साहिबगंज: जिला प्रशासन की पहल से मानव तस्करी (Human Trafficking) की शिकार 14 आदिवासी नाबालिग बच्चियों में से 10 को दिल्ली से साहिबगंज लाया गया. फिलहाल सभी को बालिका सुधार गृह में रखा गया है. सभी बच्ची को उसके माता-पिता को बुलाकर सुपुर्द किया जाएगा. वहीं अन्य चार को भी लाने का प्रयास जारी है.
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जिला बाल संरक्षण अधिकारी पूनम कुमारी ने कहा कि सभी बच्ची सुरक्षित है. सभी साहिबगंज के मंडरो, बरहेट और बोरियो की रहने वाली है. उन्होंने बताया कि बच्चियों का घर पहाड़ी इलाके में है, जिसके कारण उनके माता-पिता से संपर्क करना मुश्किल हो रहा है, उन क्षेत्रों में मोबाइल टावर का घोर अभाव है, वहीं कई लोगों के पास मोबाइल ही नहीं है, जिसकी वजह से किसी के परिजनों से संपर्क नहीं हो पा रहा है. उन्होंने कहा कि चाइल्ड लाइन के सहयोग से अभिभावकों तक जानकारी पहुंचाई जा रही है.
बच्चियों को माता-पिता के पास किया जाएगा सुपुर्द
पूनम कुमारी ने बताया कि सभी बच्चियों का आधार कार्ड और उनके माता-पिता का आधार कार्ड बाल कल्याण समिति में पेश किया जाएगा और लिखित आदेश के बाद बच्चों को उसके माता-पिता को सुपुर्द किया जाएगा. उन्होंने बताया कि इन बच्चों को स्पांसरशिप योजना (Sponsorship Scheme) से जोड़ने का प्रयास किया जाएगा, साथ ही माता-पिता को भी जागरूक किया जाएगा, ताकि अगली बार ऐसी गलती ना करे. उन्होंने बताया कि इस तरह के बच्चों को सरकार की कई योजनाओं से जोड़कर लाभान्वित किया जाता है.
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इन क्षेत्रों में मानव तस्करी का अधिक मामला
जिले का मंडरो, बरहेट और बोरियो क्षेत्र काफी पिछड़ा है. इन क्षेत्रों में शिक्षा की घोर कमी है, जिसके कारण इन क्षेत्रों में ह्यूमन ट्रैफिकिंग की घटना अधिक होती है. अभिभावक दलालों के चंद पैसों के लोभ में आकर अपने बच्चों को उनके साथ काम करने के लिए जहां-तहां भेज देते हैं.