साहिबगंजः जिला के सदर अस्पताल में इन दिनों स्वास्थ्य सुविधाओं में अव्यवस्था देखी जा रही है. आलम यह है कि सुबह 10 बजे से मरीजों की भीड़ डॉक्टर को दिखाने के लिए उमड़ पड़ती है. फिर भी मरीजों की संख्या न तो कम होती है और न ही निर्धारित समय से पहले ओपीडी की सेवा खत्म हो पाती है. वजह यह है कि एक डॉक्टर के भरोसे ओपीडी और इमरजेंसी सेवा निर्भर है.
साहिबगंज के सबसे बड़े अस्पताल की स्थिति ऐसी है कि एक डॉक्टर के भरोसे सदर अस्पताल टिका हुआ है. एक डॉक्टर ओपीडी सेवा और इमरजेंसी सेवा दोनों देखते हैं. हर वार्ड में मरीजों का भी हाल जानने के लिए एक या दो राउंड चक्कर लगाने पड़ते हैं. मरीजों की भीड़ इतनी उमड़ पड़ती है कि एक डॉक्टर मरीजों को संभालने में पूरी तरह असमर्थ रहते है. डॉक्टर भी परेशान होकर अस्पताल के बरामदे में टहलने के लिए चले जाते हैं. फिर जब मन करता है तो दोबारा आकर मरीजों को देखते हैं.
अस्पताल के ओपीडी में लाइन में खड़े कुछ मरीजों का कहना है कि भीड़ इतनी अधिक है कि उनका नंबर आने में शाम हो सकती है. जिला का इतना बड़ा अस्पताल और ओपीडी, इमरजेंसी सेवा एक डॉक्टर के भरोसे छोड़ दिया गया है. अभी 3 डॉक्टरों को मरीजों को देखने के लिए होना चाहिए था. जिससे जल्द से जल्द भीड़ में लगे मरीजों का इलाज हो सके. लेकिन ऐसा नहीं है सरकार, जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधि किसी को आम जनता के लिए कुछ नहीं कर रहे हैं.
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सिविल सर्जन कहते हैं कि लगातार डॉक्टरों का स्थानंतरण और रिटायरमेंट हो रहा है. झारखंड सरकार डॉक्टरों को यहां पदस्थापित नहीं कर रही है. यही वजह है कि जिले में 30 डॉक्टर के भरोसे साहिबगंज जिला टिका हुआ है. जनता को परेशानी का सामना करना पड़ता है. उन्होंने कहा कि मामला संज्ञान में आ गया है. झारखंड सरकार को डॉक्टरों की कमी की सूचना दी जाएगी.