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युवाओं के लिए सरकारी योजना का हश्र: जब नौकरी के लिए परीक्षा ही नहीं होगी तो फ्री कोचिंग क्यों कराने में जुटी है सरकार

झारखंड सरकार राज्य के युवाओं को हुनरमंद और रोजगार लेने लायक बनाने के लिए फ्री में कोचिंग कराती है. लेकिन सरकार के इस योजना से युवा ही नाखुश हैं. उनका कहना है कि सरकार जब समय पर परीक्षा ही नहीं कराएगी तो फ्री कोचिंग (Jharkhand Youth worried about employment) करवाने और इस पर पैसे खर्च करने का क्या मतलब?

Jharkhand Youth
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Published : Dec 17, 2022, 5:10 PM IST

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रांची: राज्य सरकार को उम्मीद है कि युवाओं के लिए शुरू की गई दो महत्वपूर्ण योजना झारखंड के युवाओं को ना केवल हुनरमंद बनाने का काम करेगा बल्कि सरकारी या गैर सरकारी नौकरी पाने में भी सहायक साबित होगा. मगर जिनके लिए सरकार ने 'मुख्यमंत्री शिक्षा प्रोत्साहन योजना' (Chief Minister Education Promotion Scheme) और 'मुख्यमंत्री सारथी योजना' (Chief Minister Sarathi Scheme) जैसी स्कीम लॉन्च की है, लेकिन युवा ही सरकार की नीतियों से खफा हैं. उनका कहना है कि जब नौकरी के लिए परीक्षा ही नहीं होगी तो सरकार फ्री कोचिंग बेकार (Jharkhand Youth worried about employment) कराने में जुटी है.

यह भी पढ़े: झारखंड में बेरोजगारी का दंश झेल रहे युवा, फूलों की खेती कर आत्मनिर्भर होने की कोशिश

छात्रों के लिए योजना: चतरा से मुख्यमंत्री सारथी योजना और मुख्यमंत्री शिक्षा प्रोत्साहन योजना की शुरुआत होने के बाद, इसे राज्य के विभिन्न जिलों में शुरू करने की तैयारी की जा रही है. मुख्यमंत्री सारथी योजना ना केवल युवाओं को हुनरमंद बनाएगा बल्कि रोजगार नहीं मिलने पर सरकार उन्हें प्रोत्साहन राशि भी प्रदान करेगी. यह योजना झारखंड कौशल विकास के माध्यम से संचालित किए जा रहे हैं. मुख्यमंत्री शिक्षा प्रोत्साहन योजना के तहत झारखंड के विद्यार्थियों को इंजिनियरिंग, मेडिकल, लॉ, मास कम्युनिकेशन, फैशन डिजाइनिंग, होटल मैनेजमेंट, चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए), आईसीडब्ल्यूए से संबंधित प्रवेश परीक्षा की तैयारी हेतु निशुल्क कोचिंग प्रदान करने की व्यवस्था की है. श्रममंत्री सत्यानंद भोक्ता के अनुसार इस योजना का लाभ जल्द ही सभी जिलों के युवाओं को मिलेगा.



प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों का दर्द : राज्य सरकार के द्वारा शुरू की गई इन योजनाओं के बारे में विडंबना यह है कि जिन्हें इसका लाभ मिलेगा, वे खुद सरकार की नीति से नाराज हैं. प्रतियोगिता परीक्षा का तैयारी कर रहे छात्रों का मानना है कि तैयारी करते करते अब हिम्मत जवाब दे रहा है. मगर झारखंड सरकार की नीति कुछ इस तरह की बनती जा रही है, जिसका शिकार कहीं न कहीं छात्र ही होते रहे हैं. ऐसे में सरकार को नियोजन नीति कुछ इस तरह का बनाना चाहिए जिससे नियुक्ति प्रक्रिया बगैर कोई विवाद के चलता रहे. नहीं तो फ्री में कोचिंग कराने से क्या फायदा होगा. जब झारखंड सरकार के द्वारा नौकरी के लिए कोई परीक्षा ही नहीं ली जाएगी. परीक्षा होगी भी तो अनिश्चितता बनी रहेगी कि कौन सी नियुक्ति कब रद्द हो जाए और अंत में विवश होकर छात्रों को न्यायालय में गुहार लगानी पड़े.


किस पढ़ाई के लिए कितने छात्रों की नियुक्ति: योजना के तहत राज्य सरकार द्वारा इंजिनिरिंग से संबंधित प्रवेश परीक्षा हेतु 3000 छात्रों को कोचिंग दी जाएगी. इसी तरह से मेडिकल में 2000, क्लैट से संबंधित प्रवेश परीक्षा हेतु 1000, जन संचार से संबंधित प्रवेश परीक्षा हेतु 500, फैशन डिजाइनिंग के लिए 500, होटल मैनेजमेंट से संबंधित प्रवेश परीक्षा के लिए 500 और चार्टर्ड अकाउंटेंट या आईसीडब्ल्यूए से संबंधित प्रवेश परीक्षा हेतु 500 छात्रों को चयन किया जाएगा.

इस तरह से राज्य सरकार प्रत्येक वर्ष कुल आठ हजार विद्यार्थियों को निशुल्क कोचिंग प्रदान करने हेतु चयन करेगी. जिस पर 9,250 लाख रुपए खर्च करने का निर्णय लिया है. ऐसे में छात्रों ने बड़ा सवाल खड़ा किया है कि जब कोई नियुक्ति ही नहीं होगी तो युवाओं के नाम पर करोड़ों रुपया खर्च करने की क्या आवश्यकता है.

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रांची: राज्य सरकार को उम्मीद है कि युवाओं के लिए शुरू की गई दो महत्वपूर्ण योजना झारखंड के युवाओं को ना केवल हुनरमंद बनाने का काम करेगा बल्कि सरकारी या गैर सरकारी नौकरी पाने में भी सहायक साबित होगा. मगर जिनके लिए सरकार ने 'मुख्यमंत्री शिक्षा प्रोत्साहन योजना' (Chief Minister Education Promotion Scheme) और 'मुख्यमंत्री सारथी योजना' (Chief Minister Sarathi Scheme) जैसी स्कीम लॉन्च की है, लेकिन युवा ही सरकार की नीतियों से खफा हैं. उनका कहना है कि जब नौकरी के लिए परीक्षा ही नहीं होगी तो सरकार फ्री कोचिंग बेकार (Jharkhand Youth worried about employment) कराने में जुटी है.

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छात्रों के लिए योजना: चतरा से मुख्यमंत्री सारथी योजना और मुख्यमंत्री शिक्षा प्रोत्साहन योजना की शुरुआत होने के बाद, इसे राज्य के विभिन्न जिलों में शुरू करने की तैयारी की जा रही है. मुख्यमंत्री सारथी योजना ना केवल युवाओं को हुनरमंद बनाएगा बल्कि रोजगार नहीं मिलने पर सरकार उन्हें प्रोत्साहन राशि भी प्रदान करेगी. यह योजना झारखंड कौशल विकास के माध्यम से संचालित किए जा रहे हैं. मुख्यमंत्री शिक्षा प्रोत्साहन योजना के तहत झारखंड के विद्यार्थियों को इंजिनियरिंग, मेडिकल, लॉ, मास कम्युनिकेशन, फैशन डिजाइनिंग, होटल मैनेजमेंट, चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए), आईसीडब्ल्यूए से संबंधित प्रवेश परीक्षा की तैयारी हेतु निशुल्क कोचिंग प्रदान करने की व्यवस्था की है. श्रममंत्री सत्यानंद भोक्ता के अनुसार इस योजना का लाभ जल्द ही सभी जिलों के युवाओं को मिलेगा.



प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों का दर्द : राज्य सरकार के द्वारा शुरू की गई इन योजनाओं के बारे में विडंबना यह है कि जिन्हें इसका लाभ मिलेगा, वे खुद सरकार की नीति से नाराज हैं. प्रतियोगिता परीक्षा का तैयारी कर रहे छात्रों का मानना है कि तैयारी करते करते अब हिम्मत जवाब दे रहा है. मगर झारखंड सरकार की नीति कुछ इस तरह की बनती जा रही है, जिसका शिकार कहीं न कहीं छात्र ही होते रहे हैं. ऐसे में सरकार को नियोजन नीति कुछ इस तरह का बनाना चाहिए जिससे नियुक्ति प्रक्रिया बगैर कोई विवाद के चलता रहे. नहीं तो फ्री में कोचिंग कराने से क्या फायदा होगा. जब झारखंड सरकार के द्वारा नौकरी के लिए कोई परीक्षा ही नहीं ली जाएगी. परीक्षा होगी भी तो अनिश्चितता बनी रहेगी कि कौन सी नियुक्ति कब रद्द हो जाए और अंत में विवश होकर छात्रों को न्यायालय में गुहार लगानी पड़े.


किस पढ़ाई के लिए कितने छात्रों की नियुक्ति: योजना के तहत राज्य सरकार द्वारा इंजिनिरिंग से संबंधित प्रवेश परीक्षा हेतु 3000 छात्रों को कोचिंग दी जाएगी. इसी तरह से मेडिकल में 2000, क्लैट से संबंधित प्रवेश परीक्षा हेतु 1000, जन संचार से संबंधित प्रवेश परीक्षा हेतु 500, फैशन डिजाइनिंग के लिए 500, होटल मैनेजमेंट से संबंधित प्रवेश परीक्षा के लिए 500 और चार्टर्ड अकाउंटेंट या आईसीडब्ल्यूए से संबंधित प्रवेश परीक्षा हेतु 500 छात्रों को चयन किया जाएगा.

इस तरह से राज्य सरकार प्रत्येक वर्ष कुल आठ हजार विद्यार्थियों को निशुल्क कोचिंग प्रदान करने हेतु चयन करेगी. जिस पर 9,250 लाख रुपए खर्च करने का निर्णय लिया है. ऐसे में छात्रों ने बड़ा सवाल खड़ा किया है कि जब कोई नियुक्ति ही नहीं होगी तो युवाओं के नाम पर करोड़ों रुपया खर्च करने की क्या आवश्यकता है.

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