रांचीः देश के उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू रविवार को राजधानी पहुंचे. आर्यभट्ट सभागार में आईआईएम के अटल बिहारी वाजपेई सेंटर फॉर पॉलिसी एंड गवर्नेंस की ओर से लीडरशिप एंड गुड गवर्नेंस इन इंडियन कॉन्टेक्स्ट विषय पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपराष्ट्रपति शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने छात्रों को संबोधित किया और कई महत्वपूर्ण बातें कहीं.
लीडर में चरित्र, समर्पण, आचरण और क्षमता जरूरी
छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि एक लीडर में चरित्र, समर्पण, आचरण और क्षमता का होना बेहद जरूरी है. तभी नेतृत्व करने वाला अपनी जिम्मेदारियों के साथ सकारात्मक परिणाम समाज और देश को दे सकता है. लीडर का यह मतलब नहीं कि वह राजनीति से ही जुड़ा है. लीडर किसी भी क्षेत्र का हो सकता है. एक लीडर में जाति, समुदाय और आपराधिकता नहीं होनी चाहिए. वे इन सब चीजों को बढ़ावा देकर लोकतंत्र को कमजोर करने की कोशिश करते हैं.
उपराष्ट्रपति ने कहा कि कौटिल्य ने कहा था कि शासन करने वाला जिम्मेदार होगा तो सुशासन होगा. शासक को जनता का सेवक होना चाहिए. कानून का पालन हो, पारदर्शिता हो, जिम्मेदारी हो, प्रभावशाली व्यवस्था हो और भ्रष्टाचार न हो, तभी सुशासन परिलक्षित होगी. लोगों की सेवा के भाव का विस्तारीकरण भी अहम है.
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विकास के लिए जन भागीदारी जरूरी
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि विकास कार्यों में जनभागीदारी होनी चाहिए. देश की जनता में यह विश्वास होना जरूरी है कि देश के विकास में वे योगदान कर रहे हैं. साथ ही देश की जनता को लोकतंत्र पर विश्वास रखना चाहिए. आप आपस में बात करें, किसी मुद्दे पर अपना मंतव्य दें, यही लोकतंत्र की खूबसूरती है. कानून का उल्लंघन और संविधान का अनुसरण नहीं करना अशांति लाती है, जो विकास में बाधक बनता है. उपराष्ट्रपति ने कहा कि युवा बेहतर विजन के साथ आगे आएं. उन्होंने युवाओं को अंकित कर कहा कि भारत विश्वगुरु था, पूरी दुनिया के लोग यहां ज्ञान अर्जित करने आते थे. यहां की आबो हवा अद्भुत है. आज भी हर क्षेत्र में बेहतर कर रहे हैं. सूचना प्रौद्योगिकी में भारत आगे निकल चुका है. देश के युवा बेहतर विजन, अपने स्वाभिमान के साथ आगे आएं और देश का मान ऊंचा करने में भागीदारी निभाएं. युवा समेत देश के सभी लोगों को भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करनी होगी. सुशासन बेहतर सरकार की पहचान है.
छात्रों के सवाल पर उपराष्ट्रपति ने कहा कि सभी परेशानियों को वह चुनौती के रूप में स्वीकार करते हैं. 45 साल से जनता की सेवा में जुटे हैं और लोगों से मिलना उनसे बात करना उन्हें अच्छा लगता है.