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1200 किमी पैदल चलकर साहिबगंज पहुंचा बामडा पहाड़िया, डीसी ने दिया हरमुमकिन मदद का भरोसा

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Published : Mar 16, 2021, 1:21 PM IST

Updated : Mar 16, 2021, 2:04 PM IST

साहिबगंज जिला के पतना प्रखंड के अमरभीटा गांव का बामडा पहाड़िया मानव तस्करी का शिकार हुआ और दिल्ली चला गया. वहां रुपए-पैसे गंवाने के बाद उसने 1200 किलोमीटर का सफर पैदल तय किया और अपने गांव पहुंचा. इसको लेकर डीसी ने दुख जताया और बामडा को हरसंभव मदद का आश्वासन दिया.

साहिबगंज
मानव तस्करी के शिकार हुए पहाड़िया को सरकारी योजना के लाभ देते अधिकारी

साहिबगंजः जिला के पतना प्रखंड के अमरभीटा गांव के रहने वाले बामडा पहाड़िया मानव तस्करी का शिकार होकर दिल्ली चला गया. मानव तस्कर ने दिल्ली में काम नहीं दिलाया और उलटे पैसे भी छीन लिया. अंत में बामडा के पास कुछ नहीं बचा तो वो रेलवे ट्रैक के रास्ते पैदल ही साहिबगंज के लिए चल पड़ा. 5 महीने पैदल चलकर गांव पहुंच गया है. इसकी सूचना डीसी को मिली. डीसी ने तत्काल सरकारी योजना की लाभ पहुंचाया ताकि बामडा पहाड़िया को परेशानी झेलनी नहीं पड़े.

देखें पूरी खबर

यह भी पढ़ेंःसाहिबगंज: सेना भर्ती के लिए युवकों को चाहिए कोविड रिपोर्ट, सदर अस्पताल में उमड़ी भीड़

उपायुक्त रामनिवास यादव ने इस घटना पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार की ओर से संचालित विभिन्न योजनाओं के तहत पहाड़िया को लाभ दिया जा रहा है. बामडा के पत्नी का नाम नंदरी पहाड़ीन है, जिन्हें पहले से पेंशन मिल रहा है. राशन कार्ड अगर बामडा और उसके बच्चे का नाम नहीं दर्ज था. अब राशन कार्ड पर में उनका नाम शामिल किया जा रहा है.

डीसी ने बताया कि नंदरी पहाड़ीन और बामडा पहाड़िया का नाम चंपा बहा आजीविका समूह में है. इस समूह में क्रेडिट लिंकेज कराकर, उन्हें वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाएगी. इसके साथ ही बिरसा आवास योजना के तहत आवास मुहैया कराई जाएगी. इसको लेकर प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. उन्होंने बताया कि मार्च के अंतिम सप्ताह या अप्रैल के पहले सप्ताह में आवास की स्वीकृत दे दी जाएगी.

डीसी के निर्देश पर प्रखंड विकास पदाधिकारी पीड़ित बामडा के आवास पर पहुंचे और बामडा को जिला प्रशासन की ओर से 50 किलोग्राम राशन उपलब्ध कराया. इसके साथ ही समाज सेवा संगठन की ओर से 5000 रुपये की सहायता राशि भी दी गई.

साहिबगंजः जिला के पतना प्रखंड के अमरभीटा गांव के रहने वाले बामडा पहाड़िया मानव तस्करी का शिकार होकर दिल्ली चला गया. मानव तस्कर ने दिल्ली में काम नहीं दिलाया और उलटे पैसे भी छीन लिया. अंत में बामडा के पास कुछ नहीं बचा तो वो रेलवे ट्रैक के रास्ते पैदल ही साहिबगंज के लिए चल पड़ा. 5 महीने पैदल चलकर गांव पहुंच गया है. इसकी सूचना डीसी को मिली. डीसी ने तत्काल सरकारी योजना की लाभ पहुंचाया ताकि बामडा पहाड़िया को परेशानी झेलनी नहीं पड़े.

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उपायुक्त रामनिवास यादव ने इस घटना पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार की ओर से संचालित विभिन्न योजनाओं के तहत पहाड़िया को लाभ दिया जा रहा है. बामडा के पत्नी का नाम नंदरी पहाड़ीन है, जिन्हें पहले से पेंशन मिल रहा है. राशन कार्ड अगर बामडा और उसके बच्चे का नाम नहीं दर्ज था. अब राशन कार्ड पर में उनका नाम शामिल किया जा रहा है.

डीसी ने बताया कि नंदरी पहाड़ीन और बामडा पहाड़िया का नाम चंपा बहा आजीविका समूह में है. इस समूह में क्रेडिट लिंकेज कराकर, उन्हें वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाएगी. इसके साथ ही बिरसा आवास योजना के तहत आवास मुहैया कराई जाएगी. इसको लेकर प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. उन्होंने बताया कि मार्च के अंतिम सप्ताह या अप्रैल के पहले सप्ताह में आवास की स्वीकृत दे दी जाएगी.

डीसी के निर्देश पर प्रखंड विकास पदाधिकारी पीड़ित बामडा के आवास पर पहुंचे और बामडा को जिला प्रशासन की ओर से 50 किलोग्राम राशन उपलब्ध कराया. इसके साथ ही समाज सेवा संगठन की ओर से 5000 रुपये की सहायता राशि भी दी गई.

Last Updated : Mar 16, 2021, 2:04 PM IST
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