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यहां हर दिन लगती है 'मौत की बोली', प्रशासन को ठेंगा दिखाकर 'चांदी' काट रहे पत्थर माफिया

साहिबगंज में अवैध पत्थर खदानों और क्रशर में काम कर रहे मजदूरों की यदि हादसे में मौत हो जाए तो यहां के पत्थर व्यवसायी मात्र 10 से 50 हजार रुपए तक को मुआवजा देकर परिजनों से केस रफा-दफा कर लेते हैं.

Stone mafia, पत्थर माफिया
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Published : Feb 8, 2020, 11:13 PM IST

साहिबगंज: झारखंड के साहिबगंज में शवों की बोली लगाई जाती है. जी हां भले ही सुनने में यो थोड़ा अजीब लग रहा हो लेकिन यह सौलह आने सच है. यहां के अवैध पत्थर खदानों और क्रशर में काम कर रहे मजदूरों की यदि हादसे में मौत हो जाए तो यहां के पत्थर व्यवसायी मात्र 10 से 50 हजार रुपए तक को मुआवजा देकर परिजनों से केस रफा-दफा कर लेते हैं.

देखें स्पेशल स्टोरी

मामूली रकम देकर करते हैं केस रफा-दफा
दरअसल, संथाल परगना प्रमंडल के अंतर्गत आनेवाले इस जिले में पत्थर का कारोबार और क्रशर तेजी से फल-फूल रहा है. इस दौरान यहां काम करनेवालों के साथ-साथ राहगीरों की कई बार हादसों में जान भी चली जाती है. पत्थर व्यवसायियों का कारोबार ठप न हो इसलिए वे जल्द से जल्द मामले का निपटारा चाहते हैं. इसी कड़ी में वे लोग मरनेवालों के परिजनों को 10 से 50 हजार रूपए तक को मुआवजा देकर केस रफा- दफा करा लेते हैं.

ये भी पढ़ें- मां विंध्यवासिनी के दरबार पहुंचे सीएम हेमंत सोरेन, कहा- राज्य की खुशहाली के लिए की पूजा

कई पंचायतों में संचालित है अवैध पत्थर खदान
इस मामले पर स्थानीय लोगों का कहना है कि पिछले एक साल से जिले के कोटलपोखर, सकरी गली, लोहंडा और मिर्जा चौकी के महादेव बरन पंचायत में हो रहे अवैध खनन और क्रशर में लगातार मजदूरों की मौत हो रही है. मजदूरों की मौत होने पर पत्थर व्यवसायी शव का दाम लगाकर परिजन का मुंह बंद कर देते हैं और प्रशासनिक महकमे को मैनेज कर लिया जाता है.

प्रशासन देता रहा गोल-मटोल जवाब
इस पूरे मामले पर उपायुक्त वरुण रंजन ने कहा कि जिला टास्क फोर्स की बैठक में निर्णय लिया गया है कि मजदूर को सेल्फी किट मुहैया कराया जाए. समय-समय उनका स्वास्थ्य जांच भी कराया जाए. श्रम विभाग से जोड़कर इनको इंश्योरेंस और पेंशन मुहैया कराया जाए लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ और नजर नहीं आ रहा है. वहीं जिला खनन पदाधिकरी विभूति कुमार ने दावा किया है कि किसी भी कीमत में अवैध माइनिंग से पर्यावरण को प्रदूषित होने नहीं दिया जाएगा. लेकिन उनकी कथनी और करनी में जमीन-आसमान का अंतर है. यहां हर दिन प्रशासनिक आदेश को ठेंगा दिखाकर पत्थर व्यवसाई अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं.

साहिबगंज: झारखंड के साहिबगंज में शवों की बोली लगाई जाती है. जी हां भले ही सुनने में यो थोड़ा अजीब लग रहा हो लेकिन यह सौलह आने सच है. यहां के अवैध पत्थर खदानों और क्रशर में काम कर रहे मजदूरों की यदि हादसे में मौत हो जाए तो यहां के पत्थर व्यवसायी मात्र 10 से 50 हजार रुपए तक को मुआवजा देकर परिजनों से केस रफा-दफा कर लेते हैं.

देखें स्पेशल स्टोरी

मामूली रकम देकर करते हैं केस रफा-दफा
दरअसल, संथाल परगना प्रमंडल के अंतर्गत आनेवाले इस जिले में पत्थर का कारोबार और क्रशर तेजी से फल-फूल रहा है. इस दौरान यहां काम करनेवालों के साथ-साथ राहगीरों की कई बार हादसों में जान भी चली जाती है. पत्थर व्यवसायियों का कारोबार ठप न हो इसलिए वे जल्द से जल्द मामले का निपटारा चाहते हैं. इसी कड़ी में वे लोग मरनेवालों के परिजनों को 10 से 50 हजार रूपए तक को मुआवजा देकर केस रफा- दफा करा लेते हैं.

ये भी पढ़ें- मां विंध्यवासिनी के दरबार पहुंचे सीएम हेमंत सोरेन, कहा- राज्य की खुशहाली के लिए की पूजा

कई पंचायतों में संचालित है अवैध पत्थर खदान
इस मामले पर स्थानीय लोगों का कहना है कि पिछले एक साल से जिले के कोटलपोखर, सकरी गली, लोहंडा और मिर्जा चौकी के महादेव बरन पंचायत में हो रहे अवैध खनन और क्रशर में लगातार मजदूरों की मौत हो रही है. मजदूरों की मौत होने पर पत्थर व्यवसायी शव का दाम लगाकर परिजन का मुंह बंद कर देते हैं और प्रशासनिक महकमे को मैनेज कर लिया जाता है.

प्रशासन देता रहा गोल-मटोल जवाब
इस पूरे मामले पर उपायुक्त वरुण रंजन ने कहा कि जिला टास्क फोर्स की बैठक में निर्णय लिया गया है कि मजदूर को सेल्फी किट मुहैया कराया जाए. समय-समय उनका स्वास्थ्य जांच भी कराया जाए. श्रम विभाग से जोड़कर इनको इंश्योरेंस और पेंशन मुहैया कराया जाए लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ और नजर नहीं आ रहा है. वहीं जिला खनन पदाधिकरी विभूति कुमार ने दावा किया है कि किसी भी कीमत में अवैध माइनिंग से पर्यावरण को प्रदूषित होने नहीं दिया जाएगा. लेकिन उनकी कथनी और करनी में जमीन-आसमान का अंतर है. यहां हर दिन प्रशासनिक आदेश को ठेंगा दिखाकर पत्थर व्यवसाई अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं.

Intro:अवैध माइनिंग और क्रसर में मजदूर की मौत पर लगता है शव का बोली। 10 से 50 हजार तक मामला होता है रफा दफा,बाबू से लेकर नीचे तक होते है मैनेज। उपायुक्त के आदेश का ठेंगा दिखा रहे है माइनिंग ऑफिसर और पत्थर ब्यवसा --- शव का लगता है बोली जी हां सुनने में आश्चर्य होता होगा लेकिन झारखंड के साहिबगंज जिला में अवैध पत्थर खदान या क्रशर में काम कर रहे मजदूर की मौत यदि एक्सीडेंट से हो जाती है तो पत्थर व्यवसाई दस से पचास हजार तक परिजन को मुआवजा देकर केस को रफा-दफा कर लेते हैं।

नोट-- रिपोर्टर एप्प से visual फ़ाइल कर चुका हूं। उस विसुल मे मोजो से भेजे गए visual को add कर दिया जाय तो खबर पूरी हो जाएगी।सर

बाइट-- क्रमशः - बाइट-- 1-2-- स्थानीय
बाइट 3-- डीसी
बाइट--4- खनन पदाधिकारी, का है।



Body:अवैध माइनिंग और क्रसर में मजदूर की मौत पर लगता है शव का बोली। 10 से 50 हजार तक मामला होता है रफा दफा,बाबू से लेकर नीचे तक होते है मैनेज। उपायुक्त के आदेश का ठेंगा दिखा रहे है माइनिंग ऑफिसर और पत्थर ब्यवसाई।
स्पेशल स्टोरी-साहिबगंज-- शव का लगता है बोली जी हां सुनने में आश्चर्य होता होगा लेकिन झारखंड के साहिबगंज जिला में अवैध पत्थर खदान या क्रशर में काम कर रहे मजदूर की मौत यदि एक्सीडेंट से हो जाती है तो पत्थर व्यवसाई दस से पचास हजार तक परिजन को मुआवजा देकर केस को रफा-दफा कर लेते हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि विगत एक साल से जिला के कोटलपोखर, सकरी गली ,लोहंडा और मिर्जाचौकी के महादेव बरन पंचायत में हो रहे अवैध खनन और क्रेसर में लगातार मजदूर की मौत हो रही है मजदूर की मौत होने पर पत्थर व्यवसाई शव का दाम लगाकर परिजन का मुँह बंद कर दिया जाता हैं और प्रशासनिक महकमा को मैनेज कर लिया जाता है।
बाइट--1- श्याम सुंदर पोद्दार,स्थानीय
बाइट--2- मुरली तिवारी,स्थानीय
उपायुक्त के आदेश का ठेंगा दिखा रहे हैं जिला खनन पदाधिकारी और पत्थर व्यवसाई। जिला में लगातार पत्थर खदान और क्रसर में मजदूर की मौत हो रही है लेकिन शव का दाम लगाकर मैनेज कर लिया जाता है । उपायुक्त ने कहा कि जिला टास्क फोर्स की बैठक में निर्णय लिया गया है कि मजदूर को सेल्फी किट मुहैया कराया जाए समय-समय पर स्वास्थ्य जांच कराया जाय। श्रम विभाग से जोड़कर इनको इंश्योरेंस और पेंशन मुहैया कराया जाए। लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ और नजर आ रहा है।
बाइट--3-- वरुण रंजन- डीसी, साहिबगंज
जिला खनन अधिकारी ने दावा किया है कि किसी भी सूरत में अवैध माइनिंग और पर्यावरण को प्रदूषित नहीं होने दिया जाएगा। जिला खनन पदाधिकारी के बोलने और करवाई करने में जमीन आसमान का अंतर है ।आये दिन मजदूर की मौत हो रही है लेकिन माइनिंग ऑफिसर को कुछ भी नहीं दिख रहा है ।उपायुक्त के आदेश का ठेंगा दिखा रहे है।
बाइट--विभूति कुमार,खनन पदाधिकारी, साहिबगंज
आये दिन मजदूर की मौत होना और मजदूर के शव का दाम लगाकर केस का राफा दफा का सिलसिला जिला में बरसों पुरानी कहानी चल रही है ।किसी मजदूर की मौत हो जाती है तो बाबू साहब से लेकर नीचे तक मैनेज पैसे से मालामाल पत्थर व्यवसाई कर लेते हैं निश्चित रूप से अवैध खदान और क्रेशर में काम कर रहे हैं मजदूर की को सेफ्टी किट और इंश्योरेंस होना चाहिए।
शिव शंकर कुमार,ईटीवी भारत,साहिबगंज


Conclusion:कल की एक घटना है जिला के मिर्जाचौकी थाना अंतर्गत महादेव बरन में अवैध माइनिंग में काम कर रहे मजदूर की मौत हाईवा का चपेट में आने से मौत हो जाती है। पत्थर व्यवसाई तारकेश्वर जयसवाल द्वारा केस को रफा दफा कर लिया जाता है । - इस तरह रोजाना किसी न किसी मजदूर की मौत होती है यदि किसी मजदूर की मौत होती है तो उचित कार्रवाई होनी चाहिए.। सही रूप से मुआवजा मिलना चाहिए और अवैध खदान को बंद करना चाहिए। साथी ही काम कर रहे मजदूर को सेफ्टी किट मुहैया कराना चाहिए। तभी मौत का खेल रुक सकता है।
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