साहिबगंज: जिले में गंगापुल के निर्माण की मांग आजादी के बाद से लगातार होती रही है. बिहार से झारखंड के अलग होने के बाद यह मांग और भी तेज हो गया था. पुल निर्माण की मांग को लेकर कई सामाजिक संगठन के लोग भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रहे थे. कई बार इसके लिए हड़ताल और प्रदर्शन भी हुआ.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 6 अप्रैल 2017 को इस पुल का शिलान्यास किया था, जिसके बाद उन्होंने अपने कार्यकाल में ही पुल के शुरु होने का वादा किया था, लेकिन आजतक पीएम के वादे धरे के धरे रह गए हैं. गंगापुल का शिलान्यास करने के समय लोगों में खुशियों का ठिकाना नहीं था. साहिबगंज को दुल्हन की तरह सजाया गया था. लोग अपने घरों में दिप जलाकर खुशी मना रहे थे, लेकिन पुल निर्माण का कार्य तक शुरु नहीं हो पाया, जिससे पीएम मोदी के दौरे को लेकर लोगों में आक्रोश है.
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साहिबगंज-मनिहारी के बीच गंगा नदी पर यह पुल 2266 करोड़ की लागत से बनना तय हुआ था, जिसकी कुल लंबाई 21.9 किमी है. यह गंगापुल 4 लेन में बनना था. पुल के निर्माण हो जाने से पूर्वोत्तर राज्य के असम, बांग्लादेश, कोहिमा, शिवलोंग, नेपाल सहित कई अंतराष्ट्रीय सड़क मार्ग से सीधा जुड़ जाता, जिससे कई फायदे भी होते. समय बीतता गया, दर्जनों बार टेंडर भी हुआ लेकिन आज तक टेंडर क्लियर नहीं होने से यह मामला अधर में लटका हुआ है, हालांकि जिला स्तर पर भूमि अधिग्रहण कर से ही जमीन रैयतों को मुवावजा दे दिया गया है.
स्थानीय लोगों का कहना है प्रधानमंत्री ने गंगापुल का शिलान्यास किया था, जिसके बाद लोगों में एक आश जगी थी कि अब साहिबगंज का कायाकल्प हो जाएगा, अब यहां से भुखमरी की समस्या खत्म हो जाएगी, पलायन रुक जाएगा, साहिबगंज के बेरोजगारों को रोजगार मिल जाएगा, लेकिन शिलान्यास के बाद आज तक काम शुरू नहीं होने से लोग नाराज हैं.
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कुछ राजनीतिक दल के नेताओं ने भी इसे लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना की है. उनका कहना है कि पुल के शुरु नहीं होने से उनके गरिमा पर सवाल खड़ा हो रहा है.
प्रधानमंत्री एक बार फिर 17 दिसंबर 2019 को साहेबगंज की धरती पर बरहेट के भोगनाडीह मैदान में विधानसभा चुनाव के अंतिम पांचवे चरण में चुनावी कार्यक्रम हिस्सा लेने आ रहे हैं. प्रधानमंत्री के आगमन पर शहर में गंगापुल को लेकर चर्चा जोरों पर है.