रांचीः लॉकडाउन के बाद झारखंड में पलायन की तस्वीरे बड़े पैमाने पर देखने को मिल रही है. खासकर झारखंड के ग्रामीण और सुदूर इलाकों के बच्चे और बच्चियां अपने परिवार का पेट भरने के लिए अपना घर छोड़ने को मजबूर है. लॉकडाउन के बाद राजधानी के बस स्टैंड, एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन जैसे स्थानों पर छोटी-छोटी उम्र की लड़कियां राज्य से पलायन करती मिल रही है.
झारखंड सरकार के वादों की खुली पोल
झारखंड सरकार ने लॉकडाउन में वापस लौटे मजदूरों को यह आश्वासन दिया था कि अब राज्य के गरीब वर्ग के लोगों को उनके जिले में ही नौकरी मुहैया कराई जाएगी. ताकि वह अपने परिवार और समाज के बीच में रहकर आराम से काम कर सके, लेकिन एयरपोर्ट से परदेश जा रही यह लड़कियां झारखंड सरकार के वादे की पोल खोलती नजर आ रही है. पलायन कर रही लड़कियों का कहना है कि झारखंड में रोजगार नहीं मिलने के कारण बाहर जाने को मजबूर हैं.
दूसरे राज्य में काम करने को मजबूर
झारखंड के सुदूर इलाके से बैंगलुरू जा रही संगीता कुमारी का कहना है कि गरीब परिवार से होने के कारण कम उम्र में ही पैसे कमाना उनकी मजबूरी है. तमिलनाडु जा रही प्रतिभा कुमारी का कहना है कि झारखंड में बेहतर विकल्प नहीं होने के कारण दूसरे राज्य में काम पकड़ना पड़ता है. पहले भी कई बार बाहर जाकर काम किया है. अब लॉकडाउन के बाद जब अपने राज्यों में काम नहीं मिल रहा था तो लोग फिर से राज्य के बाहर जाकर काम करने को मजबूर हैं.
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सिलाई और कढ़ाई का काम
वहीं कंपनी के मैनेजर का कहना हैं कि झारखंड सरकार की मदद से लगभग 50 लड़कियों को सिलाई और कढ़ाई का काम करने ले जाया जा रहा हैं. क्योंकि लॉकडाउन के बाद मजदूरों की घोर कमी हो गई थी. झारखंड में मजदूर आसानी से मिल जाते हैं इसीलिए कंपनी की तरफ से और झारखंड सरकार की मदद से मजदूरों को ले जा रहे हैं.
झारखंड अपने आप में आत्मनिर्भर राज्य
स्वरोजगार कर रहे स्थानीय रजनीश कुमार का कहना है कि झारखंड अपने आप में आत्मनिर्भर राज्य है. यहां पर प्रचुर मात्रा में खनिज और संपदा है, जो इसे धनी राज्य में शामिल करता है. इसके बावजूद भी युवाओं को रोजगार के लिए अन्य प्रदेशों में भटकना पड़ता है. जोकि निश्चित रूप से दुर्भाग्यपूर्ण है.