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साहिबगंजः गन्ना के खेतों में भरा गंगा का पानी, किसानों को सता रहा फसल नष्ट होने का डर - साहिबगंज में गंगा का जलस्तर

साहिबगंज में लगी गन्ना की फसल बरबाद होने के कगार पर है. खेतों में गंगा का पानी लबालब भरा है, जिससे फसलों के खराब होने का डर किसानों को सता रहा है. किसान मदद के लिए प्रशासन से अपील कर रहे हैं.

River Ganga water in the sugarcane field
गन्ने के खेत में भरा पानी
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Published : Aug 4, 2020, 2:03 PM IST

साहिबगंज: गंगा नदी खतरे की निशान से उपर बह रही है. जैसे-जैसे गंगा का जलस्तर बढ़ रहा है, वैसे-वैसे किसान की परेशानी भी बढ़ती जा रही है. दियारा क्षेत्र में गंगा का पानी घुस जाने से किसान के सामने कई समस्या उभर कर सामने आ रही है. लॉकडाउन और प्रकृति की मार से किसान इस बार संकट में घिर चुके हैं. उन्होंने जिला प्रशासन और सरकार से आर्थिक मदद की गुहार लगाई है.

सबसे अधिक लागत वाली फसल गन्ना इन दिनों गंगा नदी की उफनती बहाव के चपेट में आ चुका है. दियारा क्षेत्र लगे हजारों बीघा में लगा गन्ना गंगा नदी की चपेट में आने से किसान काफी चिंतित हैं. लगातार गन्ना के खेत में पानी रुकने से यह फसल सूखने के कगार पर पहुंच जाएगा, जिससे किसान को काफी क्षति का सामना करना पड़ सकता है.

देखें पूरी खबर

किसानों को फसल के सड़ने का सता रहा डर

किसान का कहना है कि गंगा की रफ्तार जिस तरह से बढ़ रही है ऐसा लग रहा है कि प्रत्येक साल से इस बार बाढ़ अधिक आने की संभावना है. अभी से गन्ने के खेतों में पानी घुस चुका है. एक महीने तक पानी अगर रह जाता है तो पूरे गन्ने की फसल सूख जाएगी और सड़कर जमीन पकड़ लेगी.

किसान कहते हैं कि प्रति एकड़ गन्ना का खेत तैयार करने में लगभग 15 से 20 हजार रुपया लग जाता है. पहले तो लॉकडाउन ने कमर तोड़ रखी है दूसरी तरफ साहिबगंज जिला बाढ़ प्रभावित क्षेत्र है यहां प्रत्येक साल बाढ़ आती है. ऐसे में इस बार पहले से अधिक पानी घुस जाने की वजह से किसानों को फसल सड़ने का डर सता रहा है.

जिला प्रशासन से अपील

जिला प्रशासन की तरफ से अभी तक बाढ़ में डूबी हुई फसल की क्षतिपूर्ति राशि नहीं मिली है. हर साल आश्वासन मिलता है लेकिन किसान को निराशा हाथ लगती है. जिला प्रशासन से अपील है कि किसानों का दर्द सुने और कम से कम इस बार आर्थिक मदद करे.

वहीं, जिला कृषि पदाधिकारी ने बताया कि संभावित बाढ़ को देखते हुए जिला स्तर पर उपायुक्त की अध्यक्षता में बैठक हुई है. सभी अंचलाधिकारी को निर्देश दिया गया है कि अपने-अपने प्रखंड में जाकर फसल का सर्वे करें और रिपोर्ट सौंपे ताकि किसान को आपदा मद से क्षतिपूर्ति राशि दी जा सके.

निश्चित रूप से किसान के लिए गन्ना फसल बैकबोन होती है अगर यह फसल बर्बाद हो जाती है तो किसान को काफी नुकसान पहुंच सकता है. जरूरी है कि जनप्रतिनिधि और जिला प्रशासन किसान की परेशानी ऑन द स्पॉट पहुंचकर देखे और समझे. अगर यह फसल बर्बाद होती है तो आने वाले समय में इन्हें क्षतिपूर्ति दी जाए.

ये भी पढ़ें-रांचीः कोरोना संक्रमण काल में पुलिस फोर्स को बड़ी राहत, टेंट से मिला छुटकारा, तीन जगहों पर हुए शिफ्ट

गन्ना फसल की खासियत, लागत और आमदनी

किसान एक बार इस फसल को अगर अपने खेत में लगाता है तो तीन बार यानी तीन सीजन तक यह फसल काट सकता है. बस खाद और मेहनत की जरूरत पड़ती है. इस गन्ना को काटकर किसान अपने खेत में मशीन से रस निकालता है और गुड़ तैयार करता है. बाजार में इस गुड़ बेचने पर किसान को अच्छी खासी आमदनी भी होती है. इस गुड़ को खरीदकर बड़ी कंपनियां चीनी तैयार करती है.

गन्ने का ताजा रस पीने से शरीर में ग्लूकोज की कमी की पूर्ति होती है. इसके अलावा जिस व्यक्ति को पीलिया बीमारी हो जाती है इसका रस पीने से रोगी ठीक हो जाता है.

साहिबगंज: गंगा नदी खतरे की निशान से उपर बह रही है. जैसे-जैसे गंगा का जलस्तर बढ़ रहा है, वैसे-वैसे किसान की परेशानी भी बढ़ती जा रही है. दियारा क्षेत्र में गंगा का पानी घुस जाने से किसान के सामने कई समस्या उभर कर सामने आ रही है. लॉकडाउन और प्रकृति की मार से किसान इस बार संकट में घिर चुके हैं. उन्होंने जिला प्रशासन और सरकार से आर्थिक मदद की गुहार लगाई है.

सबसे अधिक लागत वाली फसल गन्ना इन दिनों गंगा नदी की उफनती बहाव के चपेट में आ चुका है. दियारा क्षेत्र लगे हजारों बीघा में लगा गन्ना गंगा नदी की चपेट में आने से किसान काफी चिंतित हैं. लगातार गन्ना के खेत में पानी रुकने से यह फसल सूखने के कगार पर पहुंच जाएगा, जिससे किसान को काफी क्षति का सामना करना पड़ सकता है.

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किसानों को फसल के सड़ने का सता रहा डर

किसान का कहना है कि गंगा की रफ्तार जिस तरह से बढ़ रही है ऐसा लग रहा है कि प्रत्येक साल से इस बार बाढ़ अधिक आने की संभावना है. अभी से गन्ने के खेतों में पानी घुस चुका है. एक महीने तक पानी अगर रह जाता है तो पूरे गन्ने की फसल सूख जाएगी और सड़कर जमीन पकड़ लेगी.

किसान कहते हैं कि प्रति एकड़ गन्ना का खेत तैयार करने में लगभग 15 से 20 हजार रुपया लग जाता है. पहले तो लॉकडाउन ने कमर तोड़ रखी है दूसरी तरफ साहिबगंज जिला बाढ़ प्रभावित क्षेत्र है यहां प्रत्येक साल बाढ़ आती है. ऐसे में इस बार पहले से अधिक पानी घुस जाने की वजह से किसानों को फसल सड़ने का डर सता रहा है.

जिला प्रशासन से अपील

जिला प्रशासन की तरफ से अभी तक बाढ़ में डूबी हुई फसल की क्षतिपूर्ति राशि नहीं मिली है. हर साल आश्वासन मिलता है लेकिन किसान को निराशा हाथ लगती है. जिला प्रशासन से अपील है कि किसानों का दर्द सुने और कम से कम इस बार आर्थिक मदद करे.

वहीं, जिला कृषि पदाधिकारी ने बताया कि संभावित बाढ़ को देखते हुए जिला स्तर पर उपायुक्त की अध्यक्षता में बैठक हुई है. सभी अंचलाधिकारी को निर्देश दिया गया है कि अपने-अपने प्रखंड में जाकर फसल का सर्वे करें और रिपोर्ट सौंपे ताकि किसान को आपदा मद से क्षतिपूर्ति राशि दी जा सके.

निश्चित रूप से किसान के लिए गन्ना फसल बैकबोन होती है अगर यह फसल बर्बाद हो जाती है तो किसान को काफी नुकसान पहुंच सकता है. जरूरी है कि जनप्रतिनिधि और जिला प्रशासन किसान की परेशानी ऑन द स्पॉट पहुंचकर देखे और समझे. अगर यह फसल बर्बाद होती है तो आने वाले समय में इन्हें क्षतिपूर्ति दी जाए.

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गन्ना फसल की खासियत, लागत और आमदनी

किसान एक बार इस फसल को अगर अपने खेत में लगाता है तो तीन बार यानी तीन सीजन तक यह फसल काट सकता है. बस खाद और मेहनत की जरूरत पड़ती है. इस गन्ना को काटकर किसान अपने खेत में मशीन से रस निकालता है और गुड़ तैयार करता है. बाजार में इस गुड़ बेचने पर किसान को अच्छी खासी आमदनी भी होती है. इस गुड़ को खरीदकर बड़ी कंपनियां चीनी तैयार करती है.

गन्ने का ताजा रस पीने से शरीर में ग्लूकोज की कमी की पूर्ति होती है. इसके अलावा जिस व्यक्ति को पीलिया बीमारी हो जाती है इसका रस पीने से रोगी ठीक हो जाता है.

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