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Ranchi News: रांची में तीन दिवसीय सेमिनार का आयोजन, आदिवासी समाज के योगदान पर होगी चर्चा - रांची न्यूज

रांची में तीन दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है. जिसमें आदिवासी समाज के योगदान पर चर्चा की जाएगी. इसमें देश के अलग-अलग राज्यों के विद्वान हिस्सा लेंगे. सेमिनार में आदिवासी समाज के इतिहासे के बारे में भी जानकारी दी जाएगी.

three day seminar will be organized in Ranchi
three day seminar will be organized in Ranchi
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Aug 27, 2023, 7:40 PM IST

Updated : Aug 27, 2023, 7:58 PM IST

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रांचीः झारखंड सहित पूरे देश में आदिवासियों के योगदान की जानकारी के लिए रांची में तीन दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया जाएगा. इस तीन दिवसीय सेमिनार में राजधानी रांची सहित देशभर के विभिन्न क्षेत्रों से आदिवासी संस्कृति के जानकार हिस्सा लेंगे. 28 अगस्त से 30 तक इसका आयोजन होगा.

ये भी पढ़ेंः झारखंड माइनिंग समिट: राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने राज्य का विकास नहीं होने पर जताई चिंता, पर्यावरण संरक्षण की भी दी सलाह

कार्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए रामदयाल मुंडा जनजातीय संस्था के निदेशक रानेंद्र कुमार ने बताया कि आदिवासियों के बलिदान के इतिहास को आज के युवा नहीं जानते हैं. इतिहास में आर्य समाज की चर्चा विस्तृत रूप से की गई है लेकिन आदिवासियों के योगदान की चर्चा नहीं की गई है. इसीलिए इस सेमिनार के माध्यम से आज की पीढ़ी को यह बताया जाएगा कि देश की आजादी में सिर्फ आर्य समाज ही नहीं बल्कि आदिवासी समाज का भी अहम योगदान रहा है.

जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी से आए प्रोफेसर राकेश कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि आदिवासियों के योगदान के बारे में देशभर से आए विद्वान चर्चा करेंगे. इस सेमिनार में चर्चा का विषय रहेगा कि किस प्रकार से समाज के निर्माण में आदिवासियों ने अपना योगदान दिया है. जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी से आईं प्रोफेसर मधुश्री बताती हैं आज हम जो भी देख रहे हैं, उन सब के पीछे कुछ ना कुछ इतिहास है. समाज के हर वर्ग का इतिहास है. समाज का निर्माण कैसे हुआ इसकी भी जानकारी दी गई है, लेकिन आदिवासियों का इसमें कितना योगदान है वह इतिहास में नहीं दोहराया गया है.

उन्होंने बताया कि आदिवासियों का इतिहास तीन हजार वर्ष पुराना है, लेकिन किसी भी इतिहासकार ने आदिवासियों के इतिहास का विस्तार से वर्णन नहीं किया है. राजधानी रांची में होने वाले तीन दिवसीय कार्यक्रम के माध्यम से हम आने वाली पीढ़ी को यह बताएंगे कि आज के समाज की नींव कहीं ना कहीं आदिवासी ही हैं. कार्यक्रम को लेकर अधिकारियों ने बताया कि इस कार्यक्रम में होने वाली चर्चाओं से समाज के सामने आदिवासियों के योगदान को एक नई तरीके से रखा जाएगा और इतिहास में भी आदिवासियों के महत्वपूर्ण योगदान को शामिल करने की अपील की जाएगी.

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रांचीः झारखंड सहित पूरे देश में आदिवासियों के योगदान की जानकारी के लिए रांची में तीन दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया जाएगा. इस तीन दिवसीय सेमिनार में राजधानी रांची सहित देशभर के विभिन्न क्षेत्रों से आदिवासी संस्कृति के जानकार हिस्सा लेंगे. 28 अगस्त से 30 तक इसका आयोजन होगा.

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कार्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए रामदयाल मुंडा जनजातीय संस्था के निदेशक रानेंद्र कुमार ने बताया कि आदिवासियों के बलिदान के इतिहास को आज के युवा नहीं जानते हैं. इतिहास में आर्य समाज की चर्चा विस्तृत रूप से की गई है लेकिन आदिवासियों के योगदान की चर्चा नहीं की गई है. इसीलिए इस सेमिनार के माध्यम से आज की पीढ़ी को यह बताया जाएगा कि देश की आजादी में सिर्फ आर्य समाज ही नहीं बल्कि आदिवासी समाज का भी अहम योगदान रहा है.

जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी से आए प्रोफेसर राकेश कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि आदिवासियों के योगदान के बारे में देशभर से आए विद्वान चर्चा करेंगे. इस सेमिनार में चर्चा का विषय रहेगा कि किस प्रकार से समाज के निर्माण में आदिवासियों ने अपना योगदान दिया है. जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी से आईं प्रोफेसर मधुश्री बताती हैं आज हम जो भी देख रहे हैं, उन सब के पीछे कुछ ना कुछ इतिहास है. समाज के हर वर्ग का इतिहास है. समाज का निर्माण कैसे हुआ इसकी भी जानकारी दी गई है, लेकिन आदिवासियों का इसमें कितना योगदान है वह इतिहास में नहीं दोहराया गया है.

उन्होंने बताया कि आदिवासियों का इतिहास तीन हजार वर्ष पुराना है, लेकिन किसी भी इतिहासकार ने आदिवासियों के इतिहास का विस्तार से वर्णन नहीं किया है. राजधानी रांची में होने वाले तीन दिवसीय कार्यक्रम के माध्यम से हम आने वाली पीढ़ी को यह बताएंगे कि आज के समाज की नींव कहीं ना कहीं आदिवासी ही हैं. कार्यक्रम को लेकर अधिकारियों ने बताया कि इस कार्यक्रम में होने वाली चर्चाओं से समाज के सामने आदिवासियों के योगदान को एक नई तरीके से रखा जाएगा और इतिहास में भी आदिवासियों के महत्वपूर्ण योगदान को शामिल करने की अपील की जाएगी.

Last Updated : Aug 27, 2023, 7:58 PM IST
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