रांची: राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स ने विश्व कैंसर दिवस (World Cancer Day) के दिन एक ऐसे मरीज का इलाज कर उसे ठीक कर दिया जो जीवन की उम्मीद हार चुका था. गोड्डा जिला के रहने वाले दुर्गा मांझी को चौथे स्टेज का कैंसर था. दुर्गा मांझी को जैसे ही पता चला है कि उसे कैंसर हुआ है तो अपना इलाज कराने देवघर गया लेकिन देवघर में चिकित्सकों ने उसे कोलकाता रेफर कर दिया. जब कोलकाता में भी डॉक्टर्स ने उसका इलाज करने से मना कर दिया तो वह थक हार कर रिम्स के ईएनटी डिपार्टमेंट पहुंचा. जहां पर ईएनटी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. मुस्तफा जाहिद ने मरीज का जटिल ऑपरेशन किया और उसके मुंह के अंदर गाल और जबड़े को काट कर कैंसर के घाव को समाप्त किया.
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डॉक्टर जाहिद मुस्तफा ने बताया कि इस तरह के ऑपरेशन को BITE COMPOSITE RESECTION+NECK DISSECTION+PMMC FLAP RECONSTRUCTION कहा जाता है जो कि काफी जटिल ऑपरेशन है और इस ऑपरेशन को करने में 5 से 6 घंटे लगते हैं. उन्होंने कहा कि विश्व कैंसर दिवस के मौके पर यह ऑपरेशन निश्चित रूप से एक मिसाल है और वो मरीजों से अपील करते हैं कि मुंह और गले के कैंसर के लिए रिम्स के ईएनटी विभाग में अपना इलाज अवश्य कराएं. क्योंकि मुंह और गले के कैंसर के लिए ईएनटी विभाग में अत्याधुनिक संसाधन और काबिल डॉक्टर मौजूद हैं. इसलिए अब झारखंड में कैंसर के मरीज के इलाज की व्यवस्था है.
4 फरवरी को हर वर्ष विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है. जिसमें कैंसर के प्रति लोगों को जागरूक किया जाता है. इसको लेकर राजधानी रांची में विश्व कैंसर दिवस मनाया गया. विश्व कैंसर दिवस पर कैंसर विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. रोहित झा बताते हैं कि आज की भागदौड़ में कैंसर एक आम बीमारी हो चुकी है. आज के दिनों में हार्ट अटैक के बाद सबसे ज्यादा मरने वाले मरीजों में कैंसर के मरीज शामिल हैं. उन्होंने बताया कि पूर्वोत्तर भारत में सबसे ज्यादा ओरल कैंसर के मरीज पाए जाते हैं. इसके अलावा ब्रेस्ट कैंसर, बच्चेदानी का कैंसर सहित कई कैंसर के इलाज रिम्स में किए जा रहे हैं. पिछले एक साल की बात करें तो रिम्स के ऑन्कोलॉजी विभाग में करीब 160 कैंसर के मरीजों का सर्जरी किया है.
कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसमें शरीर की कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं. ऐसे में जरूरी होता है कि इसे फर्स्ट स्टेज में ही डॉक्टर से दिखा लिया जाए नहीं तो दूसरे, तीसरे या चौथे स्टेज में जाने के बाद मरीज को बचाना मुश्किल हो जाता है. डॉ. डीके सिन्हा बताते हैं कि कैंसर के मरीजों को बेहतर इलाज दिलाने के लिए रिम्स के ऑन्कोलॉजी विभाग और अन्य सर्जरी विभाग में सभी तरह के व्यवस्थाएं मौजूद हैं ताकि रिम्स में आने वाले गरीब मरीजों को बेहतर इलाज मिल सके.
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कैंसर के चौथे स्टेज में जाकर ठीक हुए मरीज दुर्गा मांझी ने बताया कि राज्य के गरीब मरीजों के लिए रिम्स निश्चित ही एक वरदान है. क्योंकि वह कई सरकारी एवं निजी अस्पताल से वापस लौट चुके थे. लेकिन रिम्स में उनका बिना खर्च के बेहतर इलाज किया गया है. कैंसर पीड़ित के परिजन सविता देवी ने बताया कि कैंसर होने से सिर्फ मरीज को ही नहीं बल्कि उनके परिजनों को भी समस्या झेलनी पड़ती है. इसीलिए झारखंड जैसे राज्यों में कैंसर के लिए एक बड़ा अस्पताल होना बहुत जरूरी है ताकि मरीज का इलाज कराने में परिजनों को भी समस्या से रूबरू ना होना पड़े.
झारखंड में हर वर्ष हजारों लोगों की मौत कैंसर की वजह से हो जाती है ऐसे में रिम्स का ऑन्कोलॉजी विभाग मरीजों के लिए वरदान साबित हो रहा है. यहां पर रेडियोथैरेपी और किमोथेरपी के लिए मरीजों को मोटी रकम खर्च नहीं करनी पड़ती है. जबकि रिम्स में ऑन्कोलॉजी विभाग नहीं रहने की वजह से लोगों को बाहर जाकर इलाज कराने पड़ते थे. लेकिन अब राज्य के गरीब मरीजों को अपने ही राज्य में कम खर्चे में बेहतर संसाधन प्राप्त हो रहे हैं जो कि विश्व कैंसर दिवस के दिन कैंसर के मरीजों के लिए एक राहत भरी खबर है. वर्ष 1933 में विश्व कैंसर दिवस 4 फरवरी के दिन मनाने की शुरुआत की गई थी. इसका मुख्य उद्देश्य यह था कि लोगों को इस बीमारी और इससे बचने के तरीके को लेकर जागरूक किया जा सके.