रांचीः झारखंड में सत्ता की कुर्सी तय करने में मंईयां सम्मान योजना का अहम रोल रहा है. खुद सीएम हेमंत सोरेन भी इससे इत्तेफाक रखते हैं. यही वजह है कि चौथी बार सीएम पद की शपथ लेने के कुछ दिन के भीतर ही उन्होंने 6 जनवरी को रांची में भव्य कार्यक्रम आयोजित कराकर मंईयां योजना की लाभुकों के प्रति आभार जताया था.
चुनाव के दौरान किए गए वादे को पूरा करते हुए उन्होंने लाभुकों के बीच 1,000 रु. की जगह 2,500 रु. की बढ़ी हुई पहली किस्त जारी की थी. उस दिन 56 लाख 61 हजार 791 लाभुकों के खाते में राशि ट्रांसफर हुई थी. लेकिन अबतक जनवरी माह की किस्त नहीं मिली. फरवरी माह की भी 15 तारीख का डेडलाइन खत्म हो चुका है. अब सवाल है कि वादों के मुताबिक किस्त क्यों जारी नहीं हो रही है. क्या फंड की कमी हो गई है. आखिर कहां है अड़चन.
किस्त देने के लिए सरकार के पास है पर्याप्त फंड
एक बात तो स्पष्ट है कि इस योजना के लिए फंड की कोई कमी नहीं है. फंड की व्यवस्था सरकार गठन के बाद हुए पहले विधानसभा सत्र के दौरान ही कर ली गई थी. सरकार ने 2024-25 के लिए कुल 11,697 करोड़ का अनुपूरक बजट पारित कराया था. सबसे ज्यादा महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग के लिए 6390.55 करोड़ रु. आवंटित किए गये थे. इस लिहाज से मार्च 2025 तक लाभुकों को किस्त देने के लिए सरकार के पास फंड मौजूद है. पिछले दिनों खुद वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर भी कह चुके हैं कि पैसे की कमी नहीं है.
स्क्रूटनी की वजह से हो रहा है विलंब
विभागीय सूत्रों का कहना है कि बड़ी संख्या में वैसी महिलाओं ने योजना का लाभ उठा लिया है जो इसकी लाभुक नहीं हैं. बोकारो, पलामू समेत कई जिलों में धांधली की बात सामने आई है. इसकी वजह से सभी अकाउंट का भौतिक सत्यापन किया जा रहा है. आधार लिंक्ड खातों का मिलान हो रहा है. प्रखंड और अंचल स्तर पर लाभुकों की स्क्रूटनी हो रही है. कई जिलों में अधिकारियों ने यहां तक कह दिया है कि अपात्र लाभुक खुद आगे आकर लिस्ट से नाम कटवा लें. क्योंकि दोबारा राशि ट्रांसफर होने पर वसूली समेत अन्य कार्रवाई की जा सकती है. इसकी वजह से अवैध लाभुकों में हड़कंप मचा हुआ है.
अभी तक फाइनल लिस्ट नहीं हुई है तैयार
विभागीय सूत्रों के मुताबिक जिला स्तर पर लाभुकों के खातों का भौतिक सत्यापन हो रहा है. अभी तक विभाग के पास किसी भी जिला से लाभुकों की फाइनल लिस्ट नहीं आई है. दरअसल, विभाग के पास जिलावार फाइनल लिस्ट पहुंचने के बाद उसी हिसाब से राशि आवंटित की जाती है. यह प्रक्रिया अबतक पूरी नहीं हुई है. इसलिए साफ है कि जनवरी और फरवरी माह की किस्त मिलने में विलंब होना तय है.
सबसे राहत वाली बात यह है कि योग्य लाभुकों के खाते में देर-सबेर हर किस्त की राशि जरुर ट्रांसफर होगी. ऑफ द रिकॉर्ड यहां तक कहा जा रहा है कि लिस्ट फाइनल होने के बाद एक साथ सभी बकाया माह की किस्त जारी हो जाएगी. लिहाजा, लाभुकों को थोड़ा धैर्य रखना पड़ेगा. आखिर सब्र का फल मीठा जो होता है.