रांची: जनजातीय युवक-युवतियों के पलायन को रोकने के उद्देश्य से भारतीय जनता पार्टी, अनुसूचित जनजाति मोर्चा और कौशल विकास मंत्रालय भारत सरकार के संयुक्त तत्वावधान में उन्हें उद्यमिता एवं कौशल विकास प्रशिक्षण (entrepreneurship and skill development training) कार्यक्रम का शुभारंभ शनिवार से किया गया. प्रशिक्षण का उद्देश्य जनजातीय युवक-युवतियों को रोजी-रोजगार का अवसर दिलाते हुए, आत्मनिर्भर व रोजगार सेवक बनाकर पलायन को रोकने का है. इस कार्यक्रम की शुरुआत केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा (Union Minister Arjun Munda) ने किया.
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अर्जुन मुंडा ने किया कार्यक्रम का शुभारंभ: उद्यमिता एवं कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम में देश भर से लगभग 250 जनजातीय युवक भाग ले रहे हैं, जिन्हें दो महीनों तक प्रशिक्षण दिया जायेगा. इस उद्यमिता प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने किया. इस मौके पर उद्यमिता एवं कौशल विकास मंत्रालय के राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने ऑनलाइन संबोधित किया. इस अवसर पर जनजातीय कार्य मंत्रालय के राज्यमंत्री विश्वेश्वर गुड्डू, राज्यसभा सांसद समीर उरांव, रांची नगर निगम की मेयर आशा लाकड़ा, विधायक सी पी सिंह समेत कई गणमान्य उपस्थित थे. रांची अनगड़ा के जोन्हा गुडीडीह सेवा भारती सेवा धाम परिसर में इन युवाओं को 60 दिनों की ट्रेनिंग दी जाएगी. यह प्रशिक्षण राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (NSDC-National Skill Development Corporation) के द्वारा दिया जाएगा.
रोजगार सृजन के लिए लें प्रशिक्षण: स्कील इंडिया मिशन एवं संसदीय संकुल विकास परियोजना के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि इसे ना केवल प्रशिक्षण के रूप में देखा जाना चाहिए बल्कि यह कार्यक्रम एक बड़े उद्देश्य के लिए है. उन्होंने कहा देश कैसे आत्मनिर्भर दिखाई दे, इसकी कल्पना हम बीज से ही कर सकते हैं. इसी उद्देश्य से इन युवाओं को प्रशिक्षण (Skill development training to Tribal Society) दिया जा रहा है. इस ट्रेनिंग को नौकरी के लिए नहीं बल्कि रोजगार सृजन को ध्यान में रखकर युवा ट्रेनिंग लें.
रोजगार सृजन कर बना जा सकता है आत्मनिर्भर: अर्जुन मुंडा ने भोपाल में हुए युवाओं के प्रशिक्षण और उनके द्वारा किये जा रहे कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि इन युवाओं में बड़ा बदलाव आया है. देश के विभिन्न भागों में करीब 10 करोड़ जनजाति रहते हैं. जहां जाकर हमें कार्य करने का मौका मिला है. क्षेत्रफल की दृष्टि से जनजातीय समुदाय ज्यादा जगह रहते हैं. मगर आबादी की दृष्टि से इनकी संख्या कम है. द्वीपों में भी रहनेवाले जनजातीयों को कैसे कौशल विकास से जोड़ा जाए और उन्हें प्रशिक्षित कर आत्मनिर्भर बनाया जाए, यह मंत्रालय कर रही है. इस मौके पर जनजातीयों के जीवन दर्शन को बताते हुए अर्जुन मुंडा ने कहा कि जनजाति समाज प्रकृति पूजक हैं और वे अपने तरीके से जीवन जीने के आदि हैं. कौशल विकास से पलायन रोकने के साथ साथ रोजगार सृजन करके आत्मनिर्भर बना जा सकता है.