साहिबगंज: सदर अस्पताल में कुव्यवस्था का आलम तब देखने को मिला जब एक नवजात शिशु को डॉक्टर ने ऑक्सीजन देने की सलाह दिया. जिसके बाद अस्पताल परिसर में बेड नहीं मिला तो खुले बरामदे में ही शिशु के परिजन ऑक्सीजन चढ़ाने लगे. जबकि बरामदा से होकर दर्जनों लोग आते-जाते हैं. ऐसे में नवजात को संक्रमण का खतरा अधिक हो सकता है.
कोरोना महामारी ने पूरे देश में कहर बरपा रखा है. कई जगहों पर हालात खराब होते जा रहे हैं. कई जगहों की अव्यवस्था प्रकाश में आने के बाद वहां की हालात में सुधार हुआ तो कई जगह ऐसे भी हैं, जहां पर अव्यवस्था, सुस्ती, लापरवाही अभी भी बनी हुई है.
झारखंड में भी कई जगह ऐसी ही लचर है, जहां के अस्पतालों में अव्यवस्था ऐसी फैली है कि सब भगवान भरोसे ही लगता है. साहिबगंज के सदर अस्पताल में जब डॉक्टर ने एक दुधमुंहे बच्चे को ऑक्सीजन देने की बात कही तो वहां की नर्सों ने नवजात को अस्पताल के बरामदे में ही गंदे फर्श पर उपचार शुरू कर दिया. अस्पताल परिसर में बेड नहीं मिला तो परिजन नवजात को लेकर बरामदे में ही इलाज शुरू करवा दिए.
कोरोना काल के इस दौर में सरकारी अस्पतालों में रोज सैकड़ों लोग कोरोना की जांच के लिए अस्पताल पहुंच रहे हैं. ऐसे में अस्पताल के बरामदे से होते हुए कई ऐसे लोग गुजरते हैं, जिससे बच्चे के स्वास्थ्य को लेकर चिंता की जा सकती है, लेकिन साहिबगंज का सदर अस्पताल इससे बेखबर और बेपरवाह है.
मुफस्सिल थाना क्षेत्र अंतर्गत महादेवगंज गांव का रहना वाला सुनील रविदास सोमवार को अपनी पत्नी को प्रसव कराने के लिए जिला सदर अस्पताल लाया था. अस्पताल में गर्भवती का प्रसव तो हुआ, लेकिन बच्चा जन्म के बाद कम रो रहा था. इसलिए डॉक्टर ने ऑक्सीजन देने का सलाह दी, लेकिन अस्पताल में बच्चे के लिए बेड उपलब्ध नहीं हो पाया और नवजात का इलाज बरामदे में ही शुरू कर दिया गया.
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इधर, जिले के सिविल सर्जन डीएन सिंह ने कहा कि कुछ डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ को कोरोना हो गया था, जो अब स्वस्थ होकर अस्पताल लौट रहे हैं. अस्पताल में डॉक्टर की घोर कमी है, लेकिन सीमित संसाधन में काम कर रहे हैं और लोगों की सेवा कर रहे हैं. वहीं नवजात के बरामदे में इलाज कराने की बात पर कुछ कहने से बचते दिखे.