रांची: झारखंड में तीसरे मोर्चे की गठन अबतक नहीं हुआ है, लेकिन विधानसभा चुनाव के मद्देनजर इसकी सुगबुगाहट दिखने लगी है. तृणमूल कांग्रेस के प्रदेश सचिव ने सोमवार को इसके संकेत दिए हैं और बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व में तीसरे मोर्चे की गठन की बात कही है, लेकिन जेवीएम नेता इसपर संशय बनाए हुए हैं.
झारखंड में एनडीए और महागठबंधन से अलग तीसरे मोर्चे की गठन का कवायद शुरू हो गई है. इसके लिए तृणमूल कांग्रेस के प्रदेश सचिव दयानंद प्रसाद सिंह ने मंगलवार को प्रेसवार्ता कर बताया कि महागठबंधन से नाराज चल रहे जेवीएम सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी ने कोलकाता में तृणमूल कांग्रेस पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष ममता बनर्जी से मुलाकात की है. इधर, झारखंड में तृणमूल कांग्रेस की कमान संभाले कामेश्वर बैठा आगामी चुनाव को लेकर काफी व्यस्त लग रहे हैं और जोड़ा-फूल खिलाने को लेकर जनता के बीच मेहनत कर रहे हैं. इस दौरान दयानंद ने बताया कि जेवीएम, जेडीयू, आप और तृणमूल कांग्रेस के शीर्ष नेताओं के बीच लगातार विचार-विमर्श चल रहा है.
वहीं, तीसरे मोर्चे की महत्वपूर्ण सहयोगी माने जाने वाली आम आदमी पार्टी के शीर्ष नेताओं से जेवीएम सुप्रीमो मिल भी चुके हैं. कुछ दिन पहले ही बाबूलाल मरांडी ने जेवीएम के पुराने सदस्य और आप के प्रदेश अध्यक्ष डॉ अजय कुमार से मुलाकात की थी. इससे यह कयास लगाया जा रहा है कि विधानसभा चुनाव में इस बार तीसरे मोर्चे की गठन संभव है और बाबूलाल के नेतृत्व में चुनावी मैदान में होगी. इसपर जानकारी देते आम आदमी पार्टी के प्रदेश मीडिया प्रभारी राजेश कुमार ने बताया कि आम आदमी पार्टी भी यह मानती है बाबूलाल एक साफ और अच्छी छवि के नेता है और तीसरे मोर्चे के नेतृत्व के लिए अच्छा विकल्प भी हैं.
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तीसरे मोर्चे से जेवीएम ने किया इनकार
वहीं, तीसरे मोर्चे की गठन को लेकर जेवीएम के प्रवक्ता सरोज कुमार का कहना है कि पार्टी सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी महागठबंधन से दूर जरूर हैं लेकिन, तीसरे मोर्चे की गठन से जेवीएम का कोई लेना देना नहीं है. वहीं, बाबूलाल के ममता बनर्जी से मुलाकात को औपचारिक मात्र बताया है. उन्होंने इस संबंध में कहा कि अगर ऐसी कोई भी बात होगी तो बाबूलाल खुद मीडिया को बताएंगे. मगर इस चुनावी महौल में बड़े नेताओं की औपचारिक मुलाकात से भी सियासी महौल गरम हो जाती है.
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बहरहाल, बाबूलाल ही एकमात्र ऐसे नेता हैं जिन्होंने बीजेपी, कांग्रेस और जेएमएम का साथ देखा है. बाबूलाल मरांडी ने भी इस बार यह संकेत दिए हैं कि विधानसभा चुनाव अकेले भी लड़ सकती है. मगर चुनावी महासमर में कुछ भी मुमकिन है. अब आने वाला समय ही बताएगा कि बाबूलाल महागठबंधन में शामिल होते हैं या तीसरे मोर्चे का नेतृत्व करते हैं या अपने ही दम पर अकेले चुनाव लड़ते हैं.