रांचीः केंद्र सरकार की मजदूर किसान नीतियों के खिलाफ गुरुवार को ट्रेड यूनियनों ने देशव्यापी हड़ताल की. इसका असर झारखंड में भी देखने को मिला. इसको लेकर बैंक बीमा, कोयला खनन क्षेत्र के असंगठित मजदूरों ने हड़ताल को सफल बनाने के लिए झारखंड की राजधानी रांची में विरोध-प्रदर्शन किया. इस विरोध-प्रदर्शन में झारखंड के वाम दलों के नेता भी शामिल हुए. प्रदर्शनकारियों ने श्रम कानूनों में बदलाव का विरोध किया.
भाकपा माले के वरिष्ठ नेता शुभेंदु कुमार ने बताया कि केंद्र सरकार मजदूरों के अधिकारों का हनन कर रही है. उन्होंने सरकार पर लोकतंत्र की हत्या करने का भी आरोप लगाया. वहीं भाकपा माले के नेता भुवनेश्वर केवट ने बताया कि जिस प्रकार से वर्तमान में किसानों को परेशान करने के लिए कृषि बिल लाया गया है और मजदूरों के अधिकारों का हनन करने के लिए जो भी कानून केंद्र सरकार द्वारा बनाए जा रहे हैं, मजदूर उसका विरोध करेंगे. इस हड़ताल के माध्यम से हम मांग करते हैं कि सरकार ने मजदूरों के संरक्षण वाले जिन भी 44 नियमों को हटाया है, उसे वापस लाया जाए. झारखंड-बिहार सेल्स रिप्रजेंटेटिव यूनियन के अध्यक्ष अनिर्वाण बोस ने इन कानूनों पर चर्चा कर वापस लेने की मांग की. सभी संगठनों ने लेबर कोड का विरोध किया.
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केंद्रीय कमेटी के आह्वान पर प्रदर्शन
ट्रेड यूनियन के केंद्रीय कमेटी द्वारा 26 नवंबर को देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया गया था. इस कड़ी में रांची समेत झारखंड के तमाम जिलों में मजदूरों और मजदूर नेताओं ने प्रदर्शन किया. प्रदर्शन में आईसीसीटीयू समेत अनेक संगठन शामिल हुए.