रांची: खाद्य पदार्थों में मिलावट की जांच के लिए रांची के नामकुम में सरकार ने एनएबीएल (National Accreditation Board for Testing and Calibration Laboratories) से मान्यता प्राप्त अत्याधुनिक स्टेट फूड टेस्टिंग लेबोरेट्री बनाया है. जहां राज्यभर के खाद्य पदार्थ के सैंपल की जांच की जाती है. करोड़ों रुपये की लागत से बनीं स्टेट फूड लेबोरेट्री में मंगाई गई मशीनों को चलाने के लिए इन दिनों 28 किलोमीटर दूर BIT मेसरा से पानी मंगवाना पड़ रहा है.
क्या होता है इस खास पानी में: झारखंड स्टेट फूड टेस्टिंग लैब के प्रभारी निदेशक चतुर्भुज मीणा ने बताया कि LCMS (liquid chromatography-mass spectrometry) ग्रेड का हाई प्यूरिटी का पानी होता है. जिसका इस्तेमाल विटामिन, कीटनाशक और जहर की जांच वाली मशीन LCMSMS में उपयोग किया जाता है. उन्होंने बताया कि सामान्य या डिस्टिल्ड वाटर इस्तेमाल नहीं हो सकता है. इन मशीनों में इस्तेमाल होने वाले पानी का रेजिस्टेंस 18.2 मिली ओम होता है. एक ऐसा वाटर जिसमें आयन नहीं होता हो.
सूख गई बोरिंग से परेशानी: स्टेट फ़ूड टेस्टिंग लैब में अपने स्तर से हाई प्यूरिटी का पानी बनाने की पूरी इक्विपमेंट लगी हुई है. जिस बोरवेल से इस प्लांट को पानी पहुंचता है, वह गर्मी में सूख चुका है. ऐसे में मशीनों के उपयोग में लाये जाने वाले पानी प्लांट में बन नहीं रहा है. चतुर्भुज मीणा ने बताया कि स्टेट फूड टेस्टिंग लैब में खाद्य पदार्थो की जांच बाधित नहीं हो इसलिए 28 किलोमीटर दूर स्थित BIT मेसरा के लैब से हाई प्यूरीफाइड पानी उधार में मंगाया गया है. जिसे अपना प्लांट शुरू होने पर वापस कर दिया जायेगा.
टेस्टिंग लैब को भी इंतजार: झारखंड में पिछले दिनों पड़ी प्रचंड गर्मी की वजह से भूगर्भ का पानी पाताल लोक में चला गया है. इस वजह से हजारों की संख्या में बोरवेल फेल हुए हैं. उसमें से फूड टेस्टिंग लैब का भी बोरवेल एक है. स्टेट फूड टेस्टिंग लैब के प्रभारी चतुर्भुज मीणा कहते हैं कि पिछले कुछ दिनों में अच्छी बारिश हुई है. अगर इसी तरह की कृपा इंद्र भगवान की रही तो फिर बोरवेल में पानी आ जायेगा. फिर 28 किलोमीटर दूर से पानी लाने की जरूरत नहीं पड़ेगी.