साहिबगंजः कोसी यातायात समिति ने दो माह पहले जिला प्रशासन को बगैर बताए फेरी सेवा बंद कर दी. फेरी घाट से गंगा के रास्ते बिहार तक मालवाहक जहाज का संचालन बंद होने से यहां व्यापार गतिविधियां भी ठप हो गईं. नतीजतन इस घाट से जुड़े मजदूर बेरोजगार हो गए और उनके सामने भुखमरी की समस्या आ गई है. अब मामले की जानकारी होने पर एडीसी ने कोसी यातायात समिति को शोकॉज नोटिस जारी किया है. एडीसी ने समिति से जल्द से जल्द रिपोर्ट मांगी है.
रोजाना दर्जनों हाईवा-ट्रक का होता था आवागमन
गंगा के रास्ते बिहार और झारखंड के बीच होने वाली व्यापारिक गतिविधि बंद होने का प्रतिकूल प्रभाव पत्थर व्यवसाय पर पड़ा है. पहले रोजाना दर्जनों हाईवा और ट्रक यहां से गिट्टी. चिप्स लेकर बिहार जाते थे. अब सदर प्रखंड के समदा घाट पर वीरानी छाई है.
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मालवाहक जहाज चलाने का आदेश
फेरी सेवा घाट का टेंडर दो-दो साल का होता है. दो साल इसका बंदोबस्त सहिबगंज प्रशासन करता है और दो साल इसका प्रबंध बिहार राज्य में कटिहार जिला प्रशासन करता है. बंदोबस्त में जितना डाक होता है, उसका बंटवारा दोनों राज्य के जिला प्रशासन में आधा-आधा होता है. 31 मार्च 2020 को कटिहार जिले का टर्म खत्म हो चुका था. इस बार साहिबगंज प्रशासन को बंदोबस्त करना था पर कोरोना की वजह से लॉकडाउन लग गया. हालांकि जिला प्रशासन की ओर से पूर्व में टेंडर वाली कमेटी का ही अवधि बढ़ा दिया गया था. साथ ही जिला प्रशासन ने सवारी जहाज को बंद कर सिर्फ मालवाहक जहाज चलाने का आदेश जारी किया, ताकि व्यवसाय चलता रहे और लोगों को रोजगार मिलता रहे.
मजदूरों का रोजगार छिना
इधर कोसी यातयात समिति ने दो महीने पहले अचानक मालवाहक जहाज का संचालन बंद कर दिया. इससे व्यापारिक गतिविधि बंद हो गई और इससे मजदूरों का रोजगार छिन गया. मजदूरों के बेरोजगार होने से उन्हें रोजी-रोटी के संकट से जूझना पड़ रहा है. वहीं फेरी घाट पर चहल पहल भी बंद हो चुकी है. जब ईटीवी भारत ने जिला प्रशासन से इस संबंध में पूछताछ की. इस पर एडीसी ने मामले का संज्ञान लिया और कोसी यातायात समिति को शोकॉज नोटिस जारी किया. नोटिस में संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर करवाई की भी चेतावनी दी गई है.
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मजदूरों के सामने भुखमरी की स्थिति
फेरी घाट से जुड़े एक मजदूर का कहना है कि काम बंद हो जाने से उनके सामने भुखमरी की समस्या पैदा हो गई है. बाल बच्चों का पालन-पोषण करना मुश्किल हो गया है. जब घाट से काम चलता था तो काफी राहत मिल रही थी. कई बार तो परिवार के लिए भोजन भी जुटाना मुश्किल हो गया है. जिला प्रशासन अगर कुछ करे तो हम मजदूरों को राहत मिले.