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मशरूम की खेती कर सशक्त बनीं साहिबगंज की मीरा, दूसरी महिलाओं के लिए भी बनीं प्रेरणा

नारी सशक्तीकरण को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से हर तरह के प्रयास किए जा रहे हैं, जिसका अब महिलाओं ने भी फायदा उठाना शुरू कर दिया है. साहिबगंज की मीरा इसका मिसाल बनी हैं. ये मशरूम की खेती कर अत्मनिर्भर खुद को सशक्त कर रहीं हैं.

Meera of Sahibganj became self-sufficient by cultivating mushroom
मशरूम की खेती कर आत्मनिर्भर बनी साहिबगंज की मीरा
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Published : Mar 7, 2021, 5:02 PM IST

Updated : Mar 8, 2021, 8:15 AM IST

साहिबगंज: नारी सशक्तीकरण को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से हर तरह के प्रयास किए जा रहे हैं. अब गांव की महिलाएं भी खेती बारी से जुड़कर आत्मनिर्भर बनने की तरफ बढ़ रहीं हैं.

देखें स्पेशल स्टोरी

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कम पूंजी में होती है खेती

साहिबगंज की मीरा देवी महिलाओं के लिए मिशाल बन रहीं हैं. वह मशरूम की खेती के लिए आत्मनिर्भर बन चुकी हैं और आर्थिक तंगी को पार कर खुशहाल जिंदगी अपने परिवार के साथ बिता रहीं हैं. मीरा देवी साहिबगंज के जिरवाबाड़ी थाना अंतर्गत बड़ी लोहंडा स्थित प्रेम नगर मोहल्ले की रहने वाली हैं और शुरुआत में घूम-घूमकर सब्जी और मुढ़ी बेचने का काम करती थीं. इसके बाद उन्हें कृषि वैज्ञानिक केंद्र से जुड़ने का मौका मिला और मशरूम का प्रशिक्षण प्राप्त कर धीरे-धीरे खेती करना शुरू कर दिया.

मशरूम की खेती से जीवन में आई खुशहाली

शुरुवात में मीरा 4 से 6 बैग बनाती थीं, लेकिन अब रोजाना 30 से अधिक मशरूम का बैग तैयार कर लेती हैं. मांग अधिक होने के कारण लोग उनके घर से मशरूम खरीद कर ले जाते हैं. इन्होंने मशरूम की खेती से अपनी एक बेटी की शादी धूमधाम से कर चुकी हैं. अन्य दो साहिबगंज कॉलेज में पढ़ाई कर रहीं हैं. मीरा देवी का कहना है कि मशरूम की खेती उनकी जिंदगी में उपहार बनकर आई है. यह केवीके की देन है, जहां से प्रशिक्षण प्राप्त कर वह यहां तक पहुंचीं हैं. उन्होंने बताया कि उनके इस काम में उनका पूरा परिवार साथ देता है. आस-पड़ोस की महिलाएं भी उनसे सीखने आती हैं और वे सभी को मशरूम की खेती की तकनीक बताती हैं.

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महिलाओं के लिए मिसाल बनीं मीरा

कृषि वैज्ञानिक केंद्र के एक विशेषज्ञ ने बताया कि केवीके में हर समय महिलाओं को मशरूम की खेती का प्रशिक्षण दिया जाता है. इसके अलावा मधुमक्खी पालन, गार्डन, अचार बनाने सहित कई तरह का प्रशिक्षण दिया जाता है. मशरूम की खेती करना बहुत आसान है. इसमें पूंजी कम लगती है और कमाई अधिक होती है. एक बैग में किसान को अधिकतम 20 रुपये खर्च करने होते हैं और इससे 3 किलो मशरूम का उत्पादन होता है. यह 200 से 250 रुपये प्रति किलो की दर से बिक्री होती है. मीरा देवी आज महिलाओं के लिए उदाहरण बन चुकी हैं.

साहिबगंज: नारी सशक्तीकरण को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से हर तरह के प्रयास किए जा रहे हैं. अब गांव की महिलाएं भी खेती बारी से जुड़कर आत्मनिर्भर बनने की तरफ बढ़ रहीं हैं.

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कम पूंजी में होती है खेती

साहिबगंज की मीरा देवी महिलाओं के लिए मिशाल बन रहीं हैं. वह मशरूम की खेती के लिए आत्मनिर्भर बन चुकी हैं और आर्थिक तंगी को पार कर खुशहाल जिंदगी अपने परिवार के साथ बिता रहीं हैं. मीरा देवी साहिबगंज के जिरवाबाड़ी थाना अंतर्गत बड़ी लोहंडा स्थित प्रेम नगर मोहल्ले की रहने वाली हैं और शुरुआत में घूम-घूमकर सब्जी और मुढ़ी बेचने का काम करती थीं. इसके बाद उन्हें कृषि वैज्ञानिक केंद्र से जुड़ने का मौका मिला और मशरूम का प्रशिक्षण प्राप्त कर धीरे-धीरे खेती करना शुरू कर दिया.

मशरूम की खेती से जीवन में आई खुशहाली

शुरुवात में मीरा 4 से 6 बैग बनाती थीं, लेकिन अब रोजाना 30 से अधिक मशरूम का बैग तैयार कर लेती हैं. मांग अधिक होने के कारण लोग उनके घर से मशरूम खरीद कर ले जाते हैं. इन्होंने मशरूम की खेती से अपनी एक बेटी की शादी धूमधाम से कर चुकी हैं. अन्य दो साहिबगंज कॉलेज में पढ़ाई कर रहीं हैं. मीरा देवी का कहना है कि मशरूम की खेती उनकी जिंदगी में उपहार बनकर आई है. यह केवीके की देन है, जहां से प्रशिक्षण प्राप्त कर वह यहां तक पहुंचीं हैं. उन्होंने बताया कि उनके इस काम में उनका पूरा परिवार साथ देता है. आस-पड़ोस की महिलाएं भी उनसे सीखने आती हैं और वे सभी को मशरूम की खेती की तकनीक बताती हैं.

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महिलाओं के लिए मिसाल बनीं मीरा

कृषि वैज्ञानिक केंद्र के एक विशेषज्ञ ने बताया कि केवीके में हर समय महिलाओं को मशरूम की खेती का प्रशिक्षण दिया जाता है. इसके अलावा मधुमक्खी पालन, गार्डन, अचार बनाने सहित कई तरह का प्रशिक्षण दिया जाता है. मशरूम की खेती करना बहुत आसान है. इसमें पूंजी कम लगती है और कमाई अधिक होती है. एक बैग में किसान को अधिकतम 20 रुपये खर्च करने होते हैं और इससे 3 किलो मशरूम का उत्पादन होता है. यह 200 से 250 रुपये प्रति किलो की दर से बिक्री होती है. मीरा देवी आज महिलाओं के लिए उदाहरण बन चुकी हैं.

Last Updated : Mar 8, 2021, 8:15 AM IST
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