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लेबर कोड के विरोध में झारखंड में मजदूर सड़क पर उतरे, श्रम कानूनों में बदलाव का किया विरोध

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Published : Nov 26, 2020, 4:38 PM IST

केंद्रीय श्रमिक संगठन के आह्वान पर गुरुवार को आईसीसीटीयू,झारखंड-बिहार सेल्स रिप्रजेंटेटिव यूनियन के कार्यकर्ता सड़क पर उतरे. इस दौरान श्रमिक संगठनों ने लेबर कोड, श्रम कानून में बदलाव और निजीकरण का विरोध किया. इसका असर रांची में भी देखने को मिला. बड़ी संख्या में मजदूर नए श्रम कानूनों के विरोध में आवाज बुलंद करते नजर आए.

Workers strike in Jharkhand
लेबर कोड के विरोध में झारखंड में मजदूर सड़क पर उतरे

रांचीः केंद्र सरकार की मजदूर किसान नीतियों के खिलाफ गुरुवार को ट्रेड यूनियनों ने देशव्यापी हड़ताल की. इसका असर झारखंड में भी देखने को मिला. इसको लेकर बैंक बीमा, कोयला खनन क्षेत्र के असंगठित मजदूरों ने हड़ताल को सफल बनाने के लिए झारखंड की राजधानी रांची में विरोध-प्रदर्शन किया. इस विरोध-प्रदर्शन में झारखंड के वाम दलों के नेता भी शामिल हुए. प्रदर्शनकारियों ने श्रम कानूनों में बदलाव का विरोध किया.

देखें पूरी खबर


भाकपा माले के वरिष्ठ नेता शुभेंदु कुमार ने बताया कि केंद्र सरकार मजदूरों के अधिकारों का हनन कर रही है. उन्होंने सरकार पर लोकतंत्र की हत्या करने का भी आरोप लगाया. वहीं भाकपा माले के नेता भुवनेश्वर केवट ने बताया कि जिस प्रकार से वर्तमान में किसानों को परेशान करने के लिए कृषि बिल लाया गया है और मजदूरों के अधिकारों का हनन करने के लिए जो भी कानून केंद्र सरकार द्वारा बनाए जा रहे हैं, मजदूर उसका विरोध करेंगे. इस हड़ताल के माध्यम से हम मांग करते हैं कि सरकार ने मजदूरों के संरक्षण वाले जिन भी 44 नियमों को हटाया है, उसे वापस लाया जाए. झारखंड-बिहार सेल्स रिप्रजेंटेटिव यूनियन के अध्यक्ष अनिर्वाण बोस ने इन कानूनों पर चर्चा कर वापस लेने की मांग की. सभी संगठनों ने लेबर कोड का विरोध किया.

ये भी पढ़ें-बोनस-एरियार की मांग पर ECL राजमहल परियोजना के सीएचपी श्रमिकों की हड़ताल खत्म

केंद्रीय कमेटी के आह्वान पर प्रदर्शन
ट्रेड यूनियन के केंद्रीय कमेटी द्वारा 26 नवंबर को देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया गया था. इस कड़ी में रांची समेत झारखंड के तमाम जिलों में मजदूरों और मजदूर नेताओं ने प्रदर्शन किया. प्रदर्शन में आईसीसीटीयू समेत अनेक संगठन शामिल हुए.

रांचीः केंद्र सरकार की मजदूर किसान नीतियों के खिलाफ गुरुवार को ट्रेड यूनियनों ने देशव्यापी हड़ताल की. इसका असर झारखंड में भी देखने को मिला. इसको लेकर बैंक बीमा, कोयला खनन क्षेत्र के असंगठित मजदूरों ने हड़ताल को सफल बनाने के लिए झारखंड की राजधानी रांची में विरोध-प्रदर्शन किया. इस विरोध-प्रदर्शन में झारखंड के वाम दलों के नेता भी शामिल हुए. प्रदर्शनकारियों ने श्रम कानूनों में बदलाव का विरोध किया.

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भाकपा माले के वरिष्ठ नेता शुभेंदु कुमार ने बताया कि केंद्र सरकार मजदूरों के अधिकारों का हनन कर रही है. उन्होंने सरकार पर लोकतंत्र की हत्या करने का भी आरोप लगाया. वहीं भाकपा माले के नेता भुवनेश्वर केवट ने बताया कि जिस प्रकार से वर्तमान में किसानों को परेशान करने के लिए कृषि बिल लाया गया है और मजदूरों के अधिकारों का हनन करने के लिए जो भी कानून केंद्र सरकार द्वारा बनाए जा रहे हैं, मजदूर उसका विरोध करेंगे. इस हड़ताल के माध्यम से हम मांग करते हैं कि सरकार ने मजदूरों के संरक्षण वाले जिन भी 44 नियमों को हटाया है, उसे वापस लाया जाए. झारखंड-बिहार सेल्स रिप्रजेंटेटिव यूनियन के अध्यक्ष अनिर्वाण बोस ने इन कानूनों पर चर्चा कर वापस लेने की मांग की. सभी संगठनों ने लेबर कोड का विरोध किया.

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केंद्रीय कमेटी के आह्वान पर प्रदर्शन
ट्रेड यूनियन के केंद्रीय कमेटी द्वारा 26 नवंबर को देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया गया था. इस कड़ी में रांची समेत झारखंड के तमाम जिलों में मजदूरों और मजदूर नेताओं ने प्रदर्शन किया. प्रदर्शन में आईसीसीटीयू समेत अनेक संगठन शामिल हुए.

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