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सरायकेला: दुर्गा पूजा पर खंडा धुआं शस्त्र पूजन का कार्यक्रम, राज परिवार की है प्राचीन परंपरा - सरायकेला में खंडा धुआं शस्त्र पूजन का कार्यक्रम

सरायकेला के परंपरागत पूजा परंपरा के तहत महासप्तमी की पूजा के साथ खंडा धुआं शस्त्र पूजन का कार्यक्रम किया गया.

खंडा धुआं शस्त्र पूजन
खंडा धुआं शस्त्र पूजन
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Published : Oct 23, 2020, 2:41 AM IST

सरायकेला: मां दुर्गा के वार्षिक पूजन उत्सव पर सरायकेला के परंपरागत पूजा परंपरा के तहत महासप्तमी की पूजा के साथ खंडा धुआं शस्त्र पूजन का कार्यक्रम किया गया.

इस अवसर पर सरायकेला राजा आदित्य प्रताप सिंहदेव के नेतृत्व में राज परिवार के पुरुष सदस्य खंडाघर ( राज शस्त्रागार) में पहुंचे.जहां शस्त्र को धारण कर पैदल चलते हुए सभी माजना घाट पहुंचे.

खरकाई नदी के तट पर स्थित माजना घाट पर शस्त्रों की धुलाई और साफ-सफाई करने के पश्चात माता वनदुर्गा का आह्वान कर पूजा आराधना की गई.

जिसके बाद सभी ने शस्त्र धारण किए. गाजे-बाजे के साथ शस्त्र लेकर सभी पैदल चलते हुए पब्लिक दुर्गा पूजा मंडप पहुंचे, जहां संकल्प के साथ मां दुर्गा के चरणों में शस्त्र समर्पित करते हुए शस्त्र पूजन किया गया.

यह भी पढ़ेंः मिलावटी डीजल का चल रहा था कारोबार, पुलिस ने दो कारोबारी को किया अरेस्ट

इसी के साथ परंपरा अनुसार अगले 3 दिनों विजयादशमी तक के लिए राजा सहित राज परिवार के सदस्यों द्वारा शस्त्र नहीं उठाया जाएगा.

ना ही इस दौरान पेड़ पौधे या फिर नाखून ही काटे जाएंगे. विजयादशमी पर मां अपराजिता की पूजा के पश्चात पुनः राज परिवार के सदस्य माता के चरणों से उठाकर शस्त्र धारण करेंगे.

सरायकेला: मां दुर्गा के वार्षिक पूजन उत्सव पर सरायकेला के परंपरागत पूजा परंपरा के तहत महासप्तमी की पूजा के साथ खंडा धुआं शस्त्र पूजन का कार्यक्रम किया गया.

इस अवसर पर सरायकेला राजा आदित्य प्रताप सिंहदेव के नेतृत्व में राज परिवार के पुरुष सदस्य खंडाघर ( राज शस्त्रागार) में पहुंचे.जहां शस्त्र को धारण कर पैदल चलते हुए सभी माजना घाट पहुंचे.

खरकाई नदी के तट पर स्थित माजना घाट पर शस्त्रों की धुलाई और साफ-सफाई करने के पश्चात माता वनदुर्गा का आह्वान कर पूजा आराधना की गई.

जिसके बाद सभी ने शस्त्र धारण किए. गाजे-बाजे के साथ शस्त्र लेकर सभी पैदल चलते हुए पब्लिक दुर्गा पूजा मंडप पहुंचे, जहां संकल्प के साथ मां दुर्गा के चरणों में शस्त्र समर्पित करते हुए शस्त्र पूजन किया गया.

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इसी के साथ परंपरा अनुसार अगले 3 दिनों विजयादशमी तक के लिए राजा सहित राज परिवार के सदस्यों द्वारा शस्त्र नहीं उठाया जाएगा.

ना ही इस दौरान पेड़ पौधे या फिर नाखून ही काटे जाएंगे. विजयादशमी पर मां अपराजिता की पूजा के पश्चात पुनः राज परिवार के सदस्य माता के चरणों से उठाकर शस्त्र धारण करेंगे.

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