साहिबगंज: गंगा पुल निर्माण में अधिग्रहित की गई जमीन के मुआवजा राशि भुगतान में भारी गड़बड़ी का मामला सामने आया है. ऐसे कई मामले आए हैं. जिसमें मुआवजा की राशि रैयतों के जगह किसी और को दे दी गई है, या रैयतों के वंशजों में किसी एक पक्ष को राशि का भुगतान कर दिया गया है. उन मामलों में एक ऐसा ही मामला सामने आया है. जिसमें राशि का भुगतान रैयत के वंशज को ना कर किसी और को कर दिया गया. अब रैयत इंसाफ और अपने हक की राशि के लिए उपायुक्त से लेकर मुख्यमंत्री तक से गुहार लगा रहा है.
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गंगा पुल निर्माण के लिए सरकार ने बोरियो थाना क्षेत्र अंतर्गत अम्बाडीहा के रैयत पतेह हेंब्रम की 3 बीघा जमीन अधिग्रहित की थी. उसके एवज में सरकार को रैयत के वंशज को मुआवजा राशि का भुगतान करना था, लेकिन भू-अर्जन कार्यालय ने रैयत के वंशज के बदले किसी और को लगभग 34 लाख का भुगतान कर दिया. इसके बाद से रैयत के वंशज रैमत हेंब्रम मुआवजे की राशि के लिए कार्यालय का चक्कर लगा रही हैं.
क्या है पूरा मामला
मुख्यमंत्री और उपायुक्त को दिए आवेदन में रैयत के वंशज रैमत हेंब्रम ने दावा करते हुए बताया है कि उनके दादा पतेह हेंब्रम का मौजा अम्बाडीहा, जमाबंदी नंबर 29, कुल 13 बीघा, 19 कट्ठा, 9 धुर जमीन थी. जिसमें से गंगा पुल के लिए सरकार ने 3 बीघा जमीन का अधिग्रहण कर लिया. उस जमीन के मुआवजे के रूप में 34 लाख 4 हजार 941 रुपया भुगतान के लिए भू-अर्जन कार्यालय से उन्हें नोटिस दिया गया. जिसके बाद उन्होंने भू-अर्जन कार्यालय में जमीन सबंधी सभी दस्तावेज जमा कर दिया.
रैयत के जगह किसी और के खाते में भेजा गया पैसा
कर्मचारी ने ग्राम प्रधान और 16 आना रैयत से जांच कर उनके पक्ष में वंशावली के साथ रिपोर्ट भी जमा कर दी. इसी बीच उनके ही गांव के रगड़ा हेंब्रम, पिता स्वर्ग बुढ़न हेंब्रम ने गलत वाला वंशावली बनाकर आपत्ति दर्ज करा दी. जिसके बाद भू-अर्जन कार्यालय ने बिना वस्तुस्थिति जाने रगड़ा हेंब्रम को उनके मुआवजा की राशि का भुगतान कर दिया. जबकि जमाबंदी नंबर 35 के खतियानी रैयत बुढ़न हेंब्रम के वंशज रगड़ा हेंब्रम की मां मरांगकुड़ी को उनकी जमीन का मुआवजा 2 लाख 35 हजार 853 रुपया पहले ही भुगतान किया जा चुका है.
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गरीब विधवा लगा रही 2 साल से कार्यालय का चक्कर
जमीन की मुआवजा राशि किसी दूसरे को दिए जाने के बाद से विधवा महिला रैमत हेंब्रम लगभग 2 वर्षों से सरकारी कार्यालयों का चक्कर लगा रही हैं, लेकिन अभी तक उन्हें न्याय नहीं मिला है. रैमत बताती हैं कि गरीब और लाचारी के बाद भी उन्होंने हर जगह इसके लिए फरियाद लगाई, लेकिन किसी ने उनकी नहीं सुनी. तत्कालीन उपायुक्त से भी उन्होंने मामले की शिकायत की थी. बावजूद इसके गलत व्यक्ति को मुआवजा का भुगतान कर दिया गया.
भू-अर्जन कार्यालय की गलती
रैमत हेंब्रम के बेटे ने बताया कि इस मामले की शिकायत मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से भी की. जिले के उपायुक्त और एसडीओ सहित भू-अर्जन कार्यालय को भी लिखित रूप से सूचना दी गई है. भू-अर्जन कार्यालय में केस में केस चल रहा है, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई. भू-अर्जन कार्यालय की गलती से आज तक मेरे खाते में एक भी रुपया नहीं आया.
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बहुत जल्द रैयत को मिलेगा न्याय: उपायुक्त
वहीं उपायुक्त राम निवास यादव ने ईटीवी भारत को बताया कि मामला संज्ञान में आया है. यह बात सही है कि गंगापुल अधिग्रहण मामले में अंबाडीह की रहने वाली रैयत रैमत हेंब्रम के खाते में 3 बीघा जमीन की राशि 34 लाख रुपए नहीं गया है. विभाग की गलती की वजह से गैर रैयत के खाते में चला गया है. इसकी जांच चल रही है, बहुत जल्द रैयत के खाते में पैसा भेजा जाएगा.