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झारखंड में आदिवासियों को मिलेगी धार्मिक पहचान, CM ने 11 नवंबर को बुलाया विशेष सत्र

आदिवासियों की बरसों पुरानी धार्मिक पहचान की मांग को पूरा करने के लिए सीएम हेमंत सोरेन ने 11 नवंबर को विशेष सत्र बुलाने का निर्णय लिया है. इस दौरान सरना कोड का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा जाएगा.

special session regarding sarna dharma code in ranchi
विशेष सत्र बुलाने का निर्णय
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Published : Nov 6, 2020, 8:07 PM IST

रांचीः आदिवासियों की बरसों पुरानी धार्मिक पहचान की मांग पूरा करने के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने विशेष सत्र बुलाने का निर्णय लिया है. सीएम ने आदिवासी समाज को आश्वासन देते हुए धर्मकोड को लेकर 11 नवंबर को विशेष सत्र बुलाने का निर्णय लिया है, जिसको लेकर आदिवासी समाज में खुशी की अलग लहर देखने को मिल रही है. आदिवासी समाज के लोग अपनी बरसों पुरानी पहचान की मांग को लेकर लगातार संघर्ष कर रहे हैं.

देखें पूरी खबर
सरना धर्म आदि काल से चल रहासमस्त सरना आदिवासी समाज और आदिवासी सांस्कृतिक सरना धर्म रक्षा अभियान के संरक्षक करमा उरांव ने कहा कि सरना धर्म आदि काल से चला रहा है. ऐसे में राज्य सरकार आदिवासियों को पहचान देने का काम कर रही है. यह बहुत ही खुशी का विषय है कि आदिवासियों को धार्मिक पहचान देने के लिए विशेष सत्र बुलाया जा रहा है, जिसको लेकर विधायकों की बैठक भी चल रही है. उन्होंने कहा कि जैसे ही 11 नवंबर को सरना कोड का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा जाएगा. आंदोलन दिल्ली की ओर रुख करेगा.

इसे भी पढ़ें- सीएम ने नेशनल मेडिकल काउंसिल को लिखा पत्र, कहा- नए मेडिकल छात्रों के प्रवेश पर लगी रोक हटाएं

11 नवंबर को विशेष सत्र
वहीं, धर्म गुरु बंधन तिग्गा ने कहा कि आदिवासी समाज के लोग बरसों से अपनी पहचान की लड़ाई लड़ रहे हैं. झारखंड सरकार ने उसे पहचान देने का ऐलान किया है. 11 नवंबर को सीएम हेमंत सोरेन विशेष सत्र बुलाकर केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजने का काम करेंगे. उन्होंने कहा कि आदिवासियों को पहले यह नहीं समझ में आता था कि 2021 से होने वाले जनगणना प्रपत्र में वह किस धर्म को लिखेंगे, लेकिन जैसे ही सरना धर्म कोड का प्रस्ताव पास हो जाएगा.

आदिवासी अपनी पहचान को जनगणना प्रपत्र में लिख सकेंगे. राज्य सरकार ने खुले मंच से सरना धर्म कोड की मांग को लेकर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर प्रस्ताव पास कर केंद्र सरकार को भेजने का आवाहन किया है, जिसको लेकर 11 नवंबर को विशेष सत्र बुलाया जा रहा है.

रांचीः आदिवासियों की बरसों पुरानी धार्मिक पहचान की मांग पूरा करने के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने विशेष सत्र बुलाने का निर्णय लिया है. सीएम ने आदिवासी समाज को आश्वासन देते हुए धर्मकोड को लेकर 11 नवंबर को विशेष सत्र बुलाने का निर्णय लिया है, जिसको लेकर आदिवासी समाज में खुशी की अलग लहर देखने को मिल रही है. आदिवासी समाज के लोग अपनी बरसों पुरानी पहचान की मांग को लेकर लगातार संघर्ष कर रहे हैं.

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सरना धर्म आदि काल से चल रहासमस्त सरना आदिवासी समाज और आदिवासी सांस्कृतिक सरना धर्म रक्षा अभियान के संरक्षक करमा उरांव ने कहा कि सरना धर्म आदि काल से चला रहा है. ऐसे में राज्य सरकार आदिवासियों को पहचान देने का काम कर रही है. यह बहुत ही खुशी का विषय है कि आदिवासियों को धार्मिक पहचान देने के लिए विशेष सत्र बुलाया जा रहा है, जिसको लेकर विधायकों की बैठक भी चल रही है. उन्होंने कहा कि जैसे ही 11 नवंबर को सरना कोड का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा जाएगा. आंदोलन दिल्ली की ओर रुख करेगा.

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11 नवंबर को विशेष सत्र
वहीं, धर्म गुरु बंधन तिग्गा ने कहा कि आदिवासी समाज के लोग बरसों से अपनी पहचान की लड़ाई लड़ रहे हैं. झारखंड सरकार ने उसे पहचान देने का ऐलान किया है. 11 नवंबर को सीएम हेमंत सोरेन विशेष सत्र बुलाकर केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजने का काम करेंगे. उन्होंने कहा कि आदिवासियों को पहले यह नहीं समझ में आता था कि 2021 से होने वाले जनगणना प्रपत्र में वह किस धर्म को लिखेंगे, लेकिन जैसे ही सरना धर्म कोड का प्रस्ताव पास हो जाएगा.

आदिवासी अपनी पहचान को जनगणना प्रपत्र में लिख सकेंगे. राज्य सरकार ने खुले मंच से सरना धर्म कोड की मांग को लेकर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर प्रस्ताव पास कर केंद्र सरकार को भेजने का आवाहन किया है, जिसको लेकर 11 नवंबर को विशेष सत्र बुलाया जा रहा है.

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