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रांची: आरयू के ऑनलाइन पढ़ाई से जनजातीय भाषा के विद्यार्थियों को नहीं मिल रहा फायदा, पठन-पाठन से हो रहे हैं वंचित

रांची विश्वविद्यालय में जनजातीय विभाग के विद्यार्थियों को ऑनलाइन पठन-पाठन से कोई फायदा नहीं मिल रहा है. इस विभाग से जुड़े विद्यार्थियों तक यह व्यवस्था पहुंच ही नहीं पा रही है. इस मामले को लेकर विभाग के प्राध्यापक ने कहा है कि विद्यार्थियों तक ऑनलाइन स्टडी मैटेरियल पहुंचाने की कोशिश की जा रही है, लेकिन संभव नहीं हो पा रहा है, क्योंकि ग्रामीण क्षेत्र में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के पास एंड्रॉयड मोबाइल नहीं है.

Tribal language students of RU not benefiting from online reading in ranchi
जनजातीय भाषा के विद्यार्थी पढ़ाई से वंचित
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Published : Jun 24, 2020, 4:21 PM IST

रांची: आरयू के जनजातीय भाषा विभाग के विद्यार्थियों के लिए ऑनलाइन पठन-पाठन काफी परेशानी भरा है. इस विभाग के विद्यार्थियों को विश्वविद्यालय की ओर से दिए जा रहे ऑनलाइन पठन-पाठन से कोई फायदा नहीं मिल रहा है. विभाग के प्राध्यापक भी इसे मानते हैं और उनका कहना है की इस ओर विश्वविद्यालय प्रबंधन को ध्यान देना होगा. तभी विद्यार्थियों को फायदा पहुंच पाएगा.

देखें पूरी खबर

ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थियों को परेशानी
रांची विश्वविद्यालय इन दिनों ऑनलाइन पठन-पाठन के माध्यम से विद्यार्थियों तक स्टडी मटेरियल पहुंचाने की बात कह रही है, लेकिन शहरी क्षेत्रों को छोड़कर ग्रामीण क्षेत्रों में यह व्यवस्था पूरी तरह फेल है. खासकर जनजातीय भाषा विभाग से जुड़े विद्यार्थियों तक यह व्यवस्था पहुंच ही नहीं पा रही है. इस मामले को लेकर विभाग के प्राध्यापक ने कहा है की कोशिश की जा रही है की ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थियों तक ऑनलाइन स्टडी मेटेरियल पहुंचाया जाए, लेकिन संभव नहीं हो पा रहा है, क्योंकि ग्रामीण क्षेत्र में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के पास एंड्रॉयड मोबाइल तो छोड़िए सामान्य मोबाइल भी नहीं है, वह काफी गरीब तबके के हैं जो स्कॉलरशिप के जरिए पढ़ाई करते हैं. उन्होंने कहा की जनजातीय भाषा विभाग में अधिकतर विद्यार्थी बीपीएल कैटेगरी के हैं, जो राज्य सरकार और विश्वविद्यालय के सहायता से ही पढ़ाई करते हैं और रिसर्च भी करते हैं .

इसे भी पढ़ें:- RU में जल्द होगी स्किल डेवलपमेंट की पढ़ाई, नवनिर्मित इंफ्रास्ट्रक्चर का किया जाएगा उपयोग


9 जनजातीय भाषा में 1000 विद्यार्थी है अध्ययनरत
रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय भाषा विभाग में 9 जनजातीय भाषाओं की पढ़ाई होती है और इस विभाग में लगभग 1000 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं. इनमें से 98 फीसदी विद्यार्थी सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में ही रहते हैं. सिमडेगा के ग्रामीण क्षेत्रों के अलावा रांची विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले सभी ऐसे सुदूर क्षेत्र हैं, जहां से यह विद्यार्थी सामान्य दिनों में क्लास करने रांची के मोराबादी स्थित जनजातीय भाषा विभाग पहुंचते हैं, लेकिन कोरोना वायरस के कारण सभी शिक्षण संस्थाएं बंद है. ऐसे में आरयू की ओर से ऑनलाइन पठन-पाठन करवाया जा रहा है, लेकिन इस ऑनलाइन पठन-पाठन से ऐसे विद्यार्थियों को कोई फायदा नहीं मिल रहा है.

विद्यार्थियों ने दी जानकारी
विद्यार्थियों के एक समूह ने फोन के माध्यम से ईटीवी भारत को अपनी परेशानी बताई थी, जिसके बाद ईटीवी भारत की टीम ने विभाग से संबंधित अध्यापक से बातचीत की है. इस दौरान उन्होंने कहा है की ऑनलाइन पठन-पाठन करवाया तो जा रहा है, लेकिन इस विभाग के विद्यार्थियों के लिए ऑनलाइन पढ़ाई काफी परेशानी भरा है. इस ओर आरयू प्रशासन को जल्द से जल्द ध्यान देना होगा, क्योंकि शिक्षण संस्थानों को खोले जाने को लेकर अब तक कोई सुगबुगाहट नहीं है, ऐसे में ऑनलाइन पठन-पाठन की व्यवस्था लंबा खिंच सकता है और अगर ऐसे ही स्थिति रही तो सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यार्थियों को आने वाले समय में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.

रांची: आरयू के जनजातीय भाषा विभाग के विद्यार्थियों के लिए ऑनलाइन पठन-पाठन काफी परेशानी भरा है. इस विभाग के विद्यार्थियों को विश्वविद्यालय की ओर से दिए जा रहे ऑनलाइन पठन-पाठन से कोई फायदा नहीं मिल रहा है. विभाग के प्राध्यापक भी इसे मानते हैं और उनका कहना है की इस ओर विश्वविद्यालय प्रबंधन को ध्यान देना होगा. तभी विद्यार्थियों को फायदा पहुंच पाएगा.

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ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थियों को परेशानी
रांची विश्वविद्यालय इन दिनों ऑनलाइन पठन-पाठन के माध्यम से विद्यार्थियों तक स्टडी मटेरियल पहुंचाने की बात कह रही है, लेकिन शहरी क्षेत्रों को छोड़कर ग्रामीण क्षेत्रों में यह व्यवस्था पूरी तरह फेल है. खासकर जनजातीय भाषा विभाग से जुड़े विद्यार्थियों तक यह व्यवस्था पहुंच ही नहीं पा रही है. इस मामले को लेकर विभाग के प्राध्यापक ने कहा है की कोशिश की जा रही है की ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थियों तक ऑनलाइन स्टडी मेटेरियल पहुंचाया जाए, लेकिन संभव नहीं हो पा रहा है, क्योंकि ग्रामीण क्षेत्र में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के पास एंड्रॉयड मोबाइल तो छोड़िए सामान्य मोबाइल भी नहीं है, वह काफी गरीब तबके के हैं जो स्कॉलरशिप के जरिए पढ़ाई करते हैं. उन्होंने कहा की जनजातीय भाषा विभाग में अधिकतर विद्यार्थी बीपीएल कैटेगरी के हैं, जो राज्य सरकार और विश्वविद्यालय के सहायता से ही पढ़ाई करते हैं और रिसर्च भी करते हैं .

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9 जनजातीय भाषा में 1000 विद्यार्थी है अध्ययनरत
रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय भाषा विभाग में 9 जनजातीय भाषाओं की पढ़ाई होती है और इस विभाग में लगभग 1000 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं. इनमें से 98 फीसदी विद्यार्थी सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में ही रहते हैं. सिमडेगा के ग्रामीण क्षेत्रों के अलावा रांची विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले सभी ऐसे सुदूर क्षेत्र हैं, जहां से यह विद्यार्थी सामान्य दिनों में क्लास करने रांची के मोराबादी स्थित जनजातीय भाषा विभाग पहुंचते हैं, लेकिन कोरोना वायरस के कारण सभी शिक्षण संस्थाएं बंद है. ऐसे में आरयू की ओर से ऑनलाइन पठन-पाठन करवाया जा रहा है, लेकिन इस ऑनलाइन पठन-पाठन से ऐसे विद्यार्थियों को कोई फायदा नहीं मिल रहा है.

विद्यार्थियों ने दी जानकारी
विद्यार्थियों के एक समूह ने फोन के माध्यम से ईटीवी भारत को अपनी परेशानी बताई थी, जिसके बाद ईटीवी भारत की टीम ने विभाग से संबंधित अध्यापक से बातचीत की है. इस दौरान उन्होंने कहा है की ऑनलाइन पठन-पाठन करवाया तो जा रहा है, लेकिन इस विभाग के विद्यार्थियों के लिए ऑनलाइन पढ़ाई काफी परेशानी भरा है. इस ओर आरयू प्रशासन को जल्द से जल्द ध्यान देना होगा, क्योंकि शिक्षण संस्थानों को खोले जाने को लेकर अब तक कोई सुगबुगाहट नहीं है, ऐसे में ऑनलाइन पठन-पाठन की व्यवस्था लंबा खिंच सकता है और अगर ऐसे ही स्थिति रही तो सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यार्थियों को आने वाले समय में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.

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