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बाढ़ का प्रकोपः साहिबगंज में फिर बांस की पुलिया पर अटकी ग्रामीणों की जिंदगी, कोई सुनने वाला नहीं

साहिबगंज के दियारा क्षेत्र में लोगों के लिए बरसात का मौसम परेशानी भरा होता है. बारिश की वजह से यहां गंगा नदी उफान पर होती है. कई इलाके जलमग्न हो जाते हैं. जो बचते हैं उनका भी शहरी क्षेत्रों से संपर्क टूट जाता है. ऐसे में कई गांव ऐसें हैं जहां के लोगों की जिंदगी बांस की पुलिया पर अटक जाती(bamboo culvert in Sahibganj) है.

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Published : Oct 18, 2022, 7:08 PM IST

Updated : Oct 18, 2022, 8:11 PM IST

Life of villagers stuck on bamboo culvert
Life of villagers stuck on bamboo culvert

साहिबगंज: झारखंड का एक मात्र जिला साहिबगंज है जहां से गंगा नदी गुजरती है. हर साल प्राकृतिक आपदा से दियारा क्षेत्र में बसने वाले लोग प्रभावित होते हैं. इस साल गंगा नदी का जलस्तर तीसरी बार खतरे के निशान 27.25 मीटर से पार कर गया है. इसका असर अब दियारा क्षेत्र में दिखने लगा है. सदर प्रखंड के तीन पंचायत उत्तरी मखमलपुर, दक्षिणी मखमलपुर और हर प्रसाद बाढ़ के पानी से घिर चुके हैं. इस गांव तक पहुंचने वाले मुसहरी टोला के पास लाइफलाइन पुलिया पर पानी चढ़ने लगा है. सड़क पर पानी अधिक होने से आने जाने वाले लोगो को परेशानी होने लगी है. कुछ लोगों ने बांस की पुलिया बनाकर ग्रामीणों को राहत दी(Life of villagers stuck on bamboo culvert ) है. इसके एवज में खुशी से जो कुछ रुपया दे देता है वे लोग रख लेते हैं.

ये भी पढ़ेंः गंगा में समाई किसानों की पांच हजार एकड़ जमीन, विस्थापितों को मिलेगा घर और दो कट्ठा जमीन

पिछले तीन साल से ग्रामीण बाढ़ आने पर बांस की पुलिया बनाकर लोगों को राहत देते हैं. इस बार तीन बार पुलिया बनाई गई है. क्योंकि पहली बार ऐसा देखा जा रहा है कि कार्तिक माह में पानी खतरे कि निशान को पार कर चुका है. ऐसा पहले कभी नहीं देखा गया. तीन पंचायत में करीब बीस हजार से अधिक आबादी प्रभावित हो चुकी है. यहां बांस की पुलिया ही एकमात्र सहारा है. हर दिन पानी बढ़ता है और हर दिन लोग इस बांस के उपर प्लाई रखते हैं. अधिक पानी बढ़ जाने से यह भी फेल साबित हो जाता है और नाव के सहारे लोग शहर की तरफ काम के लिए आते-जाते हैं.

देखें पूरी खबर
ग्रामीणों ने कहा कि लालबथानी स्थित दो पंचायत उत्तरी मखमलपुर और दक्षिणी मखमलपुर मुस्लिम बहुल क्षेत्र है. सांसद विजय हांसदा और राजमहल विधायक अनंत ओझा हमारे प्रतिनिधि हैं. दो बार से चुनाव जीत रहे हैं लेकिन हमारे गांव की तरफ ध्यान नहीं देते हैं. यदि आज ये दोनों थोड़ा सा भी ध्यान दिए रहते तो आज हम लोग बांस की पुलिया के सहारे पार नहीं करते.

ग्रामीणों ने कहा कि सदर प्रखंड का पहला पंचायत है, जो हर साल बाढ़ के पानी से घिर जाता है. इस बार भी प्रभावित हो चुका है. लेकिन अभी तक कोई भी प्रतिनिधि या ब्लॉक स्तर के पदाधिकारी हम लोगो से हाल जानने नहीं आए हैं. मन बहुत दुखी होता है कि राज्य और केंद्र सरकार गांव को शहर से जोड़ रही है, लेकिन हम दशकों से इस तरह बाढ़ के पानी से परेशान हो रहे हैं.

साहिबगंज: झारखंड का एक मात्र जिला साहिबगंज है जहां से गंगा नदी गुजरती है. हर साल प्राकृतिक आपदा से दियारा क्षेत्र में बसने वाले लोग प्रभावित होते हैं. इस साल गंगा नदी का जलस्तर तीसरी बार खतरे के निशान 27.25 मीटर से पार कर गया है. इसका असर अब दियारा क्षेत्र में दिखने लगा है. सदर प्रखंड के तीन पंचायत उत्तरी मखमलपुर, दक्षिणी मखमलपुर और हर प्रसाद बाढ़ के पानी से घिर चुके हैं. इस गांव तक पहुंचने वाले मुसहरी टोला के पास लाइफलाइन पुलिया पर पानी चढ़ने लगा है. सड़क पर पानी अधिक होने से आने जाने वाले लोगो को परेशानी होने लगी है. कुछ लोगों ने बांस की पुलिया बनाकर ग्रामीणों को राहत दी(Life of villagers stuck on bamboo culvert ) है. इसके एवज में खुशी से जो कुछ रुपया दे देता है वे लोग रख लेते हैं.

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पिछले तीन साल से ग्रामीण बाढ़ आने पर बांस की पुलिया बनाकर लोगों को राहत देते हैं. इस बार तीन बार पुलिया बनाई गई है. क्योंकि पहली बार ऐसा देखा जा रहा है कि कार्तिक माह में पानी खतरे कि निशान को पार कर चुका है. ऐसा पहले कभी नहीं देखा गया. तीन पंचायत में करीब बीस हजार से अधिक आबादी प्रभावित हो चुकी है. यहां बांस की पुलिया ही एकमात्र सहारा है. हर दिन पानी बढ़ता है और हर दिन लोग इस बांस के उपर प्लाई रखते हैं. अधिक पानी बढ़ जाने से यह भी फेल साबित हो जाता है और नाव के सहारे लोग शहर की तरफ काम के लिए आते-जाते हैं.

देखें पूरी खबर
ग्रामीणों ने कहा कि लालबथानी स्थित दो पंचायत उत्तरी मखमलपुर और दक्षिणी मखमलपुर मुस्लिम बहुल क्षेत्र है. सांसद विजय हांसदा और राजमहल विधायक अनंत ओझा हमारे प्रतिनिधि हैं. दो बार से चुनाव जीत रहे हैं लेकिन हमारे गांव की तरफ ध्यान नहीं देते हैं. यदि आज ये दोनों थोड़ा सा भी ध्यान दिए रहते तो आज हम लोग बांस की पुलिया के सहारे पार नहीं करते.

ग्रामीणों ने कहा कि सदर प्रखंड का पहला पंचायत है, जो हर साल बाढ़ के पानी से घिर जाता है. इस बार भी प्रभावित हो चुका है. लेकिन अभी तक कोई भी प्रतिनिधि या ब्लॉक स्तर के पदाधिकारी हम लोगो से हाल जानने नहीं आए हैं. मन बहुत दुखी होता है कि राज्य और केंद्र सरकार गांव को शहर से जोड़ रही है, लेकिन हम दशकों से इस तरह बाढ़ के पानी से परेशान हो रहे हैं.

Last Updated : Oct 18, 2022, 8:11 PM IST
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