साहिबगंज: झारखंड के साहिबगंज में शवों की बोली लगाई जाती है. जी हां भले ही सुनने में यो थोड़ा अजीब लग रहा हो लेकिन यह सौलह आने सच है. यहां के अवैध पत्थर खदानों और क्रशर में काम कर रहे मजदूरों की यदि हादसे में मौत हो जाए तो यहां के पत्थर व्यवसायी मात्र 10 से 50 हजार रुपए तक को मुआवजा देकर परिजनों से केस रफा-दफा कर लेते हैं.
मामूली रकम देकर करते हैं केस रफा-दफा
दरअसल, संथाल परगना प्रमंडल के अंतर्गत आनेवाले इस जिले में पत्थर का कारोबार और क्रशर तेजी से फल-फूल रहा है. इस दौरान यहां काम करनेवालों के साथ-साथ राहगीरों की कई बार हादसों में जान भी चली जाती है. पत्थर व्यवसायियों का कारोबार ठप न हो इसलिए वे जल्द से जल्द मामले का निपटारा चाहते हैं. इसी कड़ी में वे लोग मरनेवालों के परिजनों को 10 से 50 हजार रूपए तक को मुआवजा देकर केस रफा- दफा करा लेते हैं.
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कई पंचायतों में संचालित है अवैध पत्थर खदान
इस मामले पर स्थानीय लोगों का कहना है कि पिछले एक साल से जिले के कोटलपोखर, सकरी गली, लोहंडा और मिर्जा चौकी के महादेव बरन पंचायत में हो रहे अवैध खनन और क्रशर में लगातार मजदूरों की मौत हो रही है. मजदूरों की मौत होने पर पत्थर व्यवसायी शव का दाम लगाकर परिजन का मुंह बंद कर देते हैं और प्रशासनिक महकमे को मैनेज कर लिया जाता है.
प्रशासन देता रहा गोल-मटोल जवाब
इस पूरे मामले पर उपायुक्त वरुण रंजन ने कहा कि जिला टास्क फोर्स की बैठक में निर्णय लिया गया है कि मजदूर को सेल्फी किट मुहैया कराया जाए. समय-समय उनका स्वास्थ्य जांच भी कराया जाए. श्रम विभाग से जोड़कर इनको इंश्योरेंस और पेंशन मुहैया कराया जाए लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ और नजर नहीं आ रहा है. वहीं जिला खनन पदाधिकरी विभूति कुमार ने दावा किया है कि किसी भी कीमत में अवैध माइनिंग से पर्यावरण को प्रदूषित होने नहीं दिया जाएगा. लेकिन उनकी कथनी और करनी में जमीन-आसमान का अंतर है. यहां हर दिन प्रशासनिक आदेश को ठेंगा दिखाकर पत्थर व्यवसाई अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं.