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फर्जी कोविड सर्टिफिकेट बनाने के आरोप में दो गिरफ्तार, 100 करोड़ के मिड डे मील घोटाले के आरोपी को बताय था पॉजिटीव

100 करोड़ के मिड डे मील घोटाले के आरोपी का फर्जी कोविड सर्टिफिकेट बनाने के आरोप में रांची पुलिस ने दो लगों को गिरफ्तार किया है. इन्होंने संजय तिवारी की फर्जी कोविड रिपोर्ट बनाई थी, इसी रिपोर्ट को दिखा कर संजय ने कोर्ट को गुमराह किया था.

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Published : Apr 2, 2023, 6:49 PM IST

Two arrested for making fake covid certificates
पुलिस की गिरफ्त में आरोपी

रांची: ईडी की गिरफ्त से फरार चल रहे संजय तिवारी की फर्जी कोविड रिपोर्ट तैयार करने के मामले में रांची पुलिस ने कार्रवाई करते हुए रिम्स के एक कर्मचारी सहित दो लोगों को गिरफ्तार कर लिया है. गिरफ्तार प्रियरंजन और अमरदीप ने संजय तिवारी के लिए फर्जी कोविड पॉजिटिव होने की रिपोर्ट तैयार कर दी थी, उसी रिपोर्ट के आधार पर संजय तिवारी ने अदालत को झांसा दिया और फरार हो गया.

ये भी पढ़ें: मिड डे मील घोटालाः संजय तिवारी के खिलाफ दर्ज की गई प्राथमिकी, ईडी ने रांची पुलिस को लिखा था पत्र

रिम्स से तैयार हुई थी फर्जी रिपोर्ट: संजय तिवारी ने अदालत को गुमराह करने के लिए रिम्स से फर्जी कोविड रिपोर्ट बनवा ली थी. रिम्स के चिकित्सा अधीक्षक की ओर से बरियातू थाने में दर्ज की गई प्राथमिकी में संजय कुमार तिवारी पर रिम्स के नाम से फर्जी कोविड-19 रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आरोप लगाया गया था. एफआईआर दर्ज होने के बाद बरियातू पुलिस ने जब मामले तफ्तीश शुरू की. इसमें जानकारी मिली कि रिम्स में ही कार्यरत एक कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारी प्रियरंजन ने संजय तिवारी के लिए किसी एतवा टोप्पो के व्यक्तिगत डाटा को आईसीएमआर के पोर्टल अपलोड कर उसे ही डाउनलोडेड कर रिपोर्ट बनायी गयी. रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव होने की बनायी गयी ताकि संजय तिवारी को फायदा पहुंचाया जा सके.

संजय तिवारी से कर्मचारी ने किया था सम्पर्क: बरियातू पुलिस के द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद प्रियरंजन ने बताया कि उसे संजय तिवारी के यहां काम करने वाले अमरदीप जो उसका रिश्तेदार लगता है, उसी के कहने पर कोविड का फर्जी सर्टिफिकेट बनाया था. जिसके बाद पुलिस ने अमरदीप को भी गिरफ्तार कर लिया. पुलिस की पूछताछ में अमरदीप ने बताया है कि उसे फर्जी कोविड सर्टिफिकेट बनाने के लिए संजय तिवारी ने 7 हजार रुपये दिए थे.

अदालत को गुमराह कर हुआ फरार: झारखंड सरकार के मिड डे मील के खाते से 100 करोड़ रुपये के फर्जी हस्तांतरण से जुड़े मनी लाउंड्रिंग मामले के आरोपी भानु कंस्ट्रक्शन के संचालक संजय कुमार तिवारी को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कोर्ट में 25 मार्च को सरेंडर करना था. लेकिन संजय तिवारी ने उस सरेंडर से बचने के लिए कोविड होने की गलत जानकारी रांची के पीएमएलए कोर्ट को दी. पीएमएलए कोर्ट को दिए गए रिम्स के इलाज संबंधी कागजात और कोविड सर्टिफिकेट की जांच ईडी के रांची जोनल आफिस ने की, तब यह पता चला कि संजय तिवारी के द्वारा जो इलाज संबंधी कागजात और कोविड सर्टिफिकेट दिए गए हैं, वह गलत हैं. हालांकि इसी बीच संजय तिवारी फरार होने में कामयाब हो गया.

संजय तिवारी को 40 दिनों की अंतरिम जमानत मिली थी: भानु कंस्ट्रक्शन के संचालक संजय कुमार तिवारी को सशर्त 40 दिन की अंतरिम जमानत दी गई थी, लेकिन वह समय सीमा पर गबन के बकाया 16.35 करोड़ रुपये बैंक को वह वापस नहीं कर सका. इसके बाद उसने ईडी कोर्ट में सरेंडर किया था. जहां से उसे जेल भेज दिया गया. सुप्रीम कोर्ट ने पक्षकारों के दलीलें सुनने के बाद संजय तिवारी को दो दिनों के लिए एक बार अंतरिम जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था. यह राहत लेन-देन को पूरा करने के उद्देश्य से था, ताकि राशि को उस बैंक खाते में लाया जा सके. लेकिन दोबारा जेल जाने से बचने के लिए संजय कुमार तिवारी ने कोविड का फर्जी सर्टिफिकेट बनावा लिया.

रांची: ईडी की गिरफ्त से फरार चल रहे संजय तिवारी की फर्जी कोविड रिपोर्ट तैयार करने के मामले में रांची पुलिस ने कार्रवाई करते हुए रिम्स के एक कर्मचारी सहित दो लोगों को गिरफ्तार कर लिया है. गिरफ्तार प्रियरंजन और अमरदीप ने संजय तिवारी के लिए फर्जी कोविड पॉजिटिव होने की रिपोर्ट तैयार कर दी थी, उसी रिपोर्ट के आधार पर संजय तिवारी ने अदालत को झांसा दिया और फरार हो गया.

ये भी पढ़ें: मिड डे मील घोटालाः संजय तिवारी के खिलाफ दर्ज की गई प्राथमिकी, ईडी ने रांची पुलिस को लिखा था पत्र

रिम्स से तैयार हुई थी फर्जी रिपोर्ट: संजय तिवारी ने अदालत को गुमराह करने के लिए रिम्स से फर्जी कोविड रिपोर्ट बनवा ली थी. रिम्स के चिकित्सा अधीक्षक की ओर से बरियातू थाने में दर्ज की गई प्राथमिकी में संजय कुमार तिवारी पर रिम्स के नाम से फर्जी कोविड-19 रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आरोप लगाया गया था. एफआईआर दर्ज होने के बाद बरियातू पुलिस ने जब मामले तफ्तीश शुरू की. इसमें जानकारी मिली कि रिम्स में ही कार्यरत एक कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारी प्रियरंजन ने संजय तिवारी के लिए किसी एतवा टोप्पो के व्यक्तिगत डाटा को आईसीएमआर के पोर्टल अपलोड कर उसे ही डाउनलोडेड कर रिपोर्ट बनायी गयी. रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव होने की बनायी गयी ताकि संजय तिवारी को फायदा पहुंचाया जा सके.

संजय तिवारी से कर्मचारी ने किया था सम्पर्क: बरियातू पुलिस के द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद प्रियरंजन ने बताया कि उसे संजय तिवारी के यहां काम करने वाले अमरदीप जो उसका रिश्तेदार लगता है, उसी के कहने पर कोविड का फर्जी सर्टिफिकेट बनाया था. जिसके बाद पुलिस ने अमरदीप को भी गिरफ्तार कर लिया. पुलिस की पूछताछ में अमरदीप ने बताया है कि उसे फर्जी कोविड सर्टिफिकेट बनाने के लिए संजय तिवारी ने 7 हजार रुपये दिए थे.

अदालत को गुमराह कर हुआ फरार: झारखंड सरकार के मिड डे मील के खाते से 100 करोड़ रुपये के फर्जी हस्तांतरण से जुड़े मनी लाउंड्रिंग मामले के आरोपी भानु कंस्ट्रक्शन के संचालक संजय कुमार तिवारी को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कोर्ट में 25 मार्च को सरेंडर करना था. लेकिन संजय तिवारी ने उस सरेंडर से बचने के लिए कोविड होने की गलत जानकारी रांची के पीएमएलए कोर्ट को दी. पीएमएलए कोर्ट को दिए गए रिम्स के इलाज संबंधी कागजात और कोविड सर्टिफिकेट की जांच ईडी के रांची जोनल आफिस ने की, तब यह पता चला कि संजय तिवारी के द्वारा जो इलाज संबंधी कागजात और कोविड सर्टिफिकेट दिए गए हैं, वह गलत हैं. हालांकि इसी बीच संजय तिवारी फरार होने में कामयाब हो गया.

संजय तिवारी को 40 दिनों की अंतरिम जमानत मिली थी: भानु कंस्ट्रक्शन के संचालक संजय कुमार तिवारी को सशर्त 40 दिन की अंतरिम जमानत दी गई थी, लेकिन वह समय सीमा पर गबन के बकाया 16.35 करोड़ रुपये बैंक को वह वापस नहीं कर सका. इसके बाद उसने ईडी कोर्ट में सरेंडर किया था. जहां से उसे जेल भेज दिया गया. सुप्रीम कोर्ट ने पक्षकारों के दलीलें सुनने के बाद संजय तिवारी को दो दिनों के लिए एक बार अंतरिम जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था. यह राहत लेन-देन को पूरा करने के उद्देश्य से था, ताकि राशि को उस बैंक खाते में लाया जा सके. लेकिन दोबारा जेल जाने से बचने के लिए संजय कुमार तिवारी ने कोविड का फर्जी सर्टिफिकेट बनावा लिया.

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