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जानिए क्या है जगन्नाथ रथयात्रा के दिन मौर चढ़ाने का रिवाज, सालों से महिलाएं निभा रही हैं परंपरा

हर साल जगन्नाथ रथयात्रा के दौरान महिलाएं मौर चढ़ाने यहां पहुंचती हैं. मौर उसी परिवार की महिलाएं चढ़ाती हैं, जिनके घर एक साल के अंदर शादी विवाह संपन्न हुई हो.

women offer maur every year during jagannath yatra in ranchi
जानिए क्या है जगन्नाथ रथयात्रा के दिन मौर चढ़ाने का रिवाज, सालों से महिलाएं निभा रही हैं परंपरा
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Published : Jul 12, 2021, 9:42 PM IST

रांची: राजधानी के जगन्नाथपुर मंदिर में हर साल निकलने वाली ऐतिहासिक रथ यात्रा ना केवल सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि आस्था का केंद्र भी है. 1691 में बड़कागढ़ में नागवंशी राजा ठाकुर एनीनाथ शाहदेव ने धुर्वा के पास भगवान जगन्नाथ मंदिर का निर्माण कराया था. उसी साल यानी 1691 से रथयात्रा निकलनी शुरू हुई. यह लगातार दूसरा साल है, जब कोरोना के चलते रथयात्रा नहीं निकली जा सकी है. फिर भी इस मौके पर महिलाओं ने ना केवल रथ की पूजा की, बल्कि अपने घर से लाए मौर को पारंपरिक रुप से चढ़ाया.

इसे भी पढ़ें- कोरोना काल में भगवान जगन्नाथ की हुई पूजा, भक्तों ने निकाली सांकेतिक रथ यात्रा

क्यों चढ़ाते हैं मौर

इस दौरान बांस की डाली या बांस की पूजा अर्चना कर घर की महिला नवदंपत्ति की संतान प्राप्ति और वंशवृद्धि की कामना करती हैं.

देखें पूरी खबर

मौर चढ़ाने के पीछे की वजह

दरअसल, मौर उसी परिवार की महिलाएं चढ़ाती हैं, जिनके घर एक साल के अंदर शादी विवाह संपन्न हुआ हो. दुल्हा-दुल्हन की शादी के वक्त सिर पर चढ़ा हुआ मौर भगवान जगन्नाथ को समर्पित किया जाता है. इस दौरान बांस की डाली या बांस की पूजा अर्चना कर घर की महिला नवदंपत्ति की संतान प्राप्ति और वंशवृद्धि की कामना करती हैं. सालों से चल रही ये परंपरा आज भी जगन्नाथपुर मंदिर परिसर में देखने को मिली. कांके से आई महिला कुसुम के घर पर पिछले साल हुई शादी के बाद मौर चढ़ाने यहां पहुंचीं. घर के लोगों के साथ पूजा अर्चना कर भगवान जगन्नाथ से खुशहाली की कामना की.

women offer maur every year during jagannath yatra in ranchi
रथ यात्रा के दिन मौर चढ़ाती महिलाएं



कोरोना पर आस्था भारी

इस साल भले ही कोरोना की वजह से रथयात्रा नहीं निकली, लेकिन लोगों की आस्था कम होती नहीं दिखी. जगन्नाथपुर मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं की भीड़ ये बताने के लिए काफी थी. इस दौरान श्रद्धालुओं ने पुराने रथ की पूजा कर भगवान जगन्नाथ को याद किया. शारीरिक रुप से अक्षम होने के बावजूद करीब 25 सालों से जगन्नाथपुर मंदिर आ रही महिला श्रद्धालु कल्याणी की मानें तो रथयात्रा नहीं हुआ.

women offer maur every year during jagannath yatra in ranchi
महिलाओं ने रथ की पूजा की

इसे भी पढ़ें- भगवान जगन्नाथ के द्वार पर पहुंचे CM हेमंत सोरेन, कोरोना से मुक्ति की मांगी दुआ

1691 से धुर्वा के जगन्नाथपुर मंदिर परिसर से निकलने वाली इस रथ यात्रा के दौरान भव्य मेला लगता है, लेकिन कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से इस बार न तो यात्रा निकली और न ही मेले का आयोजन हुआ. हालांकि मंदिर में अनुष्ठान के साथ श्रद्धालुओं की आस्था प्रबल दिखी, जो पारंपरिक रुप से मौर चढाकर लोगों ने रथयात्रा को याद किया.

रांची: राजधानी के जगन्नाथपुर मंदिर में हर साल निकलने वाली ऐतिहासिक रथ यात्रा ना केवल सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि आस्था का केंद्र भी है. 1691 में बड़कागढ़ में नागवंशी राजा ठाकुर एनीनाथ शाहदेव ने धुर्वा के पास भगवान जगन्नाथ मंदिर का निर्माण कराया था. उसी साल यानी 1691 से रथयात्रा निकलनी शुरू हुई. यह लगातार दूसरा साल है, जब कोरोना के चलते रथयात्रा नहीं निकली जा सकी है. फिर भी इस मौके पर महिलाओं ने ना केवल रथ की पूजा की, बल्कि अपने घर से लाए मौर को पारंपरिक रुप से चढ़ाया.

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क्यों चढ़ाते हैं मौर

इस दौरान बांस की डाली या बांस की पूजा अर्चना कर घर की महिला नवदंपत्ति की संतान प्राप्ति और वंशवृद्धि की कामना करती हैं.

देखें पूरी खबर

मौर चढ़ाने के पीछे की वजह

दरअसल, मौर उसी परिवार की महिलाएं चढ़ाती हैं, जिनके घर एक साल के अंदर शादी विवाह संपन्न हुआ हो. दुल्हा-दुल्हन की शादी के वक्त सिर पर चढ़ा हुआ मौर भगवान जगन्नाथ को समर्पित किया जाता है. इस दौरान बांस की डाली या बांस की पूजा अर्चना कर घर की महिला नवदंपत्ति की संतान प्राप्ति और वंशवृद्धि की कामना करती हैं. सालों से चल रही ये परंपरा आज भी जगन्नाथपुर मंदिर परिसर में देखने को मिली. कांके से आई महिला कुसुम के घर पर पिछले साल हुई शादी के बाद मौर चढ़ाने यहां पहुंचीं. घर के लोगों के साथ पूजा अर्चना कर भगवान जगन्नाथ से खुशहाली की कामना की.

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रथ यात्रा के दिन मौर चढ़ाती महिलाएं



कोरोना पर आस्था भारी

इस साल भले ही कोरोना की वजह से रथयात्रा नहीं निकली, लेकिन लोगों की आस्था कम होती नहीं दिखी. जगन्नाथपुर मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं की भीड़ ये बताने के लिए काफी थी. इस दौरान श्रद्धालुओं ने पुराने रथ की पूजा कर भगवान जगन्नाथ को याद किया. शारीरिक रुप से अक्षम होने के बावजूद करीब 25 सालों से जगन्नाथपुर मंदिर आ रही महिला श्रद्धालु कल्याणी की मानें तो रथयात्रा नहीं हुआ.

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महिलाओं ने रथ की पूजा की

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1691 से धुर्वा के जगन्नाथपुर मंदिर परिसर से निकलने वाली इस रथ यात्रा के दौरान भव्य मेला लगता है, लेकिन कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से इस बार न तो यात्रा निकली और न ही मेले का आयोजन हुआ. हालांकि मंदिर में अनुष्ठान के साथ श्रद्धालुओं की आस्था प्रबल दिखी, जो पारंपरिक रुप से मौर चढाकर लोगों ने रथयात्रा को याद किया.

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