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रांची में ऐतिहासिक टुसू पर्व मना, बताई गई पर्व की विशेषता - रांची में टुसू पर्व का आयोजन

रांची के सुकुरहुट्टू गांव में ऐतिहासिक टुसू पर्व मनाया गया. मौके पर पारंपरिक व्यंजन पीठा प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया, जिसमें महिलाओं को सम्मानित किया गया.

tusu festival organized in ranchi
टुसू पर्व का किया गया आयोजन
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Published : Jan 23, 2021, 8:59 PM IST

रांचीः राजधानी के सुकुरहुट्टू गांव में ऐतिहासिक टुसू पर्व मनाया गया. इस दौरान टुसू पर्व की विशेषताओं के बारे में बताया गया. इसके साथ ही सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया गया. वहीं महिलाओं की ओर से झारखंड के पारंपरिक व्यंजन पीठा की प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया, जिसमें महिलाओं को सम्मानित भी किया गया.

देखें पूरी खबर

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झारखंड की संस्कृति को संरक्षित रखने का काम
टुसू पर्व में मौजूद ग्रामीण जिला कांग्रेस अध्यक्ष सुरेश बैठा ने कहा कि झारखंड के पंचपरगानिया इलाकों में मुख्य रूप से यह पर्व मनाया जाता है. इस पर्व का झारखंड में एक अलग महत्व है और जिसमें पीठा व्यंजन का विशेष महत्व होता है. उन्होंने कहा कि इस पर्व के माध्यम से झारखंड की संस्कृति को संरक्षित रखने का काम भी किया जाता है.

मौके पर मौजूद आयोजनकर्ता अजय बैठा ने कहा की इस पर्व के माध्यम से झारखंड की संस्कृति की छटा देखने को मिली है और खासकर झारखंड के लजीज व्यंजनों का भी लुत्फ उठाया गया. यह पर्व झारखंड की संस्कृति और वेशभूषा को दर्शाने का त्योहार है. मकर संक्रांति के बाद से ही पर्व को मनाना शुरू हो जाता है.

रांचीः राजधानी के सुकुरहुट्टू गांव में ऐतिहासिक टुसू पर्व मनाया गया. इस दौरान टुसू पर्व की विशेषताओं के बारे में बताया गया. इसके साथ ही सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया गया. वहीं महिलाओं की ओर से झारखंड के पारंपरिक व्यंजन पीठा की प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया, जिसमें महिलाओं को सम्मानित भी किया गया.

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टुसू पर्व में मौजूद ग्रामीण जिला कांग्रेस अध्यक्ष सुरेश बैठा ने कहा कि झारखंड के पंचपरगानिया इलाकों में मुख्य रूप से यह पर्व मनाया जाता है. इस पर्व का झारखंड में एक अलग महत्व है और जिसमें पीठा व्यंजन का विशेष महत्व होता है. उन्होंने कहा कि इस पर्व के माध्यम से झारखंड की संस्कृति को संरक्षित रखने का काम भी किया जाता है.

मौके पर मौजूद आयोजनकर्ता अजय बैठा ने कहा की इस पर्व के माध्यम से झारखंड की संस्कृति की छटा देखने को मिली है और खासकर झारखंड के लजीज व्यंजनों का भी लुत्फ उठाया गया. यह पर्व झारखंड की संस्कृति और वेशभूषा को दर्शाने का त्योहार है. मकर संक्रांति के बाद से ही पर्व को मनाना शुरू हो जाता है.

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