी कॉलेज हुई पूरी तरह से तैयार रहेगा, इन्होंने बताया कि हॉस्टल और कॉलेज बंद रहने के बावजूद भी समय-समय पर कैंपस में साफ-सफाई और सेनेटाइजेशन कार्य निरंतर जारी है.

इसे भी पढ़ें-रांची में अपराध पर ब्रेक लगाने की योजना, हर थाने में तैयार हो रही गुंडा सूची

प्राइवेट पीजी और हॉस्टल संचालकों का भी हाल खस्ता

सरकारी संस्थान और हॉस्टल बंद है. इसके अलावा निजी हॉस्टल और पेइंग गेस्ट रखने वालों की स्थिति अब और भी बदतर हो गई है, एनआईटी कॉलेज के आस पास चलने वाले कई पीजी और प्राइवेट हॉस्टल संचालकों को अब भी इंतजार है कि जल्द से जल्द हॉस्टल और कॉलेज खुले. ताकि एक बार फिर छात्र इन हॉस्टल और पीजी में रह सके.

क्या कहते हैं हॉस्टल संचालक

हॉस्टल संचालक जवाहर लाल सिंह ने बताया कि वे टाटा स्टील में कार्यरत थे. नौकरी से रिटायर होने के बाद इन्होंने अपने जीवन की जमा पूंजी लगाकर घर बनाया, जिसमें हॉस्टल और पी जी खोला. ताकि आमदनी का स्रोत बना रहे, लेकिन लॉकडाउन होने के कोरोना काल में 6 महीने बीत जाने के बाद भी अब तक इनके प्राइवेट हॉस्टल के कमरे नहीं खुले हैं और न ही छात्र रहने आ रहे हैं. ऐसे में छात्र इन कमरों के किराए देने में भी असमर्थ हैं, लिहाजा संचालक वित्तीय संकट का सामना करना पड़ रहा है.

आर्थिक स्थिति दयनीय

छात्राओं को किराए पर कमरे देने वाली मीना सिंह बताती है कि कोरना के इस काल ने सभी वर्ग के लोगों को अपनी चपेट में लिया है. स्कूल कॉलेज यूनिवर्सिटी लगातार बंद है. ऐसे में पीजी और हॉस्टल में रहने वाले छात्र भी अपने घरों में रहने को मजबूर हैं. संचालिका बताती हैं कि अप्रैल से मई महीने में सभी स्कूल- कॉलेज और शिक्षण संस्थानों में नए सत्र की शुरुआत होती थी, जिसके बाद हॉस्टल और पीजी में रहने वाले बड़ी संख्या में आते थे. लेकिन अब तक हॉस्टल और कॉलेजों में दाखिला नहीं हो पाया है, लिहाजा इनके हॉस्टल में भी छात्राओं ने कमरे नहीं लिए हैं.

वैश्विक महामारी की मार और असर लगभग सभी क्षेत्रों में अपने पांव पसार चुका है और लगभग सभी क्षेत्र में इसके को प्रभाव देखने को मिल रहे हैं, हर आम और खास आज वैश्विक महामारी की चपेट में है, अब हर एक तबके को एक ही आस है कि जल्द से जल्द यह वैश्विक आपदा टले और लोग एक बार आम दिनों की तरह लोगों की जिंदगानी पटरी पर आए.

सरायकेला: जिले के नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एनआईटी के सभी हॉस्टलों को खाली करा दिया गया. ऐसे में संक्रमण रोकने के उद्देश्य से छात्रों को तत्काल घर भेज दिया गया था. 6 महीने का समय बीत चुका है. लेकिन अब तक स्कूल-कॉलेज शैक्षणिक संस्थान खोले जाने की कोई स्पष्ट नीति नहीं बन पाई है, जिसके कारण लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है और वे प्रशासन से मदद की गुहार लगा रहे हैं.

देखें स्पेशल खबर
6 महीने बाद भी स्थिति दयनीय

नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में अब 6 महीने बीतने के बाद फाइनल ईयर के छात्र अपने सामानों को बटोर अपने घर ले जाने को विवश हैं. संक्रमण के खतरे को देखते हुए कॉलेज प्रबंधन द्वारा लगातार कई एहतियात कदम उठाए जा रहे हैं. विगत कई दिनों से छात्र बारी-बारी से आकर अब हॉस्टल में रखे अपने वेडिंग समेत अन्य सामानों को धीरे-धीरे खाली कर रहे हैं. छात्र बताते हैं कि हॉस्टल अचानक बंद होने से मार्च महीने में इन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. लेकिन सरकार और कॉलेज प्रबंधन की ओर से यह कदम छात्रों के हित में ही उठाया गया था.

सबसे बड़ा बाधक इंटरनेट कनेक्टिविटी

हॉस्टल बंद रहने के कारण छात्रों को पढ़ाई में कई तकलीफों का सामना करना पड़ता है. नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एमएससी फाइनल ईयर के छात्र विकास महतो बताते हैं कि घर में रहकर ऑनलाइन शिक्षा प्राप्त करना और क्लास रूम में बैठकर शिक्षा प्राप्त करना इन दोनों में जमीन आसमान का फर्क है. ऑनलाइन क्लास रूम कल्चर अभी पूरी तरह भारत में डेवलप नहीं हो सका है, इसमें कई खामियां मौजूद हैं. इसमें सबसे बड़ा बाधक इंटरनेट कनेक्टिविटी रहता है तो वही ऑनलाइन पढ़ाई में इंटरेक्शन नहीं हो पाता ऐसे में छात्रों के मन में विषय को लेकर जाहिर शंका का समाधान नहीं हो पाता है.

कॉलेज की पढ़ाई कारगार

फाइनल ईयर एमएससी के छात्र विजय कुमार साव बताते हैं कि, कॉलेज और हॉस्टल की पढ़ाई काफी कारगर और मददगार है. छात्र पढ़ाई के दौरान हॉस्टल में रहते हुए एक दूसरे छात्र के लगातार संपर्क में रहते हैं और सभी विषयों पर खुलकर चर्चाएं होती है. ऐसे में शिक्षा का और ज्ञान का आदान-प्रदान होता है, जो इस संक्रमण काल में नहीं हो पा रहा है.

कॉलेज प्रबंधन ने हॉस्टल में किए सुरक्षा के इंतजाम

नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के चीफ वार्डन अशोक कुमार ने बताया कि आज एनआईटी कॉलेज में कुल 13 हॉस्टल हैं, जिनमें हजारों की संख्या में बीटेक, एमटेक, एमएससी ,एमसीए और पीएचडी के छात्र अध्ययन के दौरान रहते हैं. लेकिन लॉकडाउन होने के बाद सभी हॉस्टलों को खाली करा दिया गया था. चीफ वार्डन अशोक कुमार ने बताया कि 6 महीने तक हॉस्टल बंद रहे हैं, ऐसे में संस्थान ने सभी हॉस्टल में मेंटेनेंस और रिनोवेशन कार्य करवाए हैं.

चीफ वार्डन ने दावा किया कि सरकार की ओर से जब भी कॉलेज और हॉस्टल खोले जाने संबंधित आदेश दिए जाएंगे. उस दिन से एनआईटी कॉलेज हुई पूरी तरह से तैयार रहेगा, इन्होंने बताया कि हॉस्टल और कॉलेज बंद रहने के बावजूद भी समय-समय पर कैंपस में साफ-सफाई और सेनेटाइजेशन कार्य निरंतर जारी है.

इसे भी पढ़ें-रांची में अपराध पर ब्रेक लगाने की योजना, हर थाने में तैयार हो रही गुंडा सूची

प्राइवेट पीजी और हॉस्टल संचालकों का भी हाल खस्ता

सरकारी संस्थान और हॉस्टल बंद है. इसके अलावा निजी हॉस्टल और पेइंग गेस्ट रखने वालों की स्थिति अब और भी बदतर हो गई है, एनआईटी कॉलेज के आस पास चलने वाले कई पीजी और प्राइवेट हॉस्टल संचालकों को अब भी इंतजार है कि जल्द से जल्द हॉस्टल और कॉलेज खुले. ताकि एक बार फिर छात्र इन हॉस्टल और पीजी में रह सके.

क्या कहते हैं हॉस्टल संचालक

हॉस्टल संचालक जवाहर लाल सिंह ने बताया कि वे टाटा स्टील में कार्यरत थे. नौकरी से रिटायर होने के बाद इन्होंने अपने जीवन की जमा पूंजी लगाकर घर बनाया, जिसमें हॉस्टल और पी जी खोला. ताकि आमदनी का स्रोत बना रहे, लेकिन लॉकडाउन होने के कोरोना काल में 6 महीने बीत जाने के बाद भी अब तक इनके प्राइवेट हॉस्टल के कमरे नहीं खुले हैं और न ही छात्र रहने आ रहे हैं. ऐसे में छात्र इन कमरों के किराए देने में भी असमर्थ हैं, लिहाजा संचालक वित्तीय संकट का सामना करना पड़ रहा है.

आर्थिक स्थिति दयनीय

छात्राओं को किराए पर कमरे देने वाली मीना सिंह बताती है कि कोरना के इस काल ने सभी वर्ग के लोगों को अपनी चपेट में लिया है. स्कूल कॉलेज यूनिवर्सिटी लगातार बंद है. ऐसे में पीजी और हॉस्टल में रहने वाले छात्र भी अपने घरों में रहने को मजबूर हैं. संचालिका बताती हैं कि अप्रैल से मई महीने में सभी स्कूल- कॉलेज और शिक्षण संस्थानों में नए सत्र की शुरुआत होती थी, जिसके बाद हॉस्टल और पीजी में रहने वाले बड़ी संख्या में आते थे. लेकिन अब तक हॉस्टल और कॉलेजों में दाखिला नहीं हो पाया है, लिहाजा इनके हॉस्टल में भी छात्राओं ने कमरे नहीं लिए हैं.

वैश्विक महामारी की मार और असर लगभग सभी क्षेत्रों में अपने पांव पसार चुका है और लगभग सभी क्षेत्र में इसके को प्रभाव देखने को मिल रहे हैं, हर आम और खास आज वैश्विक महामारी की चपेट में है, अब हर एक तबके को एक ही आस है कि जल्द से जल्द यह वैश्विक आपदा टले और लोग एक बार आम दिनों की तरह लोगों की जिंदगानी पटरी पर आए.

Last Updated : Sep 30, 2020, 5:08 PM IST

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