रांची: कोरोना काल में प्रदेश के कई लोग दूसरे राज्यों से रोजगार छोड़कर अपने घर वापस लौट गए हैं, जिन्हें सरकार ने सरकार ने अपने ही प्रदेश में रोजगार देने का आश्वासन दिया है. झारखंड से बाहर जाकर काम कर रहे मजदूरों ने सरकार से मिले आश्वासन के बाद थोड़ी राहत की सांस ली थी, लेकिन इन मजदूरों को अब तक रोजगार नहीं मिल पाया है.
मार्च में लॉकडाउन होने के बाद लाखों की संख्या में मजदूर दूसरे राज्यों से घर आए और 4 महीनों तक लगातार अपने घरों में इस आस में इंतजार कर रहे थे, कि शायद राज्य सरकार उन्हें उनके ही गृह जिला में कोई रोजगार दे देगी, लेकिन काफी इंतजार करने के बाद उन्हें जब कोई रोजगार नहीं मिला तो मजदूर आखिर में थक हार कर फिर से घर छोड़ने को मजबूर हो गए. मजदूर काम की तलाश में हजारों की संख्या में प्रतिदिन दूसरे राज्य पलायन कर रहे हैं, लेकिन सरकार इनकी कोई सुध नहीं ले रही है. इसे लेकर रांची के बिरसा मुंडा एयरपोर्ट पर ईटीवी भारत के संवाददाता ने काम की तलाश में बाहर जा रहे मजदूरों से खास बातचीत की, जिसमें उन्होंने अपनी परेशानी बताई.
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ईटीवी से बातचीत के दौरान पलायन कर रहे मजदूरों ने बताया कि पिछले 4 महीनों से वे लोग इसी इंतजार में हैं, कि शायद हमें अपने ही राज्यों में कोई रोजगार मिल जाएगा, लेकिन अब तक न तो कोई रोजगार मिला और न ही किसी तरह की मदद, जिसके बाद मजबूर होकर हमें फिर से दूसरे राज्यों में काम करने के लिए पलायन करना पड़ रहा है. काम की तलाश में बेंगलुरु जा रहे राजधनवार के मोहम्मद कासिम ने बताया कि पिछले 4 महीने से बिना काम के ही हम लोग घर में बैठे रहे, इस वजह से अब हमारा जमा पूंजी भी समाप्त हो गया है और घर में भोजन का भी आफत हो रही है, इसलिए हम लोग अब अपने हाथ पर भरोसा कर फिर से काम की तलाश में निकल गए हैं, क्योंकि हमें अब लगने लगा है कि राज्य सरकार के वादे और दावे सिर्फ दिखावे हैं.
मजदूरों का यह दर्द बिल्कुल ही जायज है, क्योंकि संक्रमण के इस दौर में कोई भी व्यक्ति अपने राज्य से बाहर जाकर काम करना नहीं चाहता, लेकिन अगर सरकार ही उन्हें पलायन के लिए मजबूर कर दे तो उनके पास कोई रास्ता नहीं बचता है.