रांची: दलबदल मामले में झारखंड विधानसभा अध्यक्ष ने 7 अक्टूबर तक अपना पक्ष रखने के लिए विधायक बाबूलाल मरांडी, प्रदीप यादव और बंधु तिर्की को समय दिया था. 6 अक्टूबर को प्रदीप यादव और बंधु तिर्की ने अपना पक्ष रख दिया है. वहीं अंतिम दिन बुधवार को बाबूलाल मरांडी ने भी विधानसभा अध्यक्ष को बंद लिफाफे में अपना पक्ष भेज दिया है.
विधायक प्रदीप यादव और बंधु तिर्की की ओर से विधानसभा अध्यक्ष के पास रखे गए अपने पक्ष में कहा गया है कि पार्टी के दो तिहाई विधायकों ने कांग्रेस में झारखंड विकास मोर्चा का विलय किया है, ऐसे में दो तिहाई विधायकों के दूसरे पार्टी में जाने पर दलबदल का मामला नहीं बनता है. उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष से कांग्रेस विधायक के रूप में उन्हें मान्यता दिए जाने की बात कही है. उन्होंने बताया है कि 16 फरवरी 2020 को रामबिलास जयसवाल की अध्यक्षता में बनहोरा में हुई बैठक में जेवीएम का कांग्रेस में विलय करने का निर्णय लिया गया था, जिसके बाद पार्टी के 3 में से 2 विधायकों ने कांग्रेस में पार्टी का विलय किया, जिस पर राष्ट्रीय कांग्रेस ने भी सहमति दी.
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झारखंड विकास मोर्चा से बाबूलाल मरांडी, प्रदीप यादव और बंधु तिर्की ने 2019 के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी, जिसके बाद बाबूलाल मरांडी ने बीजेपी का दामन थाम लिया. वहीं प्रदीप यादव और बंधु तिर्की ने कांग्रेस का हाथ थाम लिया है. चुनाव आयोग ने बाबूलाल मरांडी को बीजेपी का विधायक मान लिया है, जबकि प्रदीप यादव और बंधु तिर्की निर्दलीय विधायक की सूची में रखा गया है. झारखंड विधानसभा अध्यक्ष ने तीनों विधायकों को निर्दलीय की सूची में ही रखा है.