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श्रावणी मेला 2022: तीसरी सोमवारी पर शिवालयों में उमड़े भक्त, बाबा बैद्यनाथ धाम में लाखों श्रद्धालु आज करेंगे जलाभिषेक

भगवान शिव के प्रिय सावन महीने की आज (1 अगस्त) तीसरी सोमवारी (third Monday of Sawan) है. इसको लेकर भक्तों में उत्साह देखा जा रहा है. राज्य भर के शिवालयों (Lord Shiva Temples in Jharkhand) में अहले सुबह ही श्रद्धालुओं का तांता लगा है. बाबा भोलेनाथ का जलाभिषेक करने के लिए रांची, देवघर, दुमका, खूंटी समेत तमाम मंदिरों में कांवरियों की भीड़ पहुंचने लगी है.

third Monday of Sawan devotees gathered for worship in Lord Shiva Temples in Jharkhand
भगवान शिव
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Published : Aug 1, 2022, 6:39 AM IST

रांची: श्रावण मास की तीसरी सोमवारी (third Monday of Sawan) को लेकर शिवालयों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है. देवघर के बाबा बैद्यनाथ धाम, दुमका के बासुकीनाथ, राजधानी रांची की पहाड़ी मंदिर, खूंटी के आम्रेश्वर धाम में भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करने को लेकर भक्तों में काफी उत्साह है.

इसे भी पढ़ें- Video: देवघर बाबा मंदिर में उमड़ा आस्था का जनसैलाब

देवघर बाबा मंदिर में लाखों श्रद्धालु करेंगे जलाभिषेक: 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक देवघर बाबा मंदिर (Deoghar Baba Mandir) में देश के कोने कोने से कांवरिया जुट रहे हैं. बिहार के सुल्तानगंज से 105 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर बाबा भोलेनाथ पर जलाभिषेक करने को लेकर भक्त पहुंच रहे हैं. शहर की गली-गली में बोलबम का नारा गूंज रहा है. श्रावण मास की तीसरी सोमवारी को लेकर देवघर में भक्तों में उत्साह देखा जा रहा है.

पहाड़ी मंदिर में पूजाः झारखंड की राजधानी रांची में पहाड़ पर स्थित पहाड़ी मंदिर शिव भक्तों के लिए खास है. सावन की तीसरी सोमवारी को लेकर यहां भी भक्तों में खासा उत्साह नजर आ रहा है. श्रावण मास में लाखों की संख्या में भक्त यहां आते हैं. शहर के बीचोंबीच स्थित इस मंदिर में बाबा भोलेनाथ की पूजा अर्चना के लिए पूरे सावन माह भक्तों की भीड़ लगी रहती है. प्रत्येक सोमवार को जलाभिषेक के लिए मंदिर का द्वार अहले सुबह ही खोल दिया जाता है.

क्यों खास है सावन का सोमवारः ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव की पहली पत्नी देवी सती ने जब अपने पिता के घर पर अपने पति शिव का अपमान होते देखा तो वो बर्दाश्त नहीं कर पाईं और राजा दक्ष के यज्ञकुंड में अपनी आहूति दे दी. इसके बाद उन्होंने हिमालय पुत्री पार्वती के रूप में जन्म लिया. पार्वती के रूप में भी उन्होंने भगवान शिव को भी अपना वर चुना और उनकी प्राप्ति के लिए कठोर तप किया.

इसे भी पढ़ें- भगवान शिव को अतिप्रिय है बेलपत्र, जानिए इसके प्रकार और महत्व

सावन के महीने में ही भगवान शिव उनके तप से प्रसन्न होकर प्रकट हुए और उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया. इसके बाद पार्वती का भगवान शिव के साथ विवाह हुआ. तब से ये पूरा सावन माह शिव और पार्वती दोनों का प्रिय माह बन गया. सोमवार का दिन महादेव और मां पार्वती को समर्पित होता है, ऐसे में उनके प्रिय माह सावन में पड़ने वाले सोमवार का महत्व कहीं ज्यादा बढ़ जाता है.

सोमवारी व्रत का महत्वः सावन मास में सोमवार का व्रत रखने से मनवांछित कामना पूरी होती है. सुहागिन महिलाओं को सौभाग्यवती होने का आशीष प्राप्त होता है. साथ ही पति को लंबी आयु प्राप्त होती है. वहीं अगर कुंवारी कन्याएं ये व्रत रखें तो उन्हें सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है.

रांची: श्रावण मास की तीसरी सोमवारी (third Monday of Sawan) को लेकर शिवालयों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है. देवघर के बाबा बैद्यनाथ धाम, दुमका के बासुकीनाथ, राजधानी रांची की पहाड़ी मंदिर, खूंटी के आम्रेश्वर धाम में भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करने को लेकर भक्तों में काफी उत्साह है.

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देवघर बाबा मंदिर में लाखों श्रद्धालु करेंगे जलाभिषेक: 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक देवघर बाबा मंदिर (Deoghar Baba Mandir) में देश के कोने कोने से कांवरिया जुट रहे हैं. बिहार के सुल्तानगंज से 105 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर बाबा भोलेनाथ पर जलाभिषेक करने को लेकर भक्त पहुंच रहे हैं. शहर की गली-गली में बोलबम का नारा गूंज रहा है. श्रावण मास की तीसरी सोमवारी को लेकर देवघर में भक्तों में उत्साह देखा जा रहा है.

पहाड़ी मंदिर में पूजाः झारखंड की राजधानी रांची में पहाड़ पर स्थित पहाड़ी मंदिर शिव भक्तों के लिए खास है. सावन की तीसरी सोमवारी को लेकर यहां भी भक्तों में खासा उत्साह नजर आ रहा है. श्रावण मास में लाखों की संख्या में भक्त यहां आते हैं. शहर के बीचोंबीच स्थित इस मंदिर में बाबा भोलेनाथ की पूजा अर्चना के लिए पूरे सावन माह भक्तों की भीड़ लगी रहती है. प्रत्येक सोमवार को जलाभिषेक के लिए मंदिर का द्वार अहले सुबह ही खोल दिया जाता है.

क्यों खास है सावन का सोमवारः ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव की पहली पत्नी देवी सती ने जब अपने पिता के घर पर अपने पति शिव का अपमान होते देखा तो वो बर्दाश्त नहीं कर पाईं और राजा दक्ष के यज्ञकुंड में अपनी आहूति दे दी. इसके बाद उन्होंने हिमालय पुत्री पार्वती के रूप में जन्म लिया. पार्वती के रूप में भी उन्होंने भगवान शिव को भी अपना वर चुना और उनकी प्राप्ति के लिए कठोर तप किया.

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सावन के महीने में ही भगवान शिव उनके तप से प्रसन्न होकर प्रकट हुए और उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया. इसके बाद पार्वती का भगवान शिव के साथ विवाह हुआ. तब से ये पूरा सावन माह शिव और पार्वती दोनों का प्रिय माह बन गया. सोमवार का दिन महादेव और मां पार्वती को समर्पित होता है, ऐसे में उनके प्रिय माह सावन में पड़ने वाले सोमवार का महत्व कहीं ज्यादा बढ़ जाता है.

सोमवारी व्रत का महत्वः सावन मास में सोमवार का व्रत रखने से मनवांछित कामना पूरी होती है. सुहागिन महिलाओं को सौभाग्यवती होने का आशीष प्राप्त होता है. साथ ही पति को लंबी आयु प्राप्त होती है. वहीं अगर कुंवारी कन्याएं ये व्रत रखें तो उन्हें सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है.

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