रांची: झारखंड टेक्निकल यूनिवर्सिटी की ओर से आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन रविवार को संपन्न हुआ. सेमिनार का उद्घाटन झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू की ओर से किया गया. इस दौरान शैक्षणिक संस्थानों के शिक्षकों ने अपने विचार और रिसर्च पेपर प्रस्तुत किए. विश्वविद्यालय के सभागार में आयोजित इस सेमिनार के दौरान झारखंड प्रदेश में व्यवसायिक शिक्षा की चुनौतियां और संभावनाएं झारखंड टेक्निकल विश्वविद्यालय की भूमिका विषय पर आयोजित हुई. बीआईटी, सीआईटी, आरटीसी जैसे टेक्निकल शिक्षण संस्थानों से जुड़े विशेषज्ञ इस कार्यक्रम में पहुंचे. तकनीकी सत्र और पैनल डिस्कशन में विशेषज्ञों ने तकनीकी शिक्षा पर अपने-अपने विचार सामने रखे.
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दो दिवसीय इस सेमिनार के जरिए कई सत्र आयोजित हुए. दूसरे दिन के तकनीकी सत्र में बीसीसीएल के पूर्व सीएमडी सह विश्वविद्यालय के सलाहकार अजय कुमार सिंह ने ओवरव्यू ऑफ इंपॉर्टेंट ऑफ कोल माइन्स इन इंडिया पर व्याख्यान दिया. उन्होंने कोयला खनन के क्षेत्र में संभावनाओं के संबंध में विद्यार्थियों को जानकारी दी. साथ ही उन्होंने कहा कि आने वाले समय में लगभग 3 लाख इंजीनियर्स की जरूरत कोयला खनन के क्षेत्र में है. इसके लिए तकनीकी संस्थानों को खनन के क्षेत्र में मांग के अनुरूप अपने छात्रों को तैयार करना होगा, जिससे संस्थान से निकलने के बाद छात्रों को रोजगार मिल सके.
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रिसर्च स्कॉलर ऋतु सिंह ने भी साझा किए विचार
सीआईपी रांची की रिसर्च स्कॉलर ऋतु सिंह भी सेमिनार में शरीक हुईं थीं. उन्होंने क्वालिटी रिसर्च और एजुकेशन पर फोकस करते हुए कहा कि तकनीकी विश्वविद्यालय को ऊर्जा के लिए दूसरे पर निर्भर होने की बजाय आत्मनिर्भर बनना पड़ेगा. इसके लिए विश्वविद्यालय अपने कैंपस में माइक्रोग्रिड और सोलर एनर्जी लगा सकते हैं. यह दौर नए तरीके के सोचने की जरूरत है. मौके पर कई विश्वविद्यालय और कॉलेजों के रिसर्च पर्सन भी शामिल हुए.