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विश्व एड्स दिवस: HIV मरीजों का राम भरोसे चल रहा इलाज, टेलीमेडिसिन के जरिए दी जा रही दवा - Jharkhand news

एक दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है. इस दिन लोगों को जागरूक किया जाता है ताकि एचआईवी जैसे बीमारी को फैलने से रोका जा सके और इसे जड़ से खत्म किया जा सके. हालांकि साहिबगंज में एड्स के मरीजों का इलाज राम भरोसे ही चल रहा है (HIV victims are not being treated properly).

victims are not being treated properly in Sahibganj Sadar Hospital
victims are not being treated properly in Sahibganj Sadar Hospital
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Published : Nov 30, 2022, 10:34 PM IST

साहिबगंज: एक दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है. इस अवसर पर लोगों को एड्स का बारे में जागरूक किया जाता है. इसके साथ ही एचआईवी के मरीजों का समुचित इलाज जीवन पर्यंत किया जाता है (HIV victims are not being treated properly). हालांकि साहिबगंज में एआरटी सेंटर भगवान भरोसे चल रहा है. आईसीटीसी में जांच के बाद मरीज को इलाज के लिए एआरटी सेंटर भेजा जाता है. जहां एड्स के मरीजों को डॉक्टर, फार्मासिस्ट सहित अन्य स्टाफ की देखरेख में दवा दी जाती है.

ये भी पढ़ें: विश्व एड्स दिवस: झारखंड में इस वर्ष एक हजार से अधिक मिले नए HIV पॉजिटिव, 2030 तक राज्य एड्स मुक्त बनाने का लक्ष्य

साहिबगंज सदर अस्पताल में साल 2020 में तैयार सेंटर में 10 पदों पर बहाली हुई थी जिसमें स्पेशलिस्ट डॉक्टर ने ज्वाइन नहीं किया था. फार्मासिस्ट और काउंसलर को दूसरे स्थल पर प्रतिनियुक्त कर दिया गया. शेष बचे कर्मी के भरोसे एआरटी सेंटर चलाया जा रहा है. हालांकि वैकल्पिक व्यवस्था टेलीमेडिसिन के माध्यम से मरीज को दवा दी जाती है. करोना काल में एड्स मरीज की संख्या में कमी हुई है. लगातार दो साल तक लॉकडाउन लगने के वजह से मजदूर किस्म के लोग बाहर कमाने के लिए नहीं जा सके और जो गए वापस लौट कर दोबारा नहीं गए. जिसकी वजह से पिछले तीन साल में एड्स मरीज की संख्या में कमी देखी गई है.

आईसीटीसी सेंटर साहिबगंज में तीन जगह चल रहा है, जहां मरीजो की अलग-अलग तरीके से जांच की जाती है. पहला साहिबगंज सदर अस्पताल, दूसरा राजमहल अनुमंडल और तीसरा उधवा में किया जाता है. एक स्वास्थ्य कर्मी ने बताया कि एड्स मरीज की संख्या लॉकडाउन में कम मिली है या फिर मरीज जांच कराने ही नहीं आए हैं, जिसकी वजह से पिछले तीन साल में कम मरीजों की संख्या कम रिकॉर्ड की गई है. हालांकि एड्स मरीज की संख्या राजमहल और उधवा प्रखंड में सबसे अधिक मिलती है. क्योंकि उस क्षेत्र के लोग बाहर मजदूरी करने के लिए जाते हैं और असुरक्षित यौन संबंध बनाने के दौरान एड्स से पीड़ित हो जाते हैं. वापस घर आने के बाद अपनी पत्नी और अन्य लोगों को फैलाते हैं.


साहिबगंज में 2008 से 2022 तक 305 एड्स मरीज मिले हैं. वहीं राजमहल में 2009 से 2022 तक 451 मरीज मिले हैं. इसके अलावा उधवा में 2010 से 2022 तक 872 मरीज मिले हैं.

सिविल सर्जन रामदेव पासवान ने बताया कि साहिबगंज में एड्स के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए पंपलेट, नुक्कड़ नाटक जैसे माध्यमों का इस्तेमाल किया जाता है. लोगों को सुरक्षित यौन संबंध बनाने की अपील की जाती है. उन्होंने ये भी कहा कि जल्द ही एआरटी सेंटर को मजबूत किया जाएगा और डॉक्टर की की जाएगी. साहिबगंज जिले में एड्स मरीजों की संख्या ना बढ़े. इसके लिए राजमहल और उधवा क्षेत्र में जागरूकता अभियान युद्ध स्तर पर चलाई जाएगी.

साहिबगंज: एक दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है. इस अवसर पर लोगों को एड्स का बारे में जागरूक किया जाता है. इसके साथ ही एचआईवी के मरीजों का समुचित इलाज जीवन पर्यंत किया जाता है (HIV victims are not being treated properly). हालांकि साहिबगंज में एआरटी सेंटर भगवान भरोसे चल रहा है. आईसीटीसी में जांच के बाद मरीज को इलाज के लिए एआरटी सेंटर भेजा जाता है. जहां एड्स के मरीजों को डॉक्टर, फार्मासिस्ट सहित अन्य स्टाफ की देखरेख में दवा दी जाती है.

ये भी पढ़ें: विश्व एड्स दिवस: झारखंड में इस वर्ष एक हजार से अधिक मिले नए HIV पॉजिटिव, 2030 तक राज्य एड्स मुक्त बनाने का लक्ष्य

साहिबगंज सदर अस्पताल में साल 2020 में तैयार सेंटर में 10 पदों पर बहाली हुई थी जिसमें स्पेशलिस्ट डॉक्टर ने ज्वाइन नहीं किया था. फार्मासिस्ट और काउंसलर को दूसरे स्थल पर प्रतिनियुक्त कर दिया गया. शेष बचे कर्मी के भरोसे एआरटी सेंटर चलाया जा रहा है. हालांकि वैकल्पिक व्यवस्था टेलीमेडिसिन के माध्यम से मरीज को दवा दी जाती है. करोना काल में एड्स मरीज की संख्या में कमी हुई है. लगातार दो साल तक लॉकडाउन लगने के वजह से मजदूर किस्म के लोग बाहर कमाने के लिए नहीं जा सके और जो गए वापस लौट कर दोबारा नहीं गए. जिसकी वजह से पिछले तीन साल में एड्स मरीज की संख्या में कमी देखी गई है.

आईसीटीसी सेंटर साहिबगंज में तीन जगह चल रहा है, जहां मरीजो की अलग-अलग तरीके से जांच की जाती है. पहला साहिबगंज सदर अस्पताल, दूसरा राजमहल अनुमंडल और तीसरा उधवा में किया जाता है. एक स्वास्थ्य कर्मी ने बताया कि एड्स मरीज की संख्या लॉकडाउन में कम मिली है या फिर मरीज जांच कराने ही नहीं आए हैं, जिसकी वजह से पिछले तीन साल में कम मरीजों की संख्या कम रिकॉर्ड की गई है. हालांकि एड्स मरीज की संख्या राजमहल और उधवा प्रखंड में सबसे अधिक मिलती है. क्योंकि उस क्षेत्र के लोग बाहर मजदूरी करने के लिए जाते हैं और असुरक्षित यौन संबंध बनाने के दौरान एड्स से पीड़ित हो जाते हैं. वापस घर आने के बाद अपनी पत्नी और अन्य लोगों को फैलाते हैं.


साहिबगंज में 2008 से 2022 तक 305 एड्स मरीज मिले हैं. वहीं राजमहल में 2009 से 2022 तक 451 मरीज मिले हैं. इसके अलावा उधवा में 2010 से 2022 तक 872 मरीज मिले हैं.

सिविल सर्जन रामदेव पासवान ने बताया कि साहिबगंज में एड्स के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए पंपलेट, नुक्कड़ नाटक जैसे माध्यमों का इस्तेमाल किया जाता है. लोगों को सुरक्षित यौन संबंध बनाने की अपील की जाती है. उन्होंने ये भी कहा कि जल्द ही एआरटी सेंटर को मजबूत किया जाएगा और डॉक्टर की की जाएगी. साहिबगंज जिले में एड्स मरीजों की संख्या ना बढ़े. इसके लिए राजमहल और उधवा क्षेत्र में जागरूकता अभियान युद्ध स्तर पर चलाई जाएगी.

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