रांची: राजधानी रांची में नशे के लिए हीरोइन, ब्राउन शुगर, अफीम और गांजा, स्मैक से ज्यादा नशीली दवाइयों का इस्तेमाल हो रहा है. सस्ता और आसानी से उपलब्ध होने के कारण नशे के लिए दवाइयों का धड़ल्ले से इस्तेमाल किया जा रहा है (youth are using medicines for cheap intoxication). लगातार तीसरे साल सीआईडी के आंकड़े बता रहे हैं कि झारखंड में ड्रग्स ज्यादा नशीली दवाइयों का सेवन किया जा रहा है.
ये भी पढ़ें: नशा कारोबारियों पर कसेगा शिकंजा, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने झारखंड सहित कई राज्यों के साथ की बैठक
नशे की दवा आसानी से बाजार में उपलब्ध: ब्राउन शुगर और हीरोइन जैसे मादक पदार्थों को हासिल करना बेहद खर्चीला और मुश्किल होता है, यही वजह है कि अब नशे के आदी युवा सिरप और इंजेक्शन का जमकर इस्तेमाल कर रहे हैं. ऐसा नहीं है कि सिर्फ राजधानी रांची में ही नशे के लिए दवाइयों का इस्तेमाल हो रहा है, बल्कि झारखंड के लगभग सभी जिलों में नशे के लिए ब्राउन शुगर, स्मैक और हीरोइन से ज्यादा दवाइयों का इस्तेमाल हो रहा है. सीआईडी के आंकड़ों के मुताबिक एक दर्जन से अधिक दवाइयों का इस्तेमाल नशे के लिए किया जा रहा है. नशे के लिए युवाओं के द्वारा टैबलेट से लेकर कफ सिरप का और विभिन्न तरह के इंजेक्शन का इस्तेमाल किया जा रहा है. अमूमन इन दवाओं को डॉक्टर के प्रिशक्रिप्शन के बगैर बेचा नहीं जा सकता, लेकिन थोक में प़ुलिस ने इन दवाइयों की बरामदगी अलग अलग जगहों से की हैं.
क्या है राज्य का आंकड़ा: सीआईडी के आंकड़ों के अनुसार साल 2021 से लेकर साल 2022 के अक्टूबर महीने तक झारखंड में मादक पदार्थों को लेकर कुल 2294 केस दर्ज किए गए हैं, जिनमें 525 लोग गिरफ्तारी की गई. इस दौरान बड़े पैमाने पर ड्रग्स भी बरमाद किए गए. आंकड़े बताते है कि इनमें ज्यादातर संख्या नशे के टेबलेट और दवाइयों की थी. वहीं अगर बरामदगी की बात करें तो उसके आंकड़े हैरान करने वाले हैं.
बरामद किया गया नशीला पदार्थ
गांजा - 19204.123 किलो
डोडा - 96475.049 किलो
भांग - 12471.300 किलो
पोस्ता -1864.95 किलो
ब्राउन सुगर -116.803 किलो
हीरोइन -7.421 किलो
अफीम - 12471.923 किलो
अफीम पाउडर - 19 केजी
स्मैक -72.5 ग्राम
गांजा भरा सिगरेट -13 पैकेट
बरामद की गई नशीली दवाइयां
सिरप -32466 बोतल, 616.60 लीटर
इंजेक्शन -5160 पीस
टैबलेट -72092 पीस
अफीम के खिलाफ राज्य में हुई है बड़ी कार्रवाई: अफीम की खेती से जुड़े कुल 408 मामले दर्ज हुए हैं. जबकि इसमें 188 लोग गिरफ्तार हुए और 2885.73 एकड़ में लगी अफीम की फसल को नष्ट किया गया. वहीं अफीम से जुड़े कुल 54 तस्करों को सजा दिलाई गई.
विनष्टीकरण ( कितने मादक पदार्थ नष्ट हुए)
अफीम - 40.185 केजी
डोडा - 3224.050 केजी
गांजा - 651.666 केजी
किन दवाओं का नशे के लिए हो रहा इस्तेमाल: पुलिस के द्वारा साल 2021- 22 के दौरान कार्रवाई करते हुए नशे के लिए इस्तेमाल किए जा रहे दवाओ को जब्त किया था, उनके आंकड़ो पर अगर गौर करें तो 2750 बोतल ऑनरेक्श कफ सिरफ, 75 बोलत विनकोरेक्श, 120 बोतल कोको कफ सिरफ, 948 आरसी कफ सिरफ, 1690 नाइट्रोसन टैब, 50 बॉक्स रीडॉफ, 6100 पीस नाइट्रोहैंप टैबलेट, 19808 डायलेक्स डीसी टैबलेट, 701 पीस नाइट्राजेप्म टैब, 28 बोतल कोफिन कफ सिरफ, 41 बोतल रेक्सस कफ सिरफ, 102 फियरमिन मालेट इंजेक्शन, 109 पेंटाजोसिन इंजेक्शन, और 302 अल्प्राजोलम टैबलेट शामिल है. यह सभी दवाइयां बिना डॉक्टर के पास के पर्चे के नहीं मिलते हैं लेकिन राजधानी रांची सहित पूरे झारखंड में दवा माफिया का एक बड़ा रैकेट है जो धड़ल्ले से इन दवाओं की तस्करी कर रहा है.
बाहरी राज्यों से होती है तस्करी: नशे के इस्तेमाल के लिए तस्कर बाहरी राज्यों से दवाएं मंगवाते हैं. खासकर हिमाचल प्रदेश के सोलन से मंगायी गयी दवाओं (कोडीन फास्फेट, ऐन्टेन, ट्रामाडोल पेंटाजोसिन) का झारखंड में कोई सप्लायर नहीं है, यहां तक कि कोई स्टॉकिस्ट भी नहीं है झारखंड में. यह भी पता चला है कि इन ड्रग्स का अगर कोई लगातार 10 दिन तक सेवन कर ले, तो इसकी लत लग जाती है इसके बाद इंसान इस ड्रग्स को लेने के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार रहता है. पिछले एक साल के भीतर रांची के सुखदेव नगर, पंडरा और रातू इलाके से ऐसी दवाइयों की बड़ी खेप पकड़ी गई है. शहर में छोटे-मोटे अपराधों को अंजाम देने से पहले भी इन्हीं इंजेक्शन और सिरप का इस्तेमाल किया जा रहा है. रांची के सीनियर एसपी किशोर कौशल के अनुसार इस पूरे नेटवर्क पर पुलिस की नजर है. इसे लेकर कार्रवाई भी की जा रही है जो लगातार जारी रहेगी.