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रांची में तरबूज की खेती कर महिलाएं बन रहीं आत्मनिर्भर, बंपर पैदावार ने घाटे से उबारा

रांची में तरबूज की खेती कर महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं. ओरमांझी प्रखंड का उकरीद गांव, जहां महिलाओं की मेहनत रंग लाई. तरबूज की बंपर पैदावार ने उन्हें घाटे से उबारा है.

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रांची में तरबूज की खेती
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Published : Apr 30, 2022, 6:03 PM IST

Updated : Apr 30, 2022, 6:20 PM IST

रांचीः राजधानी से मात्र 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित और मांझी प्रखंड का उकरीद गांव इन दिनों तरबूज की खेती को लेकर चर्चा में है. चर्चा इसलिए क्योंकि इस गांव की महिलाओं ने तरबूज की खेती कर ना सिर्फ अपने आपको आर्थिक रूप से मजबूत किया बल्कि पिछले दो साल से हो रहे नुकसान की भरपाई भी कर ली.

इसे भी पढ़ें- हजारीबाग में तरबूज की खेती से बदली 800 महिलाओं की जिंदगी, बनाई अलग पहचान

कोविड संक्रमण की वजह से पिछले दो साल बहुत ही कठिनाई भरे बीते. फसल अच्छी भी हुई लेकिन इसके लिए खरीदार नहीं मिले. जिसकी वजह से इन किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ा था. लेकिन इस बार परिस्थितियां बिल्कुल अलग हैं, इस बार खेती भी बंपर हुई है और तरबूज का बाजार भी बेहद उम्दा रहा. जिसकी वजह से तरबूज की खेती में जुटी महिला किसानों को काफी लाभ हुआ है. उनकी मेहनत इस बार रंग लाई है.

देखें पूरी खबर
रांची के ओरमांझी प्रखंड का उकरीद गांव अपने बेहतरीन तरबूज के फसल के लिए जाना जाता है. यहां के तरबूज की मिठास शहर के लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करता है. लेकिन पिछले 2 साल के दौरान तरबूज की फसल को लेकर काफी नुकसान उठाना पड़ा था. इस वर्ष जब तरबूज की फसल लगाने की बात हुई तब गांव के पुरुषों को इस बात की आशंका थी कि कहीं इस बार भी बाजार संक्रमण का शिकार हो गया तो पूंजी भी डूब जाएगी.

इसे भी पढ़ें- कोरोना की मार से तरबूज कारोबार ठप, नहीं मिल रहे ग्राहक

ऐसे समय पर गांव की महिलाएं सामने आईं और उन्होंने तरबूज की फसल लगाने का निर्णय लिया. महिला समिति के सहयोग से गांव की महिलाओं ने 10 एकड़ में तरबूज की फसल लगाई, सिंचाई से लेकर फसल को तैयार करने के लिए हर तरह का जतन किया. आखिरकार महिलाओं की मेहनत सफल हुई और 10 एकड़ में तरबूज की बंपर पैदावार हुई है. उकरीद गांव की महिला किसान सूरज मणि देवी के अनुसार कोरोना की वजह से पिछले दो साल में उन्हें तरबूज की फसल में काफी नुकसान हुआ था. लेकिन इस साल उन्हें दो से तीन गुना फायदा मिला है और वो घाटे से भी उबर चुके हैं.


ड्रिप सिंचाई से बेहतर हुई फसलः तरबूज की फसल के लिए पानी बेहद जरूरी है, जितनी अधिक सिंचाई का साधन होगा तरबूज उतना ही बड़ा और मीठा होता है. इस बार जेएसएलपीएस संस्था के द्वारा महिलाओं को ड्रिप सिंचाई प्रणाली उपलब्ध करवाया गया है. इस सिंचाई प्रणाली से फसल में सीधे पानी पहुंचता है और पानी का नुकसान भी नहीं होता है. यही वजह है कि इस बार फसल काफी बढ़िया हुआ है.


बाजार की तलाश में नहीं जाना पड़ा शहरः महिलाओं ने अपने मेहनत के बल पर तरबूज की फसल तो तैयार कर ली. लेकिन उसे बाजार तक पहुंचाने की चिंता उन्हें सता रही थी. लेकिन इस बार गांव में व्यापारी और महाजन पहुंचे और वहीं से तरबूज खरीदकर बाजारों तक ले गए. कुछ खुदरा व्यापारी भी सीधे अपने वाहन लेकर गांव पहुंचे और यहीं से नकद तरबूज खरीद कर शहर में बेचा है. तरबूज की फसल में मुनाफा के बाद अब उकरीद गांव की महिलाएं मटर और टमाटर की फसल लगाने की तैयारी कर रही हैं. जो मुनाफा कमाया है उसे महिलाओं ने बैंकों में जमा कर दिया है अब उसी पैसों से एक बार फिर से खेती करेंगी.

रांचीः राजधानी से मात्र 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित और मांझी प्रखंड का उकरीद गांव इन दिनों तरबूज की खेती को लेकर चर्चा में है. चर्चा इसलिए क्योंकि इस गांव की महिलाओं ने तरबूज की खेती कर ना सिर्फ अपने आपको आर्थिक रूप से मजबूत किया बल्कि पिछले दो साल से हो रहे नुकसान की भरपाई भी कर ली.

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कोविड संक्रमण की वजह से पिछले दो साल बहुत ही कठिनाई भरे बीते. फसल अच्छी भी हुई लेकिन इसके लिए खरीदार नहीं मिले. जिसकी वजह से इन किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ा था. लेकिन इस बार परिस्थितियां बिल्कुल अलग हैं, इस बार खेती भी बंपर हुई है और तरबूज का बाजार भी बेहद उम्दा रहा. जिसकी वजह से तरबूज की खेती में जुटी महिला किसानों को काफी लाभ हुआ है. उनकी मेहनत इस बार रंग लाई है.

देखें पूरी खबर
रांची के ओरमांझी प्रखंड का उकरीद गांव अपने बेहतरीन तरबूज के फसल के लिए जाना जाता है. यहां के तरबूज की मिठास शहर के लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करता है. लेकिन पिछले 2 साल के दौरान तरबूज की फसल को लेकर काफी नुकसान उठाना पड़ा था. इस वर्ष जब तरबूज की फसल लगाने की बात हुई तब गांव के पुरुषों को इस बात की आशंका थी कि कहीं इस बार भी बाजार संक्रमण का शिकार हो गया तो पूंजी भी डूब जाएगी.

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ऐसे समय पर गांव की महिलाएं सामने आईं और उन्होंने तरबूज की फसल लगाने का निर्णय लिया. महिला समिति के सहयोग से गांव की महिलाओं ने 10 एकड़ में तरबूज की फसल लगाई, सिंचाई से लेकर फसल को तैयार करने के लिए हर तरह का जतन किया. आखिरकार महिलाओं की मेहनत सफल हुई और 10 एकड़ में तरबूज की बंपर पैदावार हुई है. उकरीद गांव की महिला किसान सूरज मणि देवी के अनुसार कोरोना की वजह से पिछले दो साल में उन्हें तरबूज की फसल में काफी नुकसान हुआ था. लेकिन इस साल उन्हें दो से तीन गुना फायदा मिला है और वो घाटे से भी उबर चुके हैं.


ड्रिप सिंचाई से बेहतर हुई फसलः तरबूज की फसल के लिए पानी बेहद जरूरी है, जितनी अधिक सिंचाई का साधन होगा तरबूज उतना ही बड़ा और मीठा होता है. इस बार जेएसएलपीएस संस्था के द्वारा महिलाओं को ड्रिप सिंचाई प्रणाली उपलब्ध करवाया गया है. इस सिंचाई प्रणाली से फसल में सीधे पानी पहुंचता है और पानी का नुकसान भी नहीं होता है. यही वजह है कि इस बार फसल काफी बढ़िया हुआ है.


बाजार की तलाश में नहीं जाना पड़ा शहरः महिलाओं ने अपने मेहनत के बल पर तरबूज की फसल तो तैयार कर ली. लेकिन उसे बाजार तक पहुंचाने की चिंता उन्हें सता रही थी. लेकिन इस बार गांव में व्यापारी और महाजन पहुंचे और वहीं से तरबूज खरीदकर बाजारों तक ले गए. कुछ खुदरा व्यापारी भी सीधे अपने वाहन लेकर गांव पहुंचे और यहीं से नकद तरबूज खरीद कर शहर में बेचा है. तरबूज की फसल में मुनाफा के बाद अब उकरीद गांव की महिलाएं मटर और टमाटर की फसल लगाने की तैयारी कर रही हैं. जो मुनाफा कमाया है उसे महिलाओं ने बैंकों में जमा कर दिया है अब उसी पैसों से एक बार फिर से खेती करेंगी.

Last Updated : Apr 30, 2022, 6:20 PM IST
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