साहिबगंज: बड़े शहर के बड़े अस्पताल में मरीज को संगीत चिकित्सा के माध्यम से आपने इलाज करते देखा होगा. लेकिन अब यह व्यवस्था साहिबगंज सदर अस्पताल में दिखने को मिल रहा (Music therapy in Sahibganj Sadar Hospital) है. अस्पताल के हर वार्ड में दीवार पर साउंड बॉक्स लगाया गया है. जिससे यहां पहुंचने वाले मरीज और परिजनों को मधुर और धीमे साउंड में किसी पुराने गाना का बजता धुन सकून दे रहा है.
साहिबगंज सिविल सर्जन रामदेव पासवान की पहल से सदर अस्पताल में मरीजों के लिए संगीत की व्यवस्था की गयी (Music therapy to patients in Sahibganj Sadar Hospital) है. साहिबगंज सदर अस्पताल में म्यूजिक थेरेपी शुरु होने से मरीजों को इसका सीधा लाभ मिल रहा है. मरीज के कानों में मधुर गीत संगीत सुनाई देने से उनके दर्द को कम करने का प्रयास किया जा रहा है. ये व्यवस्था पुरुष वार्ड और ऊपरी तल्ले के हर वार्ड में की गयी है. साथ ही ऑपरेशन थियेटर के साथ बरामदे में भी साउंड बॉक्स लगाई गयी है. यह प्रयोग मरीज का काफी फायदेमंद साबित हो रहा है. संगीत चिकित्सा के दौरान मरीज के दिमाग में भावनात्मक क्रियाएं पैदा की जाती हैं, जिससे उन्हें आराम व सुकून मिलता है. संगीत दिमाग में खास तरह की ऊर्जा पैदा करता है, जिससे मरीज को आनंद की अनुभूति होती है. हालांकि हर व्यक्ति या मरीज की जरूरतें अलग-अलग होती हैं, इसलिए उनकी बीमारी के हिसाब से म्यूजिक थेरेपी दी जाती है. संगीत बीमार व्यक्ति के मेंटल हेल्थ पर पॉजिटिव असर डालता है.
इसको लेकर सिविल सर्जन रामदेव पासवान कहते हैं कि म्यूजिक थेरेपी मरीज के इलाज में काफी कारगर साबित होगा. इसी को देखते हुए जिला सदर अस्पताल में 14 म्यूजिक बॉक्स लगाए गए हैं, इसकी मशीन आयुष्मान कार्ड के आफिस में है. यहीं से एक साथ सभी जगह ऑपरेट किया जाता है. आपातकालीन मरीज को अब डॉक्टर के पास बेड पर जाना नहीं होगा बल्कि ऑपरेटर माइक से एनाउंस कर डाक्टर को जानकारी देने से खुद डाक्टर आएंगे. यह जिला अस्पताल सहित अन्य अस्पतालों में सीमित संसाधन के बीच मरीज को बेहतर सुविधा देने का प्रयास कर रहे हैं.
अस्पताल में मिल रहे म्यूजिक थेरेपी को लेकर मरीज के परिजन बताते हैं कि मेरी बेटी का मुंह पटाखा से जल गया है, हम पति पत्नि काफी तनाव में हैं. लेकिन मधुर संगीत सुनकर थोड़ी देर के लिए दर्द को भुला जा रहे हैं. इस संगीत से एक अजीब सी उर्जा मिल रही है, संगीत से हिम्मत मिल रही है. इस दर्द और तनाव के बीच जीने का एक उमंग पैदा हो रही है. आगे वो कहते हैं कि साहिबगंज जैसे पिछड़ा जिला में इस तरह का व्यवस्था होना सराहनीय कदम है.