रांचीः झारखंड के चाईबासा में आईइडी ब्लास्ट कर सुरक्षाबलों को निशाना बनाने की साजिश एक करोड़ के इनामी पतिराम मांझी उर्फ अनल ने रची थी. झारखंड पुलिस की शुरुआती जांच में इस साजिश के संबंध में कई अहम जानकारियां हासिल हुईं हैं. जानकारी मिली है कि एक करोड़ के इनामी अनल के इशारे पर ही इस वारदात को अंजाम दिया गया है.
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अनल की साजिश, महाराज और मुखिया ने की मदद
इस साजिश में पतिराम मांझी उर्फ अनल के साथ कुख्यात प्रभात मुखिया और महाराज प्रमाणिक की भी भूमिका है. जानकारी के मुताबिक, बीते कुछ माह से भाकपा माओवादियों की केंद्रीय कमेटी सदस्य पतिराम मांझी का दस्ता लांजी पहाड़ के उतरी छोर पर कैंप कर रहा है.
पतिराम के दस्ते में करीबन 80 सदस्य हैं. दस्ते को आसपास के इलाके में छोटी-छोटी टुकड़ियों में बांटकर पुलिस बलों के लिए माओवादियों द्वारा परेशानी खड़ी की जा रही है.
बीते पंद्रह दिनों में चाईबासा जिले में तकरीबन आधा दर्जन बार पुलिस बलों को नक्सलियों ने उड़ाने की कोशिश की है. दो ग्रामीण मौके से गिरफ्तार
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चाईबासा में नक्सलियों द्वारा लगाए गए लैंड माइंस को विस्फोट करने के लिए दो ग्रामीणों का इस्तेमाल किया गया था. नक्सलियों के बनाए गए खतरनाक विस्फोटक को ब्लास्ट करने में एक महिला और एक पुरुष शामिल थे जो मौके से ही धर दबोचे गए हैं.
महिला और पुरुष सुरक्षाबलों के मूवमेंट पर बारीकी से नजर रखे हुए थे क्योंकि वह ग्रामीण थे इसलिए पुलिस को उन पर जरा भी शक नहीं हुआ जैसे ही पुलिस की टुकड़ी आगे बढ़ी दोनों ने ब्लास्ट कर दिया.
अभियान के दौरान समन्वय की कमी बड़ी वजह
चाईबासा में अभियान के दौरान स्थानीय पुलिस के साथ समन्वय की कमी को बड़ी वजह माना जा रहा है. राज्य पुलिस के अधिकारियों के मुताबिक, अभियान की पूरी मॉनिटरिंग मुख्यालय के स्तर से की जाती है, वहीं सीआरपीएफ व जगुआर के जवानों को इसमें शामिल किया जाता है, लेकिन अभियान में स्थानीय पुलिस की टीम की मौजूदगी नहीं थी, सिर्फ नाम के लिए एसआई या एएसआई स्तर के कर्मियों को भेजा जाता है.
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, स्थानीय पुलिस की भूमिका न होने के कारण बाहर से गए सुरक्षाबलों को समन्वय की समस्या होती है.
स्पेशल ब्रांच ने किया था आगाह
चाईबासा में पुलिस बलों पर हमला किए जाने की साजिश को लेकर स्पेशल ब्रांच ने पहले ही आगाह किया था. स्पेशल ब्रांच ने बताया था कि अनल का दस्ता लांजी व आसपास के इलाकों में अभियान के दौरान पुलिस बलों को टारगेट कर सकता है.
इससे पहले भी चाईबासा में अलग अलग इलाकों में पुलिस बलों पर हमले की साजिश को माओवादियों ने अंजाम दिया था.
कब-कब चाईबासा में हमले की रची गई साजिश
- 25 फरवरी को पुलिस बलों को टारगेट करने के लिए सोनुआ के केड़ाबीर, टोला टेंडरकोचा जंगल में भारी मात्रा में हथियार, कोडेक्स वायर, डेटोनेटर, हैंडग्रेनेड समेत कई चीजें रखी गई थीं.
- जीवन कंडुलना की निशानदेही पर चाईबासा पुलिस ने एक मार्च को विस्फोटक व हथियार बरामद किए थे.
- 27 फरवरी को चाईबासा के गुदड़ी इलाके के सोयमारी और दुआरोली में सुरक्षाबलों को निशाना बनाने के लिए आईइडी लगाए गए थे.
- सर्च अभियान के दौरान पुलिस ने जंगल से दो आईईडी बरामद की थी, वहीं मौके से माओवादी समर्थक बुधु हंसे को गिरफ्तार किया गया था.
- 19 फरवरी को चाईबासा पुलिस ने छतीसगढ़ के जयमन अरकी नाम के माओवादी को गिरफ्तार किया था. जयमन ने पुलिस को बताया था कि गोइलकेरा के वनग्राम केदाबुरू के पास जंगली कच्चा रास्ता में माओवादियों ने सुरक्षाबलों को उड़ाने के उदेश्य से आईइडी लगाया था. अभियान के दौरान पुलिस ने पांच-पांच किलो के 21 आईइडी बम सीरीज बरामद किए थे.
- 16 फरवरी को चक्रधरपुर से सोनुआ जाने वाली पक्की सड़क पर दिग्गी लोटा गांव 14- 14 किलोग्राम व गोइलकेरा के नरसंडा गांव से 19- 19 किलोग्राम का आईइडी बम बरामद किया गया.
- 11 फरवरी को पुलिस अधीक्षक चाईबासा के गुप्त सूचना के आधार पर चाईबासा पुलिस एवं सीआरपीएफ 60 बटालियन द्वारा नक्सलियों के विरुद्ध संयुक्त ऑपरेशन के दौरान गोइलकेरा थाना अंतर्गत, कुइरा से गितीलिपि जाने वाली मुख्य पक्की सड़क को सर्च के दौरान 40-40 केजी के दो आईडी बम बरामद किए गए थे.
- ये आईइडी केन बम भाकपा (माओवादी) द्वारा सुरक्षा बलों को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य लगाए गए थे.
- 7 फरवरी को चाईबासा के टोकलो में पुलिस बलों के आईइडी से उड़ाने की कोशिश हुई थी, तब मुठभेड़ में एक जवान को कंधे में गोली लगी थी, आईइडी बम भी पुलिस ने बरामद किया था.