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युवाओं को बेरोजगारी भत्ता देने का हेमंत सरकार का फैसला फाइलों में सिमटा, 8 लाख से अधिक युवाओं ने कराया निबंधन - Unemployment increased in Jharkhand

झारखंड विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस-जेएमएम महागठबंधन की सरकार ने युवाओं को बेरोजगारी भत्ता देने का वादा किया था. राज्य में सरकार के बने 6 महीने बीत गए, लेकिन युवाओं को इसका लाभ नहीं मिल पाया है, जबकि राज्य में लगातार बेरोजगारी बढ़ते जा रही है. इस मामले को बीजेपी ने हेमंत सरकार पर निशाना साधा है. वहीं जेएमएम ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण अब सरकार भत्ता के बजाए रोजगार देकर युवाओं को नियोजित करने का मन बना चुकी है.

unemployment allowance not getting Youth in jharkhand
बेरोजगारी भत्ता को लेकर बीजेपी जेएमएम आमने-सामने
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Published : Jul 6, 2020, 9:16 PM IST

रांची: झारखंड में पिछले वर्ष हुए विधानसभा चुनाव के दौरान राज्य में मौजूदा सत्तारूढ़ महागठबंधन ने युवाओं को लेकर कई घोषणाएं की थी. उनमें सबसे प्रमुख घोषणा युवाओं को बेरोजगारी भत्ता देने को लेकर की गई थी. हालांकि सरकार गठन के 6 महीने बीत गए हैं, लेकिन इसके बावजूद एक तरफ जहां युवाओं की बेरोजगारी नहीं घटी वहीं दूसरी तरफ उन्हें मिलने वाला भत्ता भी शुरू नहीं हुआ है.

देखें पूरी खबर


क्या कहते हैं सरकार के आंकड़े
सरकार के आंकड़ों पर यकीन करें तो लगभग 8 लाख से अधिक लोगों ने राज्य भर के एंप्लॉयमेंट एक्सचेंज में रजिस्ट्रेशन कराया है. आंकड़ों के हिसाब से 8 लाख 7 हजार 699 लोगों ने श्रम एवं प्रशिक्षण विभाग के अंतर्गत आने वाले जिला नियोजनालयों में अपना निबंधन कराया है, ताकि वह सरकार की इस योजना का लाभ उठा सके. आंकड़ों के अनुसार पिछले महीने 33 हजार 259 लोगों ने, जबकि इस महीने में अब तक 3 हजार 133 लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया है. इनमें बड़ी संख्या महिलाओं की भी है.




बेरोजगारी भत्ता रहा है प्रमुख मुद्दा
2019 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान झारखंड मुक्ति मोर्चा ने जो इलेक्शन मेनिफेस्टो जारी किया था, उसमें दूसरा प्रमुख बिंदु बेरोजगारी भत्ता का था. इसके अलावा नौकरी के लिए प्रतियोगी परीक्षा में शामिल होने के लिए युवाओं का परीक्षा शुल्क कम करने की घोषणा भी की गई थी. वहीं गरीब छात्रों के लिए परीक्षा शुल्क फ्री करने का भी दावा किया गया था. इतना ही नहीं ग्रामीण क्षेत्र में युवक-युवतियों को नौकरी हेतु प्रतियोगी परीक्षा में 10% अधिक अंक देकर मेरिट लिस्ट बनाने का दावा किया गया था. हालांकि अलग-अलग बिंदुओं के तहत युवाओं को राहत देने का दावा किया गया, लेकिन उनमें से प्रमुख बेरोजगारी भत्ता देने को लेकर सरकार अभी भी मौन है.

विपक्षी बीजेपी ने साधा निशाना, झामुमो ने कहा होगा नियोजन
इस मामले को लेकर बीजेपी ने हमला बोलते हुए कहा कि दरअसल राज्य में बनी महागठबंधन की सरकार पलटू सरकार है. बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि सरकार अपने सभी निर्णयों से यू टर्न ले रही है. उन्होंने कहा कि जैसे ही सत्ता में महागठबंधन आया, उसने किसानों की ऋण माफी की बात की, लेकिन अभी तक ऐसा कोई कदम नहीं उठाया गया, वहीं 6 महीने के भीतर एक लाख बेरोजगार युवकों को रोजगार देने का दावा भी किया गया था, लेकिन वह भी हवा हवाई हो गया. सरकार का बचाव करते हुए झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव सह प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि बजट में बेरोजगारी भत्ता का प्रावधान किया गया है, कोरोना महामारी के कारण अब सरकार भत्ता के बजाए रोजगार देकर युवाओं को नियोजित करने का मन बना चुकी है. उन्होंने कहा कि सबका नियोजन सरकार की प्राथमिकता है और उस दिशा में भी काम शुरू किया गया है.


इसे भी पढे़ं:-घर खाली करने का नोटिस पर भड़के बीजेपी विधायक, कहा- बिना हायरार्की के हुआ आवास आवंटन


ग्रेजुएट को 5 तो पोस्ट ग्रेजुएट को 7 हजार देने का किया गया था वादा
झारखंड मुक्ति मोर्चा ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में बेरोजगार युवक-युवतियों को भत्ता देने का आश्वासन दिया था. इसके तहत बकायदा वित्त वर्ष 2020-21 के बजट में प्रावधान भी किया गया. बजट में किए गए प्रावधान के अनुसार ग्रेजुएट युवाओं को साल में 5 हजार रुपये और पोस्टग्रेजुएट को 7 हजार रुपये सालाना भत्ता के रूप में दिए जाएंगे. हालांकि सरकार ने स्पष्ट कर दिया था कि यह भत्ता सुविधा नहीं होगी बल्कि व्यवस्था होगी. इसलिए यह भी तय किया गया कि लाभुकों को इस योजना का लाभ 2 साल तक ही मिले.

रांची: झारखंड में पिछले वर्ष हुए विधानसभा चुनाव के दौरान राज्य में मौजूदा सत्तारूढ़ महागठबंधन ने युवाओं को लेकर कई घोषणाएं की थी. उनमें सबसे प्रमुख घोषणा युवाओं को बेरोजगारी भत्ता देने को लेकर की गई थी. हालांकि सरकार गठन के 6 महीने बीत गए हैं, लेकिन इसके बावजूद एक तरफ जहां युवाओं की बेरोजगारी नहीं घटी वहीं दूसरी तरफ उन्हें मिलने वाला भत्ता भी शुरू नहीं हुआ है.

देखें पूरी खबर


क्या कहते हैं सरकार के आंकड़े
सरकार के आंकड़ों पर यकीन करें तो लगभग 8 लाख से अधिक लोगों ने राज्य भर के एंप्लॉयमेंट एक्सचेंज में रजिस्ट्रेशन कराया है. आंकड़ों के हिसाब से 8 लाख 7 हजार 699 लोगों ने श्रम एवं प्रशिक्षण विभाग के अंतर्गत आने वाले जिला नियोजनालयों में अपना निबंधन कराया है, ताकि वह सरकार की इस योजना का लाभ उठा सके. आंकड़ों के अनुसार पिछले महीने 33 हजार 259 लोगों ने, जबकि इस महीने में अब तक 3 हजार 133 लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया है. इनमें बड़ी संख्या महिलाओं की भी है.




बेरोजगारी भत्ता रहा है प्रमुख मुद्दा
2019 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान झारखंड मुक्ति मोर्चा ने जो इलेक्शन मेनिफेस्टो जारी किया था, उसमें दूसरा प्रमुख बिंदु बेरोजगारी भत्ता का था. इसके अलावा नौकरी के लिए प्रतियोगी परीक्षा में शामिल होने के लिए युवाओं का परीक्षा शुल्क कम करने की घोषणा भी की गई थी. वहीं गरीब छात्रों के लिए परीक्षा शुल्क फ्री करने का भी दावा किया गया था. इतना ही नहीं ग्रामीण क्षेत्र में युवक-युवतियों को नौकरी हेतु प्रतियोगी परीक्षा में 10% अधिक अंक देकर मेरिट लिस्ट बनाने का दावा किया गया था. हालांकि अलग-अलग बिंदुओं के तहत युवाओं को राहत देने का दावा किया गया, लेकिन उनमें से प्रमुख बेरोजगारी भत्ता देने को लेकर सरकार अभी भी मौन है.

विपक्षी बीजेपी ने साधा निशाना, झामुमो ने कहा होगा नियोजन
इस मामले को लेकर बीजेपी ने हमला बोलते हुए कहा कि दरअसल राज्य में बनी महागठबंधन की सरकार पलटू सरकार है. बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि सरकार अपने सभी निर्णयों से यू टर्न ले रही है. उन्होंने कहा कि जैसे ही सत्ता में महागठबंधन आया, उसने किसानों की ऋण माफी की बात की, लेकिन अभी तक ऐसा कोई कदम नहीं उठाया गया, वहीं 6 महीने के भीतर एक लाख बेरोजगार युवकों को रोजगार देने का दावा भी किया गया था, लेकिन वह भी हवा हवाई हो गया. सरकार का बचाव करते हुए झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव सह प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि बजट में बेरोजगारी भत्ता का प्रावधान किया गया है, कोरोना महामारी के कारण अब सरकार भत्ता के बजाए रोजगार देकर युवाओं को नियोजित करने का मन बना चुकी है. उन्होंने कहा कि सबका नियोजन सरकार की प्राथमिकता है और उस दिशा में भी काम शुरू किया गया है.


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ग्रेजुएट को 5 तो पोस्ट ग्रेजुएट को 7 हजार देने का किया गया था वादा
झारखंड मुक्ति मोर्चा ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में बेरोजगार युवक-युवतियों को भत्ता देने का आश्वासन दिया था. इसके तहत बकायदा वित्त वर्ष 2020-21 के बजट में प्रावधान भी किया गया. बजट में किए गए प्रावधान के अनुसार ग्रेजुएट युवाओं को साल में 5 हजार रुपये और पोस्टग्रेजुएट को 7 हजार रुपये सालाना भत्ता के रूप में दिए जाएंगे. हालांकि सरकार ने स्पष्ट कर दिया था कि यह भत्ता सुविधा नहीं होगी बल्कि व्यवस्था होगी. इसलिए यह भी तय किया गया कि लाभुकों को इस योजना का लाभ 2 साल तक ही मिले.

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