साहिबगंजः सितंबर महीना पोषण माह के रूप में मनाया जा रहा है, लोगों को जागरूक किया जा रहा है. पोषण माह की सुर्खियों की सच्चाई की पड़ताल ईटीवी भारत ने की. ईटीवी भारत की टीम शहर के पुराना सदर अस्पताल के पीछे कुपोषण उपचार केंद्र भवन पहुंची. यहां 7 कुपोषित बच्चे भर्ती है, सुविधाओं के नाम पर ज्यादा कुछ नहीं है. बच्चों के खेलने के लिए खिलौने नहीं, खाने के पौष्टिक आहार नहीं, सफाई की व्यवस्था ऐसी कि अगर बच्चा दूसरी बार चादर गंदा कर दे तो तीसरी चादर नहीं आ सकती है. अंडा, दूध, दलिया, मछली, फल यहां के बच्चों के नसीब में नहीं है.
आहार नहीं दवा जरूर है
हालांकि कुपोषित नौनिहालों के अभिभावक का कहना है कि दवा समय पर मिलता है, खिचड़ी भी मिलती है. बाकी मेन्यू के अनुसार क्या मिलना चाहिए या क्या नहीं मिलना चाहिए यह हमें मालूम ही नहीं है. खेलने के साधन की कमी और अंडा, दूध, फल के ना मिलने की बात भी अभिभावकों ने जरूर कही.
मदद की मांग
कुपोषण उपचार केंद्र में कार्यरत नर्स पार्वती मुर्मू ने बताया है जिला प्रशासन द्वारा जो व्यवस्था दी जाती है, वो सब उपलब्ध कराया जाता है. डॉक्टर के पद पर डॉ महमूद आलम हैं. शिफ्ट वाइज नर्स की प्रतिनियुक्ति की गई है ताकि बच्चों का देखभाल किया जा सके. इस केंद्र में आने वाले बच्चों को पौष्टिक आहार नहीं दिया जाता है तो कहा कि जिला प्रशासन से मांग करेंगे कि सारी सुविधाें दी जाए.
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जिला में चार कुपोषण उपचार केंद्र है, साहिबगंज- सदर, राजमहल अनुमंडल, बरहेट और बड़हरवा प्रखंड में केंद्र हैं. जिला में 13 लाख से अधिक आबादी है जिसमें सरकारी आंकड़ों के अनुसार लगभग 2500 बच्चा कुपोषित है जबकि जमीनी हकीकत में हजारों की संख्या में बच्चे पाए जा सकता हैं. जागरूकता के अभाव में लोग इस एमटीसी केंद्र तक नहीं पहुंच रहे हैं या सुविधा के अभाव में परिजन रहना नहीं चाहते हैं. केंद्र और राज्य सरकार की तरफ से इस नौनिहालों का जीवन बचाने के लिए करोड़ों रुपया देकर थोड़ी मॉनिटरिंग भी की जाएा ताकि हर बच्चा कुपोषण के दंश से आजाद हो सके.