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साहिबगंजः तीन महीने बाद भी नहीं मिला रजिस्ट्रेशन पेपर, सखी मंडल समूह की महिलाओं की बढ़ी चिंता

साहिबगंज के सखी मंडल समूह (Sakhi Mandal Group) की महिलाओं की चिंता इन दिनों बढ़ती जा रही है. करीब तीन महीने पहले सखी मंडल समूह की महिलाओं को 29 ट्रैक्टर बांटे गए थे. लेकिन अब तक इन गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन पेपर नहीं दिया गया है. इस मामले में एक बड़ी प्रशासनिक चूक उजागर हुई है.

sahibganj tractor news
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Published : Oct 9, 2021, 2:29 PM IST

साहिबगंजः जिले की महिलाओं को कृषि कार्य में आत्मनिर्भर बनाने के लिए राज्य सरकार कई योजनाएं चला रही है. इसी कड़ी में 17 जुलाई को टाउन हॉल में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें सखी मंडल समूह की महिलाओं को 29 ट्रैक्टर बांटे गए. महिलाओं को ये ट्रैक्टर 80 फीसदी अनुदान और 20 फीसदी अंशदान पर दिए गए. अब करीब 3 महीने बाद महिलाओं के समूह से पैन कार्ड मांगा जा रहा है और इसके बिना गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन नहीं हो पा रहा है.

ये भी पढ़ें-गांव की महिलाएं बन रही हैं आत्मनिर्भर, चूल्हा-चौका छोड़ हाथों में थामी ट्रैक्टर की स्टेरिंग

झारखंड सरकार के निर्देश पर जिला प्रशासन ने आनन फानन में महिंद्रा कंपनी के 29 ट्रैक्टर समूह की महिलाओं को सौंप दिए लेकिन जब 3 महीने बीतने के बाद भी महिलाओं को रजिस्ट्रेशन पेपर नहीं मिला तब जाकर चूक की बात सामने आई. अब जिला प्रशासन की मुश्किलें बढ़ चुकी है क्योंकि महिंद्रा कंपनी ने महिलाओं के ग्रुप के नाम से पैन कार्ड मांगा है, तभी गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन हो सकेगा. सखी मंडल समूह की महिलाओं को चिंता सता रहा है कि कहीं परिवहन विभाग गाड़ी सीज ना कर ले.

वीडियो में देखिए पूरी खबर

महिला समूहों की चिंता

कृषि कार्य में महिलाओं को सक्षम बनाने के लिए ट्रैक्टर के साथ कृषि उपकरण भी बांटे गए थे ताकि वे वैज्ञानिक तरीके से खेती कर सकें. कार्यक्रम के दौरान जिला भूमि संरक्षण विभाग एवं जेएसएलपीएस ग्रामीण विकास विभाग की पहल पर महिंद्रा कंपनी से सखी मंडल समूह को ट्रैक्टर दिया था. उस समय महिला समूहों से किसी तरह के दस्तावेज की मांग नहीं की गई थी. अब इन ग्रामीण महिलाओं से पैन कार्ड की जानकारी मांगी जा रही है. महिलाओं का कहना है कि वे इतने गरीब हैं कि पैन कार्ड जैसा कभी कुछ ध्यान में ही नहीं आया. अब चिंता इस बात की है कि ट्रैक्टर के कागजात नहीं मिले तो परिवहन विभाग गाड़ियों को सीज कर सकता है.

ये भी पढ़ें-हेमंत सरकार की इस पहल ने संथाली आदिवासी महिलाओं की परेशानी को किया दूर, जानिए क्या है वह


क्या कहते हैं अधिकारी

इस मामले का खुलासा तब हुआ जब ईटीवी भारत ने भूमि संरक्षण पदाधिकारी सुबोध प्रसाद सिंह से इस मुद्दे पर सवाल किया. उन्होंने बताया कि मसला वास्तव में गंभीर है. महिंद्रा कंपनी सभी सखी मंडल समूह से पैन कार्ड मांगा रही है. फिलहाल समूह से जुड़ी किसी भी महिला के पास पैन कार्ड नहीं है और समूह का भी पैन कार्ड नहीं बना है.

भूमि संरक्षण पदाधिकारी सुबोध प्रसाद सिंह ने कहा कि साहिबगंज परिवहन पदाधिकारी से बातचीत करनी होगा ताकि इस मामले का समाधान किया जा सके. उन्होंने भरोसा जताया कि परिवहन विभाग से बातचीत के बाद हल निकाल लिया जाएगा. इस बीच वे ट्रैक्टर कंपनी केअधिकारी से भी संपर्क कर रहे हैं. उन्होंने महिला समूहों को भी आश्वसत किया है कि जल्द ही इस परेशानी से निजात मिल जाएगी.

साहिबगंजः जिले की महिलाओं को कृषि कार्य में आत्मनिर्भर बनाने के लिए राज्य सरकार कई योजनाएं चला रही है. इसी कड़ी में 17 जुलाई को टाउन हॉल में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें सखी मंडल समूह की महिलाओं को 29 ट्रैक्टर बांटे गए. महिलाओं को ये ट्रैक्टर 80 फीसदी अनुदान और 20 फीसदी अंशदान पर दिए गए. अब करीब 3 महीने बाद महिलाओं के समूह से पैन कार्ड मांगा जा रहा है और इसके बिना गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन नहीं हो पा रहा है.

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झारखंड सरकार के निर्देश पर जिला प्रशासन ने आनन फानन में महिंद्रा कंपनी के 29 ट्रैक्टर समूह की महिलाओं को सौंप दिए लेकिन जब 3 महीने बीतने के बाद भी महिलाओं को रजिस्ट्रेशन पेपर नहीं मिला तब जाकर चूक की बात सामने आई. अब जिला प्रशासन की मुश्किलें बढ़ चुकी है क्योंकि महिंद्रा कंपनी ने महिलाओं के ग्रुप के नाम से पैन कार्ड मांगा है, तभी गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन हो सकेगा. सखी मंडल समूह की महिलाओं को चिंता सता रहा है कि कहीं परिवहन विभाग गाड़ी सीज ना कर ले.

वीडियो में देखिए पूरी खबर

महिला समूहों की चिंता

कृषि कार्य में महिलाओं को सक्षम बनाने के लिए ट्रैक्टर के साथ कृषि उपकरण भी बांटे गए थे ताकि वे वैज्ञानिक तरीके से खेती कर सकें. कार्यक्रम के दौरान जिला भूमि संरक्षण विभाग एवं जेएसएलपीएस ग्रामीण विकास विभाग की पहल पर महिंद्रा कंपनी से सखी मंडल समूह को ट्रैक्टर दिया था. उस समय महिला समूहों से किसी तरह के दस्तावेज की मांग नहीं की गई थी. अब इन ग्रामीण महिलाओं से पैन कार्ड की जानकारी मांगी जा रही है. महिलाओं का कहना है कि वे इतने गरीब हैं कि पैन कार्ड जैसा कभी कुछ ध्यान में ही नहीं आया. अब चिंता इस बात की है कि ट्रैक्टर के कागजात नहीं मिले तो परिवहन विभाग गाड़ियों को सीज कर सकता है.

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क्या कहते हैं अधिकारी

इस मामले का खुलासा तब हुआ जब ईटीवी भारत ने भूमि संरक्षण पदाधिकारी सुबोध प्रसाद सिंह से इस मुद्दे पर सवाल किया. उन्होंने बताया कि मसला वास्तव में गंभीर है. महिंद्रा कंपनी सभी सखी मंडल समूह से पैन कार्ड मांगा रही है. फिलहाल समूह से जुड़ी किसी भी महिला के पास पैन कार्ड नहीं है और समूह का भी पैन कार्ड नहीं बना है.

भूमि संरक्षण पदाधिकारी सुबोध प्रसाद सिंह ने कहा कि साहिबगंज परिवहन पदाधिकारी से बातचीत करनी होगा ताकि इस मामले का समाधान किया जा सके. उन्होंने भरोसा जताया कि परिवहन विभाग से बातचीत के बाद हल निकाल लिया जाएगा. इस बीच वे ट्रैक्टर कंपनी केअधिकारी से भी संपर्क कर रहे हैं. उन्होंने महिला समूहों को भी आश्वसत किया है कि जल्द ही इस परेशानी से निजात मिल जाएगी.

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