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आबादी के आधार पर तय होगा आरक्षण, टीएसी की बैठक में बड़ा फैसला

रांची में जनजातीय परामर्शदात्री काउंसिल की बैठक हुई (Tribal Advisory Council meeting in Ranchi ). इस बैठक के बाद एक बार फिर नगर निकाय चुनाव पर ग्रहण लग गया है.

Tribal Advisory Council meeting in Ranchi
Tribal Advisory Council meeting in Ranchi
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Published : Nov 23, 2022, 2:58 PM IST

Updated : Nov 23, 2022, 8:01 PM IST

रांचीः टीएसी की बैठक हुई है. आदिवासी संगठनों के दबाव की वजह से जनजातीय परामर्शदात्री काउंसिल (टीएसी) की बैठक हुई (Tribal Advisory Council meeting in Ranchi ). जानकारी के मुताबिक टीएसी की बैठक में कुल 11 एजेंडों पर चर्चा हुई. इसमें सबसे महत्वपूर्ण एजेंडा 'द प्रोविजन ऑफ द म्यूनिसिपैलिटिज बिल 2001' पर स्टैंडिंग कमेटी द्वारा प्रस्तावित संशोधन पर चर्चा हुई. इस बिल में प्रावधान किया गया है कि अनुसूचित क्षेत्र में स्थित नगर निकायों में अनुसूचित जनजाति की आबादी अधिक होने पर उसके अनुरूप मेयर अध्यक्ष या वार्ड पार्षद का पद अनुसूचित जनजाति के लिए ही आरक्षित होगा. परंतु इसके लिए टीएसी की अनुशंसा अनिवार्य है.

एक बार फिर नगर निकाय चुनाव पर ग्रहण लग गया है. विवादों के बीच बुधवार को मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की अध्यक्षता में झारखंड जनजातीय परामर्शदातृ परिषद यानी टीएसी की बैठक हुई. इस बैठक में अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के मंत्री-सह-टीएसी के उपाध्यक्ष चम्पाई सोरेन, विधायक-सह-टीएसी सदस्य प्रो० स्टीफन मरांडी, दीपक बिरुआ, दशरथ गगराई, विकास कुमार मुंडा, नमन बिक्सल कोनगाड़ी, राजेश कच्छप, सोनाराम सिंकू, श्रीमती शिल्पी नेहा तिर्की, मनोनीत सदस्य विश्वनाथ सिंह सरदार, जमल मुंडा, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का, प्रधान सचिव अजय कुमार सिंह, मुख्यमंत्री के सचिव विनय कुमार चौबे, सचिव के. श्रीनिवासन, सचिव के.के.सोन, सचिव श्रीमती हिमानी पांडे सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे.

देखें वीडियो

बैठक में कुल 11 एजेंडा प्रस्तावित थे जिसमें सबसे महत्वपूर्ण नगर निकाय चुनाव में शिड्यूल क्षेत्र में राज्य निर्वाचन आयोग के द्वारा चक्रीय आरक्षण प्रावधान के कारण मेयर,अध्यक्ष और पार्षदों के सीट को लेकर हुए बदलाव के कारण उठे विवाद को लेकर था. बैठक में जनजातीय परामर्शदातृ परिषद ने सर्वसम्मति से The Municpalities (Extensionn to the Scheduled Areas) Bill, 2021 के Standing Committee की अनुशंसा ’नगर निकाय की समिति जिसमें जनजातीय समुदायों का प्रतिनिधित्व हो की अनुशंसा नगर निकाय को बाध्यकारी होगी को विलोपित करने की अनुशंसा की गयी थी को यथावत रखने की अनुशंसा भारत सरकार को भेजने का निर्णय लिया गया. इसके साथ ही यह भी निर्णय लिया गया कि जनजातीय हितों की रक्षा के प्रतिकूल कोई निर्णय नहीं लिया जाना चाहिए.

टीएसी के इस निर्णय से राज्य में नगर निकाय चुनाव की तैयारी धरी की धरी रह गई है. केंद्र द्वारा फैसला लिए जाने तक सरकार द्वारा नोटिफिकेशन जारी नहीं होगी. स्वभाविक रुप से यह केन्द्र पर निर्भर करेगा. इधर नये प्रावधान यदि तय हो जाते हैं तो नये सिरे से आरक्षण और मतदाता सूची आयोग को तैयार करना होगा क्योंकि 5 जनवरी को भारत निर्वाचन आयोग का नया वोटर लिस्ट जारी होते ही उसे अनुकरण करना राज्य निर्वाचन आयोग की बाध्यता हो जायेगी. ऐसे में फिलहाल चुनाव होना संभव नहीं दिख रहा है. गौरतलब है कि रांची सहित राज्य के अन्य शिड्यूल क्षेत्र में मेयर एवं अध्यक्ष के पद को लेकर जैसे ही आरक्षण रोस्टर में बदलाव हुए तो विरोध का स्वर फूट पड़ा. जिस वजह से चुनाव की घोषणा अंतिम क्षण में टल गया है.

इधर, टीएसी सदस्य राजेश कच्छप और टीएसी उपाध्यक्ष चंपाई सोरेन ने बैठक के बाद मीडियाकर्मियों से बात करते हुए कहा कि सरकार आदिवासी हितों की रक्षा करेगी जिसके लिए विधि विशेषज्ञों से परामर्श लेकर निर्णय लिया जायेगा.

टीएसी बैठक में लिए गए महत्वपूर्ण निर्णय

  • पर्यावरण और जनजातीय संस्कृति का संरक्षण करते हुए राज्य में परिवेशीय अनुकूलन पर आधारित पर्यटन यानी Eco-Tourism को बढ़ावा दिया जायेगा.
  • लघु वन उत्पाद की खरीद-बिक्री के लिए सिदो-कान्हू कृषि एवं वनोपज राज्य सहकारी संघ लिमिटेड कार्यरत है इसी के अंतर्गत व्यापक रूप से लघु वन उत्पाद की खरीद-बिक्री कर वन क्षेत्र में रहने वाले लोगों की अधिक से अधिक आय वृद्धि हो इसके लिए पहल किये जाने का निर्णय लिया गया.
  • वनाधिकार अधिनियम-2006 के अन्तर्गत अधिक से अधिक सामुदायिक पट्टा दिये जाने और उसमें अधिक से अधिक वन भूमि का उपयोग वन विभाग के नियमों एवं पर्यावरण के अनुकूल किये जाने पर जोर दिया गया.
  • जनजातीय भाषा में कक्षा 1 से 5 तक के लिए अध्ययन और जनजातीय भाषाओं के अधिक से अधिक उपयोग पर डा0 रामदयाल मुण्डा जनजातीय कल्याण शोध संस्थान के माध्यम से अध्ययन कराते हुए एक नीति बनायी जायेगी और जनजातीय भाषाओं में अधिक से अधिक पाठ्य पुस्तकों का अनुवाद कराते हुए उसका वितरण कराये जाने का निर्णय लिया गया.
  • जनजातीय भाषाओं के शिक्षको की नियुक्ति की प्रक्रिया को तेज किया जाय. आवश्यकता अनुसार पद सृजन भी किया जाय.
  • होड़ोपैथी आदिवासी ज्ञान परंपरा का गौरवपूर्ण हिस्सा रहा है इसको देखते हुए इसके वैज्ञानिक विश्लेषण, अध्ययन, अनुसंधान, प्रकाशन के साथ सी.एस.आई.आर के तरह वैज्ञानिक प्रयोगशाला बनाते हुए इसे आयुष में सम्मिलित किये जाने पर जोर दिया गया.
  • The Municpalities (Extensionn to the Scheduled Areas) Bill, 2021 के Standing Committee की अनुशंसा ’’नगर निकाय की समिति जिसमें जनजातीय समुदायों का प्रतिनिधित्व हो की अनुशंसा नगर निकाय को बाध्यकारी होगी (Recommedation of this Committee shall be ordinarily be binding on the Municipality)" को विलोपित करने की अनुशंसा की गयी थी पर विचारोपरांत उक्त प्रावधान को यथावत रखने की अनुशंसा भारत सरकार को भेजने का निर्णय लिया गया. इसके साथ ही यह भी निर्णय लिया गया कि जनजातीय हितों की रक्षा के प्रतिकूल कोई निर्णय नहीं लिया जाना चाहिए.
  • झारखंड पंचायत उपबंध अनुसूचित क्षेत्रों का विस्तार नियामावली, 2022 के प्रारूप पर संबंधित विभागों एवं पक्षों से सम्यक विचारोपरांत निर्णय लिया जाय.
  • जनजातीय समुदाय के युवाओं को पांच वर्ष से अधिक भुगतान अवधि के साथ ऋण प्रदान किये जाने के लिए अन्य राज्यों के प्रावधानों का अध्ययन कराते हुए बैकों के साथ राज्य स्तरीय बैठक कर नीति बनायी जाए.

रांचीः टीएसी की बैठक हुई है. आदिवासी संगठनों के दबाव की वजह से जनजातीय परामर्शदात्री काउंसिल (टीएसी) की बैठक हुई (Tribal Advisory Council meeting in Ranchi ). जानकारी के मुताबिक टीएसी की बैठक में कुल 11 एजेंडों पर चर्चा हुई. इसमें सबसे महत्वपूर्ण एजेंडा 'द प्रोविजन ऑफ द म्यूनिसिपैलिटिज बिल 2001' पर स्टैंडिंग कमेटी द्वारा प्रस्तावित संशोधन पर चर्चा हुई. इस बिल में प्रावधान किया गया है कि अनुसूचित क्षेत्र में स्थित नगर निकायों में अनुसूचित जनजाति की आबादी अधिक होने पर उसके अनुरूप मेयर अध्यक्ष या वार्ड पार्षद का पद अनुसूचित जनजाति के लिए ही आरक्षित होगा. परंतु इसके लिए टीएसी की अनुशंसा अनिवार्य है.

एक बार फिर नगर निकाय चुनाव पर ग्रहण लग गया है. विवादों के बीच बुधवार को मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की अध्यक्षता में झारखंड जनजातीय परामर्शदातृ परिषद यानी टीएसी की बैठक हुई. इस बैठक में अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के मंत्री-सह-टीएसी के उपाध्यक्ष चम्पाई सोरेन, विधायक-सह-टीएसी सदस्य प्रो० स्टीफन मरांडी, दीपक बिरुआ, दशरथ गगराई, विकास कुमार मुंडा, नमन बिक्सल कोनगाड़ी, राजेश कच्छप, सोनाराम सिंकू, श्रीमती शिल्पी नेहा तिर्की, मनोनीत सदस्य विश्वनाथ सिंह सरदार, जमल मुंडा, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का, प्रधान सचिव अजय कुमार सिंह, मुख्यमंत्री के सचिव विनय कुमार चौबे, सचिव के. श्रीनिवासन, सचिव के.के.सोन, सचिव श्रीमती हिमानी पांडे सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे.

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बैठक में कुल 11 एजेंडा प्रस्तावित थे जिसमें सबसे महत्वपूर्ण नगर निकाय चुनाव में शिड्यूल क्षेत्र में राज्य निर्वाचन आयोग के द्वारा चक्रीय आरक्षण प्रावधान के कारण मेयर,अध्यक्ष और पार्षदों के सीट को लेकर हुए बदलाव के कारण उठे विवाद को लेकर था. बैठक में जनजातीय परामर्शदातृ परिषद ने सर्वसम्मति से The Municpalities (Extensionn to the Scheduled Areas) Bill, 2021 के Standing Committee की अनुशंसा ’नगर निकाय की समिति जिसमें जनजातीय समुदायों का प्रतिनिधित्व हो की अनुशंसा नगर निकाय को बाध्यकारी होगी को विलोपित करने की अनुशंसा की गयी थी को यथावत रखने की अनुशंसा भारत सरकार को भेजने का निर्णय लिया गया. इसके साथ ही यह भी निर्णय लिया गया कि जनजातीय हितों की रक्षा के प्रतिकूल कोई निर्णय नहीं लिया जाना चाहिए.

टीएसी के इस निर्णय से राज्य में नगर निकाय चुनाव की तैयारी धरी की धरी रह गई है. केंद्र द्वारा फैसला लिए जाने तक सरकार द्वारा नोटिफिकेशन जारी नहीं होगी. स्वभाविक रुप से यह केन्द्र पर निर्भर करेगा. इधर नये प्रावधान यदि तय हो जाते हैं तो नये सिरे से आरक्षण और मतदाता सूची आयोग को तैयार करना होगा क्योंकि 5 जनवरी को भारत निर्वाचन आयोग का नया वोटर लिस्ट जारी होते ही उसे अनुकरण करना राज्य निर्वाचन आयोग की बाध्यता हो जायेगी. ऐसे में फिलहाल चुनाव होना संभव नहीं दिख रहा है. गौरतलब है कि रांची सहित राज्य के अन्य शिड्यूल क्षेत्र में मेयर एवं अध्यक्ष के पद को लेकर जैसे ही आरक्षण रोस्टर में बदलाव हुए तो विरोध का स्वर फूट पड़ा. जिस वजह से चुनाव की घोषणा अंतिम क्षण में टल गया है.

इधर, टीएसी सदस्य राजेश कच्छप और टीएसी उपाध्यक्ष चंपाई सोरेन ने बैठक के बाद मीडियाकर्मियों से बात करते हुए कहा कि सरकार आदिवासी हितों की रक्षा करेगी जिसके लिए विधि विशेषज्ञों से परामर्श लेकर निर्णय लिया जायेगा.

टीएसी बैठक में लिए गए महत्वपूर्ण निर्णय

  • पर्यावरण और जनजातीय संस्कृति का संरक्षण करते हुए राज्य में परिवेशीय अनुकूलन पर आधारित पर्यटन यानी Eco-Tourism को बढ़ावा दिया जायेगा.
  • लघु वन उत्पाद की खरीद-बिक्री के लिए सिदो-कान्हू कृषि एवं वनोपज राज्य सहकारी संघ लिमिटेड कार्यरत है इसी के अंतर्गत व्यापक रूप से लघु वन उत्पाद की खरीद-बिक्री कर वन क्षेत्र में रहने वाले लोगों की अधिक से अधिक आय वृद्धि हो इसके लिए पहल किये जाने का निर्णय लिया गया.
  • वनाधिकार अधिनियम-2006 के अन्तर्गत अधिक से अधिक सामुदायिक पट्टा दिये जाने और उसमें अधिक से अधिक वन भूमि का उपयोग वन विभाग के नियमों एवं पर्यावरण के अनुकूल किये जाने पर जोर दिया गया.
  • जनजातीय भाषा में कक्षा 1 से 5 तक के लिए अध्ययन और जनजातीय भाषाओं के अधिक से अधिक उपयोग पर डा0 रामदयाल मुण्डा जनजातीय कल्याण शोध संस्थान के माध्यम से अध्ययन कराते हुए एक नीति बनायी जायेगी और जनजातीय भाषाओं में अधिक से अधिक पाठ्य पुस्तकों का अनुवाद कराते हुए उसका वितरण कराये जाने का निर्णय लिया गया.
  • जनजातीय भाषाओं के शिक्षको की नियुक्ति की प्रक्रिया को तेज किया जाय. आवश्यकता अनुसार पद सृजन भी किया जाय.
  • होड़ोपैथी आदिवासी ज्ञान परंपरा का गौरवपूर्ण हिस्सा रहा है इसको देखते हुए इसके वैज्ञानिक विश्लेषण, अध्ययन, अनुसंधान, प्रकाशन के साथ सी.एस.आई.आर के तरह वैज्ञानिक प्रयोगशाला बनाते हुए इसे आयुष में सम्मिलित किये जाने पर जोर दिया गया.
  • The Municpalities (Extensionn to the Scheduled Areas) Bill, 2021 के Standing Committee की अनुशंसा ’’नगर निकाय की समिति जिसमें जनजातीय समुदायों का प्रतिनिधित्व हो की अनुशंसा नगर निकाय को बाध्यकारी होगी (Recommedation of this Committee shall be ordinarily be binding on the Municipality)" को विलोपित करने की अनुशंसा की गयी थी पर विचारोपरांत उक्त प्रावधान को यथावत रखने की अनुशंसा भारत सरकार को भेजने का निर्णय लिया गया. इसके साथ ही यह भी निर्णय लिया गया कि जनजातीय हितों की रक्षा के प्रतिकूल कोई निर्णय नहीं लिया जाना चाहिए.
  • झारखंड पंचायत उपबंध अनुसूचित क्षेत्रों का विस्तार नियामावली, 2022 के प्रारूप पर संबंधित विभागों एवं पक्षों से सम्यक विचारोपरांत निर्णय लिया जाय.
  • जनजातीय समुदाय के युवाओं को पांच वर्ष से अधिक भुगतान अवधि के साथ ऋण प्रदान किये जाने के लिए अन्य राज्यों के प्रावधानों का अध्ययन कराते हुए बैकों के साथ राज्य स्तरीय बैठक कर नीति बनायी जाए.
Last Updated : Nov 23, 2022, 8:01 PM IST
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