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रांची में तीन परिवारों की हुई घर वापसी, ईसाई धर्म छोड़ सरना धर्म अपनाया

रांची के धुर्वा में ईसाई धर्म छोड़कर तीन परिवार के सदस्यों ने फिर से सरना धर्म अपना लिया है. कुछ साल पहले इनलोगों ने ईसाई धर्म अपनाया था. पूरे विधि-विधान से इनलोगों की घर वापसी हुई है.

Three Christian families returned to Sarna religion in Ranchi
तीन ईसाई परिवार की हुई सरना धर्म में वापसी
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Published : Oct 11, 2021, 12:07 PM IST

रांचीः सरना धर्म छोड़ ईसाई बने तीन परिवारों की घर वापसी हुई है. तीनों परिवार ने फिर से सरना धर्म को अपना लिया है. झारखंड आदिवासी सरना विकास समिति धुर्वा की ओर से सरहुल पूजा स्थल के समीप एक समारोह का आयोजन किया गया. समारोह में विधि-विधान से समाज के लोगों की मौजूदगी में तीनों परिवार के 14 सदस्यों को फिर से सरना धर्म में लाया गया है.

यह भी पढ़ेंःआदिवासी क्यों चाहते हैं अलग सरना धर्म, हिंदू धर्म से क्यों है अलग

समारोह में कंचन पहान, विश्वकर्मा पाहन, बालेश्वर पहान, डहरु पाहन, परनो होरो, सुमानी पहनाइन, फुलमंती उरांव की ओर से 14 लोगों का शुद्धिकरण किया गया. इसके साथ ही सरना धर्म के विधि-विधान के तहत सफेद मुर्गा, तांबा और हल्दी कटवाया गया और संकल्प के साथ पूजा-अर्चना की गई.

धर्मांतरण कराना है पाप

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए समिति के अध्यक्ष मेघा उरांव ने कहा कि किसी कारण से अपने मूल धर्म को छोड़कर इसाई धर्म को अपना लिए थे, लेकिन इन लोगों को अपनी गलती का अहसास हुआ और फिर से आदिवासियों के मूल धर्म सरना में वापस हो गए हैं. उन्होंने कहा कि तीनों परिवार सरना धर्म में वापस हो गए हैं, जो स्वागत योग्य है. उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति स्वेच्छा से किसी भी धर्म को स्वीकार कर सकता है. यह अधिकार भारत के संविधान में है. लेकिन, एक धर्म गलत बताकर धर्मांतरण कराना पाप है. कार्यक्रम में सोमा उरांव, वार्ड पार्षद रोशनी खलखो, नकुल तिर्की, नामित हेमरोम, डॉ. बुटन महली, प्रेम नाथ शाहदेव, कुणाल शाहदेव सहित कई लोग उपस्थित थे.

इन लोगों ने की घर वापसी
सुनील उरांव, मुनी देवी, अमन उरांव, अनुष्का कुमारी, श्रीकांत उरांव, शीतल कुमारी, मंजू उरांव, गोपाल लोहरा, कलावती देवी, श्रवण लोहरा, जोसेफ लोहरा, रिंकी देवी, आयुष लोहरा और आशा कुमारी इनलोगों ने घर वापसी की है. इन लोगों ने कुछ साल पहले ईसाई धर्म को अपना लिया था.

रांचीः सरना धर्म छोड़ ईसाई बने तीन परिवारों की घर वापसी हुई है. तीनों परिवार ने फिर से सरना धर्म को अपना लिया है. झारखंड आदिवासी सरना विकास समिति धुर्वा की ओर से सरहुल पूजा स्थल के समीप एक समारोह का आयोजन किया गया. समारोह में विधि-विधान से समाज के लोगों की मौजूदगी में तीनों परिवार के 14 सदस्यों को फिर से सरना धर्म में लाया गया है.

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समारोह में कंचन पहान, विश्वकर्मा पाहन, बालेश्वर पहान, डहरु पाहन, परनो होरो, सुमानी पहनाइन, फुलमंती उरांव की ओर से 14 लोगों का शुद्धिकरण किया गया. इसके साथ ही सरना धर्म के विधि-विधान के तहत सफेद मुर्गा, तांबा और हल्दी कटवाया गया और संकल्प के साथ पूजा-अर्चना की गई.

धर्मांतरण कराना है पाप

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए समिति के अध्यक्ष मेघा उरांव ने कहा कि किसी कारण से अपने मूल धर्म को छोड़कर इसाई धर्म को अपना लिए थे, लेकिन इन लोगों को अपनी गलती का अहसास हुआ और फिर से आदिवासियों के मूल धर्म सरना में वापस हो गए हैं. उन्होंने कहा कि तीनों परिवार सरना धर्म में वापस हो गए हैं, जो स्वागत योग्य है. उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति स्वेच्छा से किसी भी धर्म को स्वीकार कर सकता है. यह अधिकार भारत के संविधान में है. लेकिन, एक धर्म गलत बताकर धर्मांतरण कराना पाप है. कार्यक्रम में सोमा उरांव, वार्ड पार्षद रोशनी खलखो, नकुल तिर्की, नामित हेमरोम, डॉ. बुटन महली, प्रेम नाथ शाहदेव, कुणाल शाहदेव सहित कई लोग उपस्थित थे.

इन लोगों ने की घर वापसी
सुनील उरांव, मुनी देवी, अमन उरांव, अनुष्का कुमारी, श्रीकांत उरांव, शीतल कुमारी, मंजू उरांव, गोपाल लोहरा, कलावती देवी, श्रवण लोहरा, जोसेफ लोहरा, रिंकी देवी, आयुष लोहरा और आशा कुमारी इनलोगों ने घर वापसी की है. इन लोगों ने कुछ साल पहले ईसाई धर्म को अपना लिया था.

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